केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया (Mansukh Mandaviya) ने बच्चों के टीकाकरण को लेकर बयान दिया है. उन्होंने कहा, 5 से 12 साल के बच्चों का टीकाकरण शुरू करने के लिए स्वास्थ्य मंत्रालय एनटीएजीआई (NTAGI) की सिफारिश का इंतजार करेगा. दरअसल कोरोना की नई लहर की आशंका के बीच हाल ही में बड़ा फैसला लिया गया है. अब 12 साल से छोटे बच्चों को भी कोरोना टीका (Corona Vaccination) लगाया जाएगा. दो टीकों को इसके लिए चुना गया है. बताया गया है कि 5-12 साल के बच्चों को कॉर्बेवैक्स Corbevax और 6-12 साल के बच्चों को कोवैक्सिन Covaxin का टीका लगेगा. DCGI ने इनको आपातकालीन इस्तेमाल की मंजूरी दे दी है. इसके साथ-साथ 12 से ऊपर के आयुवर्ग के लिए ‘ZyCoV-D’ की 2 डोज वाली वैक्सीन को मंजूरी मिल गई है.
दरअसल कोरोना वायरस के पिछले लहर में बच्चों पर ज्यादा गहरा असर नहीं पड़ा था लेकिन इस नए वेरिएंट XE का चपेट में बच्चे भी आ रहे हैं. ऐसी आशंका जताई जा रही है कि को स्कूल खुलने के बाद इन मामलों में बढ़ातरी हो सकती है. हल्थ एक्सपर्ट की माने तो पिछले तीन हफ्तों में बच्चों में फ्लू जैसे लक्षणों में बढ़ोतरी नजर आई है. वहीं अब मंजूरी के बाद सरकार जल्द ही एक गाइडलाइंस जारी कर सकती है जिसमें बताया जाएगा कि देश में कब और कैसे ये वैक्सीनेशन शुरू करना चाहिए.
स्वास्थ्य मंत्री का बयान
Ministry of Health will wait for NTAGI recommendation to begin the vaccination of 5 to 12-year-olds: Mansukh Mandaviya Union Health Minister
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— ANI (@ANI) April 28, 2022
12 से 15 साल के बच्चों को कब लगा था टीका
इससे पहले 12 से 15 साल तक के बच्चों को मार्च के महीने में कोविड से बचाव के लिए वैक्सीन लगाने का अभियान चलाया गया था. अब ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DCGI) ने 6 से 12 साल के बच्चों को कोवैक्सिन लगाने का फैसला लिया है. बता दें ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DCGI) के ड्रग रेगुलेट के विशेषज्ञ पैनल ने 5 से 12 वर्ष की आयु के बच्चों को कोरोना महामारी के खतरे से बचाया जा सके इसके लिए बायोलॉजिकल ई के कोविड-19 वैक्सीन कॉर्बेवैक्स (Corbevax) के इमरजेंसी इस्तेमाल की सिफारिश की थी.
कोवैक्सीन और कॉर्बेवैक्स दोनों ही इंटरमस्कुलर वैक्सीन हैं, यानी इन्हें बांह पर इंजेक्शन के जरिए शरीर में डाला जाएगा. दोनों ही वैक्सीन की दो डोज में 28 दिन का अंतर है. कॉर्बेवैक्स को हैदराबाद की बायोलॉजिकल ई (Biological E) ने बनाया है. कंपनी को पिछले साल सितंबर में अपनी वैक्सीन का ट्रायल 5 से 18 साल की आयुवर्ग के बच्चों पर करने की अनुमति मिली थी. कंपनी का दावा है कि इस आयुवर्ग में फेज 2 और फेज 3 के क्लीनिकल ट्रायल में ये वैक्सीन सुरक्षित और असरदार साबित हुई है.