कोलकाता
बंगाल के शिक्षक भर्ती घोटाले के सिलसिले में बुधवार को ममता सरकार के उद्योग व संसदीय कार्यमंत्री व पूर्व शिक्षामंत्री तथा तृणमूल कांग्रेस के राज्य महासचिव पार्थ चटर्जी को CBI की दूसरे दौर की पूछताछ का सामना करना पड़ा। सूत्रों के मुताबिक पार्थ चटर्जी जांच एजेंसी के सवालों से असहज दिखे। मंत्री ने भर्ती के उद्देश्य से पांच सदस्यीय स्क्रीनिंग कमेटी का गठन किया था, लेकिन कलकत्ता हाई कोर्ट द्वारा नियुक्त न्यायिक समिति ने न केवल उक्त समिति को अवैध घोषित किया है, बल्कि समिति के कार्यकाल के समाप्त होने के बाद भी उसके सदस्यों पर भर्ती की सिफारिशें करने का आरोप लगाया गया है।
जानकारी के मुताबिक बुधवार को CBI के अधिकारियों ने चटर्जी से सुबह करीब 11 बजे दफ्तर में पहुंचते ही पूछताछ शुरू कर दी। उन्हें आराम से बैठने तक का समय नहीं दिया। चटर्जी से पहला सवाल यही किया गया कि तत्कालीन शिक्षामंत्री के रूप में वह सतर्क क्यों नहीं थे। या उन्होंने स्क्रीनिंग कमेटी को सही प्रकार से नियंत्रित करने की कोशिश क्यों नहीं की? चटर्जी ने जवाब देने में असमर्थता जताई।
इसके बाद CBI ने पूछा क्या स्कूल सेवा आयोग (एसएससी) या राज्य शिक्षा विभाग के बाहर से किसी ने समिति के दिन-प्रतिदिन के कामकाज को प्रभावित करने की कोशिश की थी? इसके साथ ही यह भी पूछा गया कि अगर ऐसी कोई कोशिश की गई थी तो तत्कालीन शिक्षामंत्री के तौर पर उन्होंने उस बाहरी प्रभाव को रोकने की कोशिश क्यों नहीं की? चटर्जी से दोपहर तक मैराथन पूछताछ हुई। उनके जवाब में काफी विसंगतियां भी पाई गईं।
बंगाल के पूर्व शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी को शिक्षक नियुक्ति घोटाले में सुप्रीम कोर्ट से झटका लगा है। सुप्रीम कोर्ट ने पार्थ चटर्जी की तरफ से गत 19 मई को दायर की गई स्पेशल लीव पिटिशन पर जरूरी आधार पर सुनवाई करने से इन्कार कर दिया है। पार्थ चटर्जी ने कलकत्ता हाईकोर्ट की एकल पीठ की तरफ से मामले की CBI जांच के फैसले के खिलाफ यह याचिका दायर की थी। जानकारी के मुताबिक दायर याचिका में बहुत सी त्रुटियां बताई गई हैं। सुप्रीम कोर्ट ने इन त्रुटियों को सुधार करके नए सिरे से अवकाश पीठ के समक्ष याचिका दायर करने को कहा है। उसके बाद ही इस पर फिर से सुनवाई हो सकेगी।