भारत-बांग्लादेश की सीमा (India–Bangladesh Border ) पर दक्षिण बंगाल फ्रंटियर बीएसएफ ने पर्ट्रापोल, आईसीपी और अन्य सीमा चौकियों पर ईद-उल-फितर ( Eid al-Fitr ) के अवसर पर बॉर्डर गार्ड बांग्लादेश के साथ मिठाइयों और शुभकामनाओं का आदान-प्रदान किया है. दोनों देशों के त्योहारों के अवसरों पर मिठाइयों के साथ शुभकामनाओं को आदान-प्रदान कर सौहार्दता का रिश्ता कायम करने के लिए दोनों सुरक्षा बलों के बीच लंबे समय से परंपरा रही है. बीएसएफ (BSF) द्वारा जारी बयान में कहा गया है कि दोनों बॉर्डर गार्डिंग फोर्स में सामंजस्य और सौहार्दपूर्ण संबंध हैं। दोनो सीमा रक्षक बलों के बीच मिठाइयों का आदान-प्रदान सद्भावना के रूप में आता है और सच्ची सहकारिता को दर्शाता है. यह सौहार्दपूर्ण संबंधों को बनाने और मजबूत करने में भी मदद करता है.
बीएसएफ द्वारा जारी बयान में कहा गया है कि ईद-उल-फितर के त्योहार की शुभकामनाओं के साथ साथ सीमा सुरक्षा बल सीमावर्ती इलाकों में सतर्कता और कड़ी चौकसी भी बरत रहा है.
ईद त्योहार पर बीएसएफ ने बीजीबी के साथ बांटी खुशी
बता दें कि ईद उल-फितर का खुशी का त्योहार रमजान या रमदान के अंत का प्रतीक है और दुनिया भर के मुसलमानों द्वारा मनाया जाता है. 30 दिनों के लंबे उपवास, जिसे रोजा के नाम से जाना जाता है, को तोड़कर एक भव्य दावत के साथ इस शुभ दिन मनाया जाता है. ईद मुस्लिम समुदाय का एक महत्वपूर्ण त्योहार है और दुनिया भर के लोगों द्वारा इसे बहुत जोश और उत्साह के साथ मनाया जाता है. इस तरह के कार्यक्रम को व्यापक रूप से सद्भावना के प्रदर्शन के रूप में माना जाता है और शांति के संदेश को बढ़ावा देने में एक लंबा रास्ता तय करता है, जिसे विभिन्न धर्मों में त्योहारों द्वारा स्वीकार किया जाता है. इस अवसर पर बीएसएफ के जवानों ने बीजीबी के जवानों का साथ खुशियां बांटी.
बीएसएफ ने 6 बांग्लादेशी नागरिकों को किया गिरफ्तार, 4 को बीजीबी को सौंपा
इसके पहले उत्तर – 24 परगना जिले में 1 मई की रात को बीएसएफ की 68 वीं वाहिनी की सीमा चौकी रानाघाट के जवानों ने पुख्ता खबर के आधार पर सर्च अभियान चलाकर 06 बांग्लादेशी नागरिकों को गैर कानूनी तरीके से बॉर्डर पार करने पर गिरफ्तार कर लिया था. पूछताछ के दौरान पता चला कि अपल दास अपने चाचा जो 25 साल पहले भारत शिफ्ट हो गए उनसे मिलने जा रहा था. विष्णु पादा अपनी पत्नी और बेटी के साथ भारत अपनी पत्नी की मौसी जो कैंसर से पीड़ित है उनको देखने के लिए भारत आ रहा था. अंबिका विश्वास ने बताया कि वह 6-7 साल पहले भारत में बस गई थी. अपने पिता के अंतिम संस्कार में आई थी और वापिस भारत जा रही थी. इस कारण मानवता के आधार पर चार को बीजीबी को सौंप दिया था.