महाराष्ट्र में एक बार फिर से राजनीतिक हलचल तेज हो गई है, जहां मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने अपने ही एक कद्दावर मंत्री के खिलाफ बड़ा कदम उठाया है। इस कदम ने राज्य में सत्ताधारी गठबंधन महायुति के भीतर असहमति और तनाव को और बढ़ा दिया है। मुख्यमंत्री फडणवीस ने हाल ही में एनसीपी के वरिष्ठ नेता और खाद्य आपूर्ति मंत्री धनंजय मुंडे से इस्तीफा ले लिया।
धनंजय मुंडे का इस्तीफा बीड़ जिले में हुए एक विवादास्पद हत्या मामले से जुड़ा हुआ है। बीते नवंबर में बीड़ के सरपंच संतोष देशमुख की हत्या हुई थी, और इसके बाद से मुंडे पर आरोप लग रहे थे। उनके करीबी सहयोगी वाल्मिक कराड़ की गिरफ्तारी के बाद उनका नाम और अधिक चर्चा में आया। इसके बाद बीड़ जिले में भाजपा ने उनके खिलाफ मोर्चा खोला, और भाजपा के स्थानीय नेताओं ने मुंडे से इस्तीफा देने की मांग की। इससे राज्य में राजनीतिक उथल-पुथल बढ़ गई। हालांकि, एनसीपी नेता अजित पवार ने उनकी बचाव की कोशिश की, और फडणवीस को उनके खिलाफ कोई कदम उठाने में देर हो रही थी।
बुधवार को जब विधानसभा का सत्र शुरू हुआ, तो इस मामले में और भी ताजा घटनाक्रम सामने आया। बीड़ में संतोष देशमुख की हत्या से जुड़ी कुछ तस्वीरें वायरल हो गईं, जिससे घटनास्थल पर स्थानीय स्तर पर आक्रोश और बढ़ गया। इसके बाद, मंगलवार को बीड़ जिले में बंद का आह्वान किया गया। इस बढ़ते आक्रोश के बाद, सोमवार रात को सीएम देवेंद्र फडणवीस ने अजित पवार से मुलाकात करने के लिए उनके घर का रुख किया। यह मुलाकात लगभग दो घंटे तक चली, और अंत में सीएम फडणवीस ने धनंजय मुंडे से इस्तीफा लेने का निर्णय लिया।

धनंजय मुंडे का राजनीतिक प्रभाव बीड़ जिले में बहुत गहरा है, और वे ओबीसी समुदाय के बड़े नेता माने जाते हैं। उनका परिवार महाराष्ट्र की राजनीति में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है। उनके चाचा गोपीनाथ मुंडे भाजपा के दिग्गज नेता थे, और उनकी चचेरी बहन पंकजा मुंडे भी भाजपा की सदस्य हैं और मंत्री रह चुकी हैं। धनंजय मुंडे ने एनसीपी के टिकट पर राजनीति में प्रवेश किया और बीड़ जिले में भाजपा को कई बार चुनौती दी।
हालांकि, इस इस्तीफे के पीछे का मुद्दा सिर्फ हत्या मामले से जुड़ा हुआ नहीं है, बल्कि महाराष्ट्र की राजनीति में एक बड़ा समीकरण भी काम कर रहा है। अजित पवार, जो एनसीपी के वरिष्ठ नेता और डिप्टी सीएम हैं, वे धनंजय मुंडे का समर्थन कर रहे थे। उनका मानना था कि अगर मुंडे पर कार्रवाई की गई, तो एनसीपी को राजनीतिक नुकसान हो सकता है, खासकर ओबीसी वोटों में। इसी कारण, अजित पवार इस मामले में सतर्क थे और फडणवीस को दबाव में लेने की कोशिश कर रहे थे।
राज्य के सत्ताधारी गठबंधन में इस विवाद ने महायुति के भीतर राजनीतिक असंतुलन पैदा किया है। महाराष्ट्र में सत्ता में साझेदारी करने वाली बीजेपी, शिवसेना और एनसीपी के भीतर यह खींचतान न केवल सरकार के लिए चुनौती बन रही है, बल्कि इसने राज्य की राजनीति में भी एक नई बहस को जन्म दिया है।
अब यह देखना होगा कि इस इस्तीफे के बाद राज्य की राजनीति में और कौन सी उठापटक होती है, और क्या यह कदम महायुति के भीतर और गठबंधन की स्थिरता को प्रभावित करेगा।