नई दिल्ली: भारत के प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ ने शनिवार को लोक अदालतों के माध्यम से वैकल्पिक विवाद निवारण की महत्वपूर्ण भूमिका पर चर्चा करते हुए कहा कि लोग न्यायालयों के मामलों से इतनी हताश हो चुके हैं कि वे सिर्फ समझौते की तलाश में हैं। लोक अदालतें ऐसे मंच प्रदान करती हैं जहां लंबित मामलों या मुकदमेबाजी से पहले के विवादों को सौहार्दपूर्ण ढंग से सुलझाया जाता है। इनमें पारस्परिक रूप से सहमत समझौतों के खिलाफ कोई अपील दायर नहीं की जा सकती।
चंद्रचूड़ ने सुप्रीम कोर्ट में विशेष लोक अदालत सप्ताह के अवसर पर कहा, ‘‘लोग अदालतों के मामलों से इतनी परेशानी महसूस करते हैं कि वे किसी भी समझौते के लिए तैयार हो जाते हैं। बस, अदालत से दूर रहना चाहते हैं। यह प्रक्रिया स्वयं एक प्रकार की सजा बन जाती है, और यह हम सभी न्यायाधीशों के लिए चिंता का विषय है। मुख्य न्यायाधीश ने उल्लेख किया कि लोक अदालतों के आयोजन में उन्हें बार और बेंच सहित सभी से व्यापक समर्थन और सहयोग प्राप्त हुआ है।
चंद्रचूड़ ने बताया कि जब लोक अदालतों के लिए पैनल बनाए गए थे, तो यह तय किया गया था कि प्रत्येक पैनल में दो न्यायाधीश और बार के दो सदस्य शामिल होंगे। उन्होंने यह भी कहा कि भले ही उच्चतम न्यायालय दिल्ली में स्थित है, यह केवल दिल्ली का उच्चतम न्यायालय नहीं है; यह पूरे भारत का उच्चतम न्यायालय है। चंद्रचूड़ ने स्पष्ट किया, ‘‘लोक अदालत का मुख्य उद्देश्य लोगों के दरवाजे तक न्याय पहुंचाना है और यह सुनिश्चित करना है कि हम उनके जीवन में लगातार मौजूद हैं।’’