कोलकाता। नागरिकता अधिनियम (सीएए) जल्द ही गुजरात की तरह पश्चिम बंगाल में भी लागू किया जाएगा। राज्य के विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी ने मंगलवार को पत्रकारों से बात करते हुए ऐसा दावा किया है। उन्होंने कहा कि अगर यह कानून लागू होता है तो मतुआ और नमशूद्र समुदाय को पुराने दस्तावेजों के लिए परेशान नहीं होना पड़ेगा।
शुभेंदु ने कहा कि यह सीएए का हिस्सा है। सीएए का क्रियान्वयन शुरू हो गया है। पश्चिम बंगाल भारत का हिस्सा है। यह पश्चिम बंगाल में भी होगा। इसमें कोई संदेह नहीं है। उनके शब्दों में सीएए संसद के दोनों सदनों से पारित हो चुका है। इसके बाद कानून बनता है। हम इंतजार कर रहे थे। इसी कानून में पश्चिम बंगाल के मतुआ और नमशूद्र समाज के प्रतिनिधियों को भी नागरिकता मिल जाएगी। अब उन्हें 1971 से पहले के दस्तावेज लाने की जरूरत नहीं होगी।
विपक्ष का पलटवार
शुभेंदु के इस बयान पर माकपा नेता सुजन चक्रवर्ती ने कहा कि भाजपा वोट के लिए लोगों को धोखा दे रही है। उनके पश्चिम बंगाल के नेता कुछ कह रहे हैं। असम के नेता कुछ और कहते हैं। इस तरह से नागरिकता देने का 1955 का कानून संविधान के खिलाफ है। किसने तय किया कि जो इतने लंबे समय से मतदान कर रहे हैं वे नागरिक नहीं हैं?
गुजरात विधानसभा चुनाव से पहले केंद्रीय गृह मंत्रालय ने मंगलवार को राज्य के दो जिलों में सीएए लागू करने की घोषणा की। 1955 के नागरिकता अधिनियम के अनुसार, आनंद और मेहसाणा जिलों में तीन पड़ोसी देशों के हिंदुओं, बौद्धों, ईसाइयों, सिखों, पारसियों, जैनियों को नागरिकता दी जाएगी। पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आए शरणार्थियों को नागरिकता मिलने वाली है।