मुंबई। महाराष्ट्र प्रदेश कांग्रेस पार्टी में इस समय जोरदार घमासान की स्थिति बन गई है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष नाना पटोले के विरुद्ध वरिष्ठ नेता बालासाहेब थोरात ने हाईकमान को पत्र लिखा है। इस पत्र में हाल ही में संपन्न विधान परिषद चुनाव में पार्टी की ओर से की गई गड़बड़ी का उल्लेख किया गया है। इससे महाराष्ट्र प्रदेश कांग्रेस में गुटबाजी चरम पर दिखने लगी है।
पूर्व मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण ने मीडिया को बताया कि यह पार्टी के ज्यादा लोकशाही की वजह से है। उन्होंने साफ किया कि लोकशाही में सबको बोलने का अधिकार है, लेकिन यह सब कुछ पार्टी में ज्यादा लोकशाही होने की वजह से हो रहा है। हाल ही में संपन्न विधान परिषद के नासिक पदवीधर निर्वाचन क्षेत्र में कांग्रेस पार्टी ने सुधीर तांबे को टिकट दिया था, लेकिन सुधीर तांबे ने यह टिकट अपने बेटे सत्यजीत तांबे को दिए जाने की मांग ऐन वक्त पर की थी। इस वजह से कांग्रेस पार्टी ने सुधीर तांबे और उनके बेटे सत्यजीत तांबे को पार्टी से निलंबित कर दिया था। इसके बाद सत्यजीत तांबे निर्दलीय चुनाव लड़े और विजयी रहे।
बालासाहेब थोरात ने सोमवार को पत्रकारों को बताया कि प्रदेश कांग्रेस के गलत निर्णय से ही सत्यजीत तांबे को निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ना पड़ा। उन्होंने इसका ठीकरा प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष नाना पटोले पर फोड़ा है और पत्र लिखकर कांग्रेस हाईकमान के पास शिकायत की है। बालासाहेब थोरात के इस पत्र पर कांग्रेस हाईकमान का निर्णय लंबित है लेकिन इस पत्र के बाद राज्य कांग्रेस में घमासान मच गया है।
शिवसेना नेता और राज्यसभा सदस्य संजय राऊत ने कहा कि कांग्रेस में जो कुछ हुआ, वह तब हुआ जब कांग्रेस नेता बालासाहेब थोरात बीमार थे। इसी तरह जब उद्धव ठाकरे बीमार थे, तो शिवसेना में भी विधायकों की बगावत करा दी गई थी। राजनीति में नेता की बीमारी का गलत फायदा उठाया जा रहा है, जो किसी भी तरह उचित नहीं है।
पूर्व मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण ने कहा कि यह सब कांग्रेस पार्टी का अंतर्गत मामला है। इस मुद्दे पर बाहरी व्यक्ति को बोलने का अधिकार नहीं है। पार्टी इस मामले को आपस में बैठकर निपटा लेगी। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष नाना पटोले ने कहा कि विधान परिषद के चुनाव में महाविकास आघाड़ी (मविआ) ने बेहतर प्रदर्शन किया है। विदर्भ की नागपुर और अमरावती दोनों सीटों पर मविआ का कब्जा हो गया है। इससे परेशान होकर भाजपा गलत प्रचार कर रही है। इसलिए कांग्रेस ही नहीं, मविआ के नेताओं को सावधान रहकर राजनीति करने की जरूरत है।