City Headlines

Home education CBSE इस राज्य में बनाने जा रहा नया ठिकाना, बोर्ड परीक्षा में स्कूलों के प्रदर्शन से था नाखुश

CBSE इस राज्य में बनाने जा रहा नया ठिकाना, बोर्ड परीक्षा में स्कूलों के प्रदर्शन से था नाखुश

CBSE जल्द ही अपना एक क्षेत्रीय कार्यालय बनाने जा रहा है। इसकी जानकारी सीबीएसई के अधिकारी ने दी है।

by Kajal Tiwari

CBSE अपना एक सब-रीजनल ऑफिस खोलने की दिशा में काम करने जा रहा है। इसका कारण है बोर्ड परीक्षा में स्कूलों का निराशाजनक प्रदर्शन ताकि वह स्कूलों पर निगरानी रख सके। सीबीएसई बोर्ड परीक्षाओं में इससे संबद्ध सरकारी स्कूलों के निराशाजनक प्रदर्शन पर नाराजगी के बीच अगरतला में एक उप-क्षेत्रीय कार्यालय (Sub-Regional Office) खोलेगा। अधिकारी ने सोमवार को बताया कि 2018 में त्रिपुरा में भाजपा के सरकार बनने के बाद, 125 सरकारी स्कूलों का नाम बदलकर विद्याज्योति स्कूल कर दिया गया और सीबीएसई का इंग्लिश मीडिया सिलेबस पेश किया गया।

इस साल ये रहा प्रदर्शन

इस साल, बोर्ड परीक्षा में इन स्कूलों के 61 प्रतिशत छात्र सीबीएसई कक्षा 10 की परीक्षा में पास हुए, वहीं 59 प्रतिशत छात्र 12वीं कक्षा की परीक्षा में पास हो सके। बता दें कि पहले इन स्कूलों में शिक्षा का माध्यम पहले बंगाली था और ये त्रिपुरा माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (TBSE) के तहत आते थे।

सरकार देगी जमीन

शिक्षा विभाग के विशेष कर्तव्य अधिकारी (OSD) अभिजीत समाजपति ने कहा कि प्रदेश सरकार राज्य में एजुकेशन इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत करने के लिए सीबीएसई ऑफिस के लिए जमीन देगी। तब तक ऑफिस अस्थायी रूप से रामकृष्ण मिशन स्कूल की एक इमारत से चलेगा। उन्होंने आगे कहा, सब-रीजनल ऑफिस सीबीएसई से संबद्ध स्कूलों को एडमिशन में मदद, विषयों में सुधार, स्टूडेंट रिकॉर्ड अपडेशन, एग्जाम सेंटर कॉर्डिनेशन, मार्क शीट करेक्शन, शिकायत निवारण और टीचर ट्रेनिंग सुविधा सहित विभिन्न सेवाएं उपलब्ध कराएगा।

सीबीएसई मिलकर करेगा काम

समाजपति ने फिर कहा, “एग्जाम प्रोसेस और स्टूडेंट के डेवलपमेंट एक्टिवीटिज को देखने व उसमें मदद के लिए यह स्टेट एजुकेशन बॉडीज और अन्य रीजनल एजुकेशनल इंस्टीट्यूशन के साथ मिलकर काम करेगा। यह पहल एकेडमिक माहौल को मजबूत बनाएगी और पूरे राज्य में छात्रों के लिए सीखने के अवसरों में भी विस्तार करेगी।”

विपक्ष लगा रहा आरोप

जानकारी दे दें कि खराब नतीजों के बाद, सरकार पर विपक्ष आरोप लगा रहा है कि सरकार हजारों छात्रों के भविष्य के साथ खेल रही है, जिन्होंने 8वीं कक्षा तक बंगाली-माध्यम स्कूलों में पढ़ाई की और उन्हें अंग्रेजी में बोर्ड परीक्षाओं में बैठने के लिए मजबूर किया गया, जिसके फलस्वरूप यह रिजल्ट आया है।