नई दिल्ली। दिल्ली के एक वकील ने छावला गैंगरेप और हत्या मामले में दाखिल पुनर्विचार याचिका पर खुली अदालत में सुनवाई की मांग की। वकील की मेंशनिंग के बाद चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि वह फाइल देख कर फैसला लेंगे। 2012 के इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने तीनों आरोपितों को बरी कर दिया था। इसके खिलाफ पीड़ित परिवार, केंद्र सरकार और सामाजिक कार्यकर्ता योगिता भयाना ने पुनर्विचार याचिका दाखिल की है।
7 दिसंबर को केंद्र सरकार ने 2012 में दिल्ली के छावला गैंगरेप के सभी आरोपितों को बरी किए जाने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ पुनर्विचार याचिका दाखिल किया। केंद्र सरकार ने कहा है कि मेडिकल साक्ष्य साबित करता है कि आरोपित ही दोषी हैं। केंद्र सरकार ने कहा है कि अभियोजन के पास जो साक्ष्य हैं, वो किसी भी संदेह से परे हैं। आज ही सामाजिक कार्यकर्ता योगिता भयाना ने भी याचिका दायर कर इस फैसले पर पुनर्विचार करने की मांग की है। इसके पहले 05 दिसंबर को पीड़ित के माता-पिता ने सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दाखिल की थी। गौरतलब है कि 07 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट ने छावला गैंगरेप मामले के आरोपितों को बरी कर दिया था। तत्कालीन चीफ जस्टिस यूयू ललित की अध्यक्षता वाली बेंच ने ये फैसला सुनाया था। इस मामले के दोषियों ने कोर्ट से मिली मौत की सजा को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। घटना 09 फरवरी, 2012 की है, जब रात में नौकरी से लौटते समय राहुल, रवि और विनोद ने उत्तराखंड की एक लड़की को जबरन अपनी लाल इंडिका गाड़ी में बैठा लिया। तीन दिन बाद उसकी क्षत-विक्षत लाश हरियाणा के रेवाड़ी के एक खेत मे मिली थी। लड़की को कार में इस्तेमाल होने वाले औजारों से पीटा गया था। उसके ऊपर मिट्टी के बर्तन फोड़े गए थे और सिगरेट से दागा गया था। यहां तक कि उसके स्तन को भी गर्म लोहे से दागा गया। निजी अंग में औजार और शराब की बोतल डाली गई थी। उसके चेहरे को तेजाब से जलाया गया था। इस मामले में ट्रायल कोर्ट ने 2014 में तीनों को रेयरेस्ट ऑफ द रेयर केस मानते हुए फांसी की सजा सुनाई थी। दिल्ली हाई कोर्ट ने भी ट्रायल कोर्ट के फांसी के आदेश को बरकरार रखा था। सुनवाई के दौरान दिल्ली सरकार की ओर से एएसजी ऐश्वर्या भाटी ने तीनों को फांसी की सजा की पुष्टि की मांग की थी। उन्होंने कहा था कि पीड़ित के साथ अकल्पनीय दरिंदगी हुई।