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चैत्र नवरात्र: नाव पर सवार होकर आएंगी मां, जानिये कब करें घट स्थापना

शुभ योगों में शुरू होंगे चैत्र नवरात्र व नव संवत्सर

by City Headline
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शिमला। सनातन धर्म में नवरात्र का विशेष महत्व है, चैत्र माह और शारदीय नवरात्र को प्रमुख माना जाता है। चैत्र नवरात्र का प्रारंभ चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से प्रारंभ होता है, इस वर्ष चैत्र नवरात्र बुधवार 22 मार्च 2023 से प्रारंभ हो रहे हैं। जिसका समापन 30 मार्च गुरुवार को होगा।
प्रसिद्ध अंक ज्योतिषी एवं वशिष्ठ ज्योतिष सदन के अध्यक्ष पंडित शशिपाल डोगरा ने बताया कि इस वर्ष मां दुर्गाजी का आगमन नौका पर होगा। शास्त्रों में मां के इस रूप को भक्तों की समस्त इच्छाएं पूर्ण करने वाला माना जाता है। पंडित डोगरा ने बताया कि चैत्र नवरात्र के पहले दिन कई शुभ योग बन रहे हैं। इस समय में घट स्थापना आपके लिए बहुत ही लाभदायक और उन्नतिकारक सिद्ध होगा।
उन्होंने बताया कि चैत्र नवरात्र प्रतिपदा तिथि से ही नया हिंदू वर्ष प्रारंभ होता है, चैत्र नवरात्र में अबकी बार पूरे नौ दिन के नवरात्र होंगे, नवरात्र के दौरान तीन सर्वार्थ सिद्धि योग 23 मार्च, 27 मार्च, 30 मार्च को होंगे, जबकि अमृत सिद्धि योग 27 और 30 मार्च को होगा। रवि योग 24 मार्च, 26 मार्च और 29 मार्च को होगा और नवरात्र के अंतिम दिन रामनवमी के दिन गुरु पुष्य योग भी रहेगा।
सनातन धर्म में नवरात्र का विशेष महत्व होता है, चैत्र माह और शारदीय नवरात्रि को प्रमुख माना जाता है। नवरात्रि के दौरान तीन सर्वार्थ सिद्धि योग 23 मार्च, 27 मार्च, 30 मार्च को लगेगा।
चैत्र नवरात्र का आरंभ अबकी बार 22 मार्च से दिन बुधवार से हो रहा है। इसी दिन से हिंदू नव वर्ष भी आरंभ भी हो जाएगा। इसी दिन से अनल तदुपरांत पिंगल नामक संवत भी शुरू होगा। इस वर्ष चैत्र नवरात्र पर माता का वाहन नाव होगा, जो इस बात का संकेत है कि इस वर्ष खूब वर्षा होगी। अश्विन और चैत्र मास की नवरात्र सबसे ज्यादा प्रचलित है। कहा जाता है कि सतयुग में सबसे ज्यादा प्रसिद्ध और प्रचलित चैत्र नवरात्र थी, इसी दिन से युग का आरंभ भी माना जाता है। इसलिए संवत का आरंभ चैत्र नवरात्र से ही होता है।
घट स्थापना शुभ मुहूर्त
घट स्थापना का शुभ मुहूर्त 22 मार्च को सुबह 6:29 बजे से शुरू होकर सुबह 7:40 बजे तक रहेगा। इन मुहूर्तों में ही नवरात्र पूजा का आरंभ किया जा सकेगा। साथ ही यदि किसी विशेष अनुष्ठान को करना है तो उसके लिए भी यही सही समय रहेगा।
अंक ज्योतिष के अनुसार नव संवत्सर
अंक ज्योतिषी पंडित शशिपाल डोगरा ने बताया कि 22 मार्च (बुधवार) से शुरू होने वाले नवसंवत 2080 का राजा बुध व मंत्री शुक्र होगा। बुध युवाओं व वाणी का कारक है और शुक्र स्त्री व विलासिता का कारक है। अंक ज्योतिष के हिसाब से संवत 2080 का अंक 1 सूर्य का अंक है। सूर्य यश व सत्ता का कारक है। 22 मार्च यानि अंक 4, जो राहु का अंक है। राहु एक ऐसा ग्रह है, जो भ्रमित करता है। राहु जो श्मशान योग बनाता है। राहु जो सत्ता में अचानक ही बदलाव ले आता है। 2023 का अंक 7 केतु का बनता है। केतु बिना सिर का ग्रह है, जो बिना दिशा का है। यह वर्ष राहु व केतु की चपेट में रहेगा। युवाओं को संकट का सामना करना पड़ेगा। युवाओं को खोने का भय इस वर्ष में बहुत रहेगी। विश्व में युद्ध व अशांति का माहौल बनेगा। भारत वर्ष विश्व में आगे बढ़ेगा व अपना नाम ऊंचा करेगा।
साहित्य की आड़ में छिपे विरोधी होंगे उजागर
पंडित डोगरा ने बताया कि संवत 2080 में वर्षा अच्छी होने की संभावना है। राजा बुध होने से उस वर्ष देश में ठगी, छल-कपट करने वाले लोगों का बोलबाला व प्रभाव अधिक रहेगा। देश में कुछ सफेदपोश अपराधियों का भंडाफोड़ होगा। इस संवत में गीतकार, संगीतकार, अभिनेता, लेखकों की गैर कानूनी एवं देश-विरोधी गतिविधियां उजागर और दृष्टिगोचर होगी। उन्होंने बताया कि संतों एवं महंतों का वर्चस्व बढ़ेगा, प्रतिष्ठित लोगों के विरुद्ध कानूनी कार्रवाई होगी और जेल का योग बन रहा है। कुछ प्रांतों में शासन परिवर्तन, विग्रह एवं राजनीतिक उथल-पुथल, राजनीतिक अस्थिरता बनेगी। प्रजा में रोग व आर्थिक परेशानियां बढ़ेंगी। संवत का मंत्री शुक्र होने के कारण भूस्खलन व प्राकृतिक प्रकोप से कृषि, धन आदि की हानि होगी। शुक्र के कारण वात-पित, शुगर एवं यौन रोगों का प्रकोप बढ़ेगा। ऐश्वर्य एवं सौंदर्य प्रसाधनों तथा भड़काऊ फैशन पर अधिक खर्च करेंगे। इस संवत में 3 सूर्य ग्रहण व 1 चंद्र ग्रहण लगेंगे। जिसके कारण विश्व में बड़ी उथल-पुथल के योग बन रहे हैं। विश्व युद्ध की तरफ जा सकता है।