लखनऊ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सोमवार को यहां शासन स्तर पर गठित टीम-09 के साथ बैठक कर प्रदेश की स्थिति की समीक्षा की। इसमें कोविड की स्थित, उससे लड़ने की तैयारी, धान खरीद, कानून व्यवस्था, शीतलहरी और फरवरी में प्रस्तावित ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट की तैयारियों की समीक्षा जैसे विषय शामिल रहे। इस दौरान मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को निर्देश भी दिए।
कोविड प्रबंधन के लिए गठित उच्चस्तरीय टीम-09 के साथ प्रदेश की स्थिति की समीक्षा के दौरान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि विभिन्न देशों में बढ़ते कोविड-19 के संक्रमण के बीच उत्तर प्रदेश की स्थिति सामान्य है। दिसम्बर माह में 09 लाख 06 हजार से अधिक टेस्ट किए गए। इसमें 103 केस की पुष्टि हुई। इस अवधि में प्रदेश की पॉजिटिविटी दर 0.01 प्रतिशत दर्ज की गई। वर्तमान में प्रदेश में कुल 49 एक्टिव केस हैं। विगत 24 घंटों में 42 हजार से अधिक टेस्ट किए गए। यह समय सतर्क और सावधान रहने का है।
उन्होंने कहा कि कोविड की बदलती परिस्थितियों पर सूक्ष्मता से नजर रखी जाए। विगत दिनों मॉकड्रिल में जो भी कमियां मिली हैं, उनमें तत्काल सुधार किया जाए। कोविड काल में सरकार ने हर जिले में आईसीयू स्थापित किये हैं। उन्हें क्रियाशील रखा जाए। हर आईसीयू में एनेस्थेटिक व अन्य स्पेशलिस्ट चिकित्सकों और टेक्नीशियन की उपलब्धता हो। आक्सीजन प्लांट पर तीन टेक्नीशियन तैनात होने चाहिए।
स्वास्थ्य विभाग अथवा चिकित्सा शिक्षा विभाग द्वारा संचालित सभी अस्पतालों में विशेषज्ञ चिकित्सकों की तैनाती, चिकित्सकीय उपकरणों की क्रियाशीलता, पैरामेडिकल स्टाफ की समुचित उपलब्धता की गहनता से परख कर ली जाए। कहीं भी किसी प्रकार की कमी न हो। अस्पतालों द्वारा अपने स्तर पर भी मॉकड्रिल किया जाए।
मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तर प्रदेश सर्वाधिक कोविड वैक्सीनेशन करने वाला राज्य है। वर्तमान में प्रदेश में 11 लाख से अधिक डोज उपलब्ध है। मांग के अनुरूप वैक्सीन की पर्याप्त उपलब्धता के लिए भारत सरकार से सतत संपर्क बनाए रखा जाए। कोविड संक्रमण से बचाव में टीके की उपयोगिता स्वयंसिद्ध है। प्रीकॉशन डोज लगाए जाने के लिए लोगों को जागरूक किया जाए। इसमें तेजी की आवश्यकता है।
कोविड काल के पिछले दो-ढाई वर्ष की अवधि में स्वास्थ्य सेवाओं को सुचारु बनाए रखने के लिए बड़ी संख्या में अस्थायी तौर पर कार्मिकों की तैनाती की गई थी। कोविड काल में अपने प्राणों की परवाह न करते हुए इनके द्वारा किया गया दायित्व निर्वहन प्रेरणास्पद है और सेवाभावना सराहनीय है। इन कार्मिकों की इस सेवावधि की भविष्य में होने वाली नियुक्तियों में गणना की जाए। ऐसे कार्मिकों को वरीयता दी जाए। इस संबंध में स्पष्ट नियमावली तैयार की जाए।
उन्होंने कहा कि संभव है आने वाले कुछ दिनों में नए केस में बढ़ोतरी हो। ऐसे में हमें अलर्ट रहना होगा। यह समय घबराने का नहीं, सतर्क और सावधान रहने का है। कोविड प्रोटोकॉल का पालन करना होगा। सार्वजनिक स्थानों पर फेस मास्क लगाए जाने के लिए लोगों को जागरूक करें। पब्लिक एड्रेस सिस्टम को एक्टिव करें।
कोविड के नए वैरिएंट पर सतत नजर रखी जाए। जो भी नए केस मिले, उनकी जीनोम सिक्वेंसिंग कराई जाए। दैनिक टेस्टिंग को बढ़ाया जाए। गंभीर, असाध्य रोग से ग्रस्त लोगों, बुजुर्गों को विशेष सावधानी बरतनी होगी।
मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए कि कोविड काल में सेवा देने वाले सभी आउटसोर्सिंग कार्मिकों को बकाया मानदेय का भुगतान तत्काल कराया जाए। यदि शासन से भुगतान होने के बाद संबंधित एजेंसी द्वारा कार्मिक को भुगतान नहीं किया है तो ऐसे प्रकरणों का संज्ञान लेते हुए बकाया भुगतान कराया जाए। सेवा के बाद मानदेय कार्मिक का अधिकार है, इसका भुगतान समय पर ही होना चाहिए।
इस बैठक में उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक, आयुष राज्य मंत्री स्वतंत्र प्रभार दयाशंकर मिश्र दयालु, मुख्य सचिव दुर्गा शंकर मिश्र समेत शासन के अन्य अधिकारी मौजूद रहे।
CoronaVrirus
बगहा। देशभर में ओमिक्रोम वेरियन्ट के बढ़ते मामलों के मद्देनजर जिला स्वास्थ्य विभाग के आदेश के आलोक में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र हरनाटांड़ के दिशा-निर्देश पर वाल्मीकि नगर के गंडक बराज स्थित भारत-नेपाल सीमा पर स्वास्थ शिविर का आयोजन शनिवार को किया गया।
अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र वाल्मीकि नगर के चिकित्सा प्रभारी डा. संजय कुमार सिंह ने बताया कि हरनाटांड़ चिकित्सा पदाधिकारी डा. संदीप कुमार राय के निर्देश पर नेपाल से आने जाने वाले व्यक्तियों की कोविड-19 एंटीजेन टेस्ट की जा रही है, यदि उन्हें पॉजिटिव पाया जाता है, उन्हें उचित परामर्श एवं दवा दी जायेगी। 0 से 5 वर्ष आयु वर्ग के बच्चों को प्लस पोलियो की दवा भी पिलाई जा रही है।
उन्होंने आगे बताया कि दोपहर तक 50 कोरोना का टेस्ट हो जा चुका है। इसमें एक भी पॉजिटिव नहीं पाये गये हैं। कोरोना की जांच भारत-नेपाल सीमा पर नियमित रूप से की जाती है। बॉर्डर पर तैनात एसएसबी के अधिकारी व जवान इसको लेकर सतर्क एवं सजग रह रहें हैं।
सीमा पार से आने वाले सभी लोगो की नियमित रूप से जांच करते हैं एवं मार्क्स पहनकर आने जाने की सलाह दे रहें हैं। एसएसबी के जवान सभी आने जाने वाले लोगों को सतर्क रहने की टिप्स दे रहे हैं।इस अवसर पर लैब टेक्निशियन चंद्रदेव ठाकुर, बिट्टू कुमार,प्लस पोलियो पर्यवेक्षक मनीष कुमार सिंह उर्फ बंटी, वैक्सीनेटर चंद्र प्रभा देवी(आशा), शमसुद्दीन अंसारी एवं राजवीर आदि स्वास्थ्य कर्मी उपस्थित थे।
देश में एक बार फिर से कोरोना महामारी को लेकर अलर्ट जारी किया गया है। सरकार ने कोरोना से बचाव के लिए गाइडलाइन भी जारी कर दी है। इस बीच अभिनेता सोनू सूद ने एक बार फिर से कोरोना का सामना करने के लिए कमर कस ली है। उन्होंने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट शेयर करते हुए लोगों को कोरोना से सावधानी बरतरने की सलाह दी और हर जरुरतमंद लोगों की मदद का आश्वासन दिया है। सोनू सूद ने ट्वीट कर लिखा, ‘कोरोना से सावधानी बरतें, डरे नहीं ईश्वर करे मेरी ज़रुरत ना पड़े लेकिन अगर पड़े तो याद रखना … नंबर वही है!’
सोनू सूद ने साल 2020 में कोरोना महामारी के कारण देश में लगे लॉकडाउन के दौरान हर जरुरतमंद लोगों की निस्वार्थ भाव से बढ़चढ़ कर मदद की थी। उनकी मदद से लाखों मजदूर सुरक्षित अपने घर पहुंच पाए थे। विदेश में भी फंसे कई छात्र सोनू सूद की मदद से भारत वापस लौट आये थे। कोरोना काल के दौरान वह गरीबों के मसीहा के रुप में सामने आये और उस समय से लेकर अब तक सोनू सूद अपनी टीम के साथ मिलकर लगातार हर जरुरतमंद की मदद करने में लगे हुए हैं।वर्कफ़्रंट की बात करें तो सोनू सूद जल्द ही फिल्म ‘फ़तेह’ में नजर आने वाले हैं।
लखनऊ। कोविड के मद्देनजर उत्तर प्रदेश की योगी सरकार सतर्क है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ लोकभवन में स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों के साथ बैठक कर रहे हैं। बैठक में टीम -9 के सभी अधिकारी मौजूद हैं।
बैठक में जाने से पहले उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा कि उत्तर प्रदेश में अभी कोई पैनिक स्थिति नहीं है। फिर भी सभी लोगों को कोविड गाइडलाइन का पालन करना चाहिए।
उप मुख्यमंत्री ने कहा कि विदेश से आए लोगों की जांच होगी। सतर्कता बरतने के निर्देश दिए गए है। सोशल डिस्टेंसिंग का पालन किया जाए। सभी जिलों के सीएमओ को अलर्ट रहने का निर्देश दिया जा चुका है।
लखनऊ। चीन में कोरोना संक्रमण के बढ़ रहे खतरे के मद्देनजर उत्तर प्रदेश की योगी सरकार भी सतर्क हो गई है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बेसहारा, निराश्रित और कमजोर वर्ग के असुरक्षित लोगों को बढ़ती ठंड एवं शीतलहर के साथ-साथ कोरोना के संभावित खतरे से बचाव के लिए कोरोना गाइडलाइंस के अनुसार रैन बसेरों का संचालन करने के निर्देश दिए हैं। राज्य सरकार ने स्पष्ट रूप से कहा है कि रैन बसेरों में साफ-सफाई के साथ कोरोना प्रोटोकॉल का पालन सुनिश्चित किया जाए। नियमित सेनेटाइजेशन हो और “दो गज की दूरी” का भी ध्यान रखा जाए।
उत्तर प्रदेश स्थानीय निकाय निदेशालय की निदेशक नेहा शर्मा की ओर से समस्त नगर आयुक्त एवं अधिशासी अधिकारियों को सर्वोच्च प्राथमिकता के अंतर्गत दिशा निर्देश जारी किए गए हैं। इन दिशा निर्देशों में कोविड प्रोटोकॉल के पालन को अनिवार्य बताया गया है। इसमें कहा गया है कि रैन बसेरों में नियमित रूप से सेनेटाइजेशन की कार्यवाही संचालित की जाए। कोरोना संक्रमण के दृष्टिगत दो गज की दूरी का भी अनुपालन कराया जाए। निर्देशों का अनुपालन करते हुए निकाय में संचालित रैन बसेरों का विस्तृत विवरण निदेशालय के गूगल लिंक पर प्रतिदिन उपलब्ध कराने के भी निर्देश दिए गए हैं ताकि जिलों में संचालित समस्त रैन बसेरों में व्यवस्थाओं की राज्यस्तर पर निगरानी की जा सके।
निदेशक नेहा शर्मा ने बताया कि रैन बसेरों में कोरोना प्रोटोकॉल के अनुपालन के निर्देश सामान्य हैं लेकिन चीन में जो कोरोना का आउटब्रेक देखने को मिल रहा है उसके दृष्टिगत एहतियातन हमें भी अब थोड़ा और सतर्क होने की जरूरत है। ये निर्देश सामान्य निर्देशों के क्रम में ही थे लेकिन वर्तमान परिस्थितियों को देखते हुए इनका अनुपालन करना आवश्यक और अनिवार्य है। उन्होंने कहा कि प्रोएक्टिव एक्शन के तहत ये निर्देश जारी किए गए हैं। स्वास्थ्य विभाग से आगे यदि कोई और निर्देश मिलता है तो उसके भी अनुपालन को सर्वोच्च प्राथमिकता के आधार पर सुनिश्चित किया जाएगा।
कोरोना प्रोटोकॉल के अलावा जो दिशा निर्देश जारी किए गए हैं, उनमें कहा गया है कि नगरीय निकायों में सड़क, फुटपाथ एवं अन्य खुले स्थानों पर रात में सोने वाले निराश्रित असहाय एवं कमजोर वर्ग के असुरक्षित व्यक्तियों को राहत पहुंचाने के लिए रैन बसेरों को तत्काल शुरू किया जाए। साथ ही यह भी सुनिश्चित किया जाए कि सार्वजनिक स्थानों सड़क, पटरी, अस्पताल, बस स्टेशन, रेलवे स्टेशन, मंदिर और सार्वजनिक बाजार इत्यादि में कोई भी असहाय व्यक्ति खुले में न सोए। नगर आयुक्त अपने निकाय में भ्रमण कर यह सुनिश्चित करेंगे कि किसी भी अवस्था में कोई भी आश्रयहीन व्यक्ति खुले में न सोए। यदि कोई व्यक्ति खुले में सोया हुआ पाया जाता है तो उसे निकटतम रैन बसेरे में रहने की उचित व्यवस्था प्रदान की जाए। रैन बसेरों में सुविधाएं अच्छी एवं गुणवत्तापूर्ण हों तथा इनमें साफ-सफाई, शुद्ध पेयजल एवं प्रकाश की व्यवस्था की जाए। महिलाओं एवं पुरुषों के सोने एवं शौचालय की अगल व्यवस्था हो।
नगर आयुक्त, एवं अधिशासी अधिकारी व्यापार मंडल, स्वयंसेवी संस्थाओं एवं बैंकिंग संस्थाओं आदि से समन्वय स्थापित कर निराश्रित एवं कमजोर वर्गों को कंबल वितरण की व्यवस्था कराएं। साथ ही नगरीय क्षेत्रों में अलाव जलाने के लिए सार्वजनिक स्थानों का चिह्नीकरण कर अलाव जलाने की व्यवस्था सुनिश्चित की जाए। नगर आयुक्तों को ये भी निर्देश है कि वो रात में भ्रमण कर खुले में सोने वाले व्यक्तियों को रैन बसेरों में पहुंचाने की व्यवस्था कराएं, ताकि किसी भी व्यक्ति की खुले में सोने से मृत्यु न हो। साथ ही महिलाओं की सुरक्षा व्यवस्था भी सुनिश्चित कराई जाए।
सियोल । दक्षिण कोरिया में कोरोना के 72हजार 646 नए मामले सामने आए हैं इन्हें मिलाकर संक्रमितों की कुल संख्या 2,38,64,560 हो गई है। कोरिया रोग नियंत्रण और रोकथाम एजेंसी (केडीसीए) के अनुसार दैनिक कोरोना मामले पिछले दिन 85,540 और एक सप्ताह पहले 81,555 तुलना में कम है।
पिछले एक हफ्ते में पुष्टि किए गए मामलों की दैनिक औसत संख्या 76,711 थी। नए मामलों में बाहर से आये लोगों की संख्या 229 है जो कुल मिलाकर 61,071 हो गए।
संक्रमितों में गंभीर हालत के मरीजो की संख्या 493 है। चौंसठ और मौतों की पुष्टि के बाद इससे मरने वालों की संख्या 27,313 हो गई। यहां कुल मृत्यु दर 0.11 प्रतिशत है।
लखनऊ
प्रदेश में पैसा खर्च कर वैक्सीन की प्रीकाशन (सतर्कता) डोज लगवाने में लोग दिलचस्पी नहीं दिखा रहे हैं। 18 वर्ष से 60 वर्ष के बीच की उम्र के लोगों में मुफ्त में लगाई जा रही वैक्सीन की पहली व दूसरी डोज को लेकर खासा उत्साह है। मगर 384 रुपये खर्च कर सतर्कता डोज लगवाने में वह बेरुखी दिखा रहे हैं। उधर बुजुर्गों, फ्रंटलाइन व हेल्थ केयर वर्करों को मुफ्त में सतर्कता डोज लग रही है तो वह टीका लगवाने आगे आ रहे हैं।
प्रदेश में 18 वर्ष से अधिक उम्र के कुल 14.74 करोड़ लोगों को वैक्सीन लगाई जानी है। अब तक शत-प्रतिशत लोगों ने वैक्सीन की पहली और 13.55 करोड़ ने दोनों डोज लगवा ली है। दोनों टीका लगवा चुके 92 प्रतिशत लोगों में से अब तक 31 लाख लोग ही सतर्कता डोज लगवाने पहुंचे हैं। प्रदेश में 10.09 लाख हेल्थ केयर वर्करों में से 9.84 लाख ने टीके की पहली और 9.83 लाख ने दोनों डोज लगवा ली है।
दोनों डोज लगवाने वाले करीब 97 प्रतिशत हेल्थ वर्करों में से 6.66 लाख यानी 67 प्रतिशत ने प्रीकाशन डोज लगवाई है। वहीं 10.43 लाख फ्रंटलाइन वर्करों में से शत प्रतिशत ने टीके की दोनों और 98 प्रतिशत ने सतर्कता डोज भी लगवा ली है। वहीं 1.87 करोड़ बुजुर्गों में से 1.67 करोड़ ने टीके की दोनों डोज लगवा ली है। दोनों टीका लगवाने वाले 89 प्रतिशत बुजुर्गों में से 11.76 लाख यानी सात प्रतिशत बुजुर्ग प्रीकाशन डोज लगवा चुके हैं।
वहीं 18 वर्ष से 44 वर्ष तक की उम्र के 9.97 करोड़ लोगों में से 8.77 करोड़ ने वैक्सीन की दोनों डोज लगवा ली है। टीके की दोनों डोज लगवा चुके 87 प्रतिशत लोगों में से सिर्फ 43,558 लोग ही टीके की सतर्कता डोज लगवाने पहुंचे हैं। एक प्रतिशत व्यक्ति भी पैसा खर्च कर सतर्कता डोज लगवाने नहीं पहुंचा। यही हाल 45 वर्ष से लेकर 60 वर्ष के बीच की उम्र के लोगों का भी है।
इस आयु वर्ग के सभी 2.89 करोड़ लोग टीके की दोनों डोज लगवा चुके हैं, लेकिन सतर्कता डोज लगवाने अब तक महज 58,078 लोग ही पहुंचे हैं। मुफ्त में टीके की दोनों डोज लगवा चुके यह लोग पैसा खर्च कर प्राइवेट अस्पताल जाकर सतर्कता डोज लगवाने में दिलचस्पी नहीं दिखा रहे।
कुल 6233 टीकाकरण केंद्रों में से 6156 सरकारी और 77 प्राइवेट अस्पतालों में बनाए गए हैं। राज्य टीकाकरण अधिकारी डा. अजय घई के मुताबिक दोनों टीके लगने के नौ महीने बाद सतर्कता डोज लगाई जा रही है। अगर किसी को विदेश जाना है या कोई अन्य जरूरी कार्य है तो वह तीन महीने बाद भी टीका लगवा सकता है।
लखनऊ
प्रदेश में कोरोना से बचाव के लिए चलाए जा रहे टीकाकरण अभियान में कुल 84.64 लाख बच्चों को वैक्सीन लगाई जानी है। 12 वर्ष से 14 वर्ष तक की आयु के 70.08 लाख बच्चों ने वैक्सीन की पहली और 20.96 लाख ने दोनों डोज लगवा ली है। 82.7 प्रतिशत बच्चे वैक्सीन की पहली और 24.7 प्रतिशत बच्चे दोनों डोज लगवा चुके हैं। फिलहाल बच्चों के टीकाकरण में तेजी लाने के लिए अब घर-घर टीमें भेजी जाएंगी।
स्कूलों में गर्मियों की छुट्टी के कारण टीकाकरण के लिए कैंप नहीं लग पा रहे हैं। ऐसे में बच्चों को वैक्सीन लगाने का काम धीमा पड़ गया है। उधर जिलों में इंटीग्रेटेड कोविड कमांड सेंटर की मदद से फोन कर टीकाकरण के लिए लोगों को बुलाया जा रहा है।
राज्य टीकाकरण अधिकारी डा. अजय घई ने बताया कि बच्चों के टीकाकरण में तेजी के लिए हर संभव प्रयास किया जा रहा है। दूसरी ओर 15 वर्ष से 18 वर्ष के बीच की उम्र के कुल 1.40 करोड़ किशोरों को टीका लगाया जाना है। अब तक 1.35 करोड़ किशोरों ने टीके की पहली और 1.05 करोड़ किशोरों ने दोनों डोज लगवा ली है। यानी 96.4 प्रतिशत किशोर वैक्सीन की पहली और 75 प्रतिशत ने दोनों डोज लगवाई है।
उधर 18 वर्ष से अधिक उम्र के 14.74 करोड़ वयस्कों को टीका लगाया जाना है। सभी वयस्कों ने टीके की पहली और 13.51 करोड़ ने दोनों डोज लगवा ली है। सिर्फ आठ प्रतिशत वयस्कों ने ही अब तक वैक्सीन की दूसरी डोज नहीं लगवाई है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) द्वारा जारी कोरोना से हुई मौतों से संबंधित रिपोर्ट पर भारत ने फिर से गहरी चिंता व्यक्त की है। विश्व स्वास्थ्य सभा में भारत ने कहा कि डब्ल्यूएचओ ने अपनी रिपोर्ट में अधिक मौतें दिखाई हैं। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया ने सभा को संबोधित करते हुए कहा कि उसने भारत और अन्य देशों की चिंताओं की अनदेखी की।
कोरोना से हुई मौतों को लेकर उसने जिस तरह से रिपोर्ट पेश की, उससे हमें बहुत निराशा हुई है। रिपोर्ट में भारत के प्रमाणिक डेटा को दरकिनार किया गया। कहा कि केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण परिषद एक संवैधानिक निकाय है। इसमें भारत के सभी राज्यों के स्वास्थ्य मंत्रियों का प्रतिनिधित्व है। उसने सर्वसम्मति से एक प्रस्ताव पारित किया, जिसमें मुझे इस संबंध में उनकी सामूहिक निराशा और चिंता को व्यक्त करने के लिए कहा गया।
स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने टीकों और दवाओं के लिए एक लचीली वैश्विक आपूर्ति शृंखला बनाने की आवश्यकता पर बल दिया है। यह टीकों, चिकित्सा विज्ञान और सुधारों के लिए डब्ल्यूएचओ की अनुमोदन प्रक्रिया को सुव्यवस्थित करता है। एक जिम्मेदार सदस्य के रूप में भारत इन प्रयासों में अहम भूमिका निभाने को तैयार है।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में कोविड-19 टीकाकरण की काफी धीमी गति को लेकर चिंता व्यक्त की है, और सभी पात्र लोगों को टीका लगाकर पूर्ण टीकाकरण कवरेज की गति में तेजी लाने का आग्रह किया है। केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण ने इस बारे में आज एक वीडियो कॉन्फ्रेंस (वीसी) के माध्यम से राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के स्वास्थ्य सचिवों और एनएचएम एमडी के साथ कोविड टीकाकरण की स्थिति की समीक्षा करने के बाद सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को सूचित किया है।
केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव ने देश भर में कोविड-19 टीकाकरण की हाल की गति में तेजी लाने के लिए एक गहन ‘मिशन मोड’ की तत्काल आवश्यकता पर प्रकाश डालते हुए राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को जून-जुलाई के दौरान दो महीने तक चलने वाले “हर घर दस्तक” अभियान 2.0 की विस्तृत योजना बनाने की सलाह दी है। जिसमें जिला, प्रखंड और ग्राम स्तर पर टीकाकरण की की विस्तृत योजना हो।
‘हर घर दस्तक’ अभियान 2.0 का उद्देश्य अलग-अलग अभियानों के जरिए घर-घर जाकर पात्र लोगों को पहले, दूसरे और एहतियाती खुराक देकर उनका पूर्ण टीकाकरण करना है जिसमें वृद्धाश्रमों, स्कूलों / कॉलेजों के लिए केंद्रित अभियान शामिल हैं। इसमें स्कूल के बाहर के बच्चे (12-18 वर्ष की आयु के बच्चों के लिए केंद्रित कवरेज), जेलों, ईंट भट्ठों, आदि में काम करने वालों का भी टीकाकरण शामिल है।
इसमें 60 वर्ष या इससे अधिक की आयु के लोगों के लिए एहतियाती खुराक देना शामिल है, जो इसके अभाव में बीमारी की चपेट में जल्द आ सकते हैं। इसके साथ ही 12-14 वर्ष के समूह में टीकाकरण कवरेज की उल्लेखनीय धीमी गति को भी इंगित किया गया। राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों से सभी पात्र लाभार्थियों की देय सूचियों के आधार पर सूक्ष्म योजनाओं के साथ प्रभावी निगरानी करने का आग्रह किया गया। उनसे निजी अस्पतालों के साथ नियमित रूप से 18-59 वर्ष आयु वर्ग के लिए एहतियाती खुराक दिलाए जाने की समीक्षा करने का भी आग्रह किया गया।
केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव ने राष्ट्रव्यापी कोविड-19 टीकाकरण की गति बढ़ाने के लिए एक स्पष्ट और प्रभावी संचार रणनीति पर जोर दिया। उन्होंने इस बात की ओर ध्यान दिलाया कि अनुकूलित क्षेत्रीय संचार की बेहतरीन तरीकों से देश ने 191 करोड़ से अधिक खुराक दिलाने में सराहनीय परिणाम प्राप्त किए हैं। उन्होंने क्षेत्र के असरदार लोगों, सामुदायिक नेताओं, अभिनव अभियानों आदि पर ध्यान केंद्रित करने की सलाह दी।
टीकों की राज्य-वार उपलब्धता बनाम बाकी लाभार्थियों के आंकड़ों के साथ, राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों को उनके पास अप्रयुक्त टीके की लगभग एक्सपायरी वाले खुराक के स्टॉक के बारे में सूचित किया गया था। यह खास तौर पर बताते हुए कि कोविड19 वैक्सीन एक अनमोल राष्ट्रीय संसाधन है, उन्हें यह सुनिश्चित करने की कड़ाई से सलाह दी गई कि किसी भी कीमत पर कोविड-19 टीकों की बर्बादी न हो।
यह सक्रिय निगरानी के माध्यम से और “फर्स्ट एक्सपायरी फर्स्ट आउट” सिद्धांत के आधार पर सुनिश्चित किया जाना चाहिए, जहां पहले एक्सपायर होने वाली खुराक का टीकाकरण के लिए उपयोग पहले किया जाना चाहिए। यह बताते हुए कि दिसंबर 2021 से राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों को उनकी मांग के अनुसार वैक्सीन खुराक की आपूर्ति की गई है, उन्हें सलाह दी गई कि वे पहले आगामी मई, जून और जुलाई महीनों में अप्रयुक्त पड़े खुराक का उपयोग करें।
कुछ राज्यों में, जो व्यक्ति विदेश यात्रा करना चाहते हैं और दूसरी खुराक के 90 दिनों के भीतर एहतियाती खुराक लेना चाहते हैं, उन्हें इच्छित विदेश यात्रा का प्रमाण प्रस्तुत करने के लिए कहा जा रहा है। केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव ने जोर देते हुए दोहराया कि किसी भी परिस्थिति में किसी भी टीकाकरण केंद्र या राज्य सरकार को विदेश यात्रा पर जाने से पहले एहतियाती खुराक की मांग करने वालों से विदेश यात्रा के किसी भी दस्तावेजी प्रमाण के लिए जोर नहीं देना चाहिए। इस संबंध में राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों को पहले ही जानकारी साझा किया जा चुका है।