जयपुर/दिल्ली। भारतीय जनता पार्टी की राजस्थान के विधानसभा चुनाव को लेकर एक और लिस्ट जारी हो गई। इसमें 83 प्रत्याशियों को भाजपा के चुनाव निशान पर मैदान में उतारा गया है। इसमें सबसे ज्यादा चौंकाने वाला नाम पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा की वरिष्ठ नेता वसुंधरा राजे का है।
भाजपा की 83 प्रत्याशियों की सूची आने पहले अभी तक राजस्थान के विधानसभा चुनाव में जितने प्रत्याशियों की घोषणा कर पार्टी के पक्ष में माहौल बनाने का प्रयास किया गया था, उनसे शीर्ष नेतृत्व को सर्वे में अच्छे संकेत नहीं मिल रहे थे। विभिन्न सर्वे में यह सामने आ रहा था कि राज्य के मुख्यमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अशोक गहलोत लोकप्रियता में सबसे आगे चल रहे हैं।
गहलोत के सामने भाजपा के पूर्व केंद्रीय मंत्री सांसद राज्यवर्धन सिंह राठौड़, सांसद दीया कुमारी और केंद्रीय मंत्रियों की लोकप्रियता आसपास भी नहीं दिख रही थी। हर सर्वे में गहलोत के बाद लोकप्रियता में वसुंधरा राजे ही उनके करीब दिखीं। यह तब था, जब वसुंधरा राजे को पहली लिस्ट में टिकट नहीं देने से राजस्थान में यह माहौल बन रहा था कि शीर्ष नेतृत्व राज्य में सरकार बनाने लायक बहुमत मिलने पर मुख्यमंत्री की कुर्सी पर किसी और चेहरे को मौका देने चाहता है। वसुंधरा राजे भाजपा के शीर्ष नेतृत्व की पहली पसंद नहीं हैं।
अब जो लिस्ट सामने आई है, उसने यह साबित कर दिया है कि सर्वे में लोकप्रियता में भाजपा के सभी नेताओं पर भारी पड़ रहीं वसुंधरा राजे को नजरअंदाज करना पार्टी के लिए विधानसभा चुनाव में समझदारी भरा फैसला साबित नहीं हो सकता है। जानकारों का दावा है कि यही वजह रही कि वसुंधरा राजे को उनकी परंपरागत सीट झालारपाटन से चुनाव मैदान में उतारना पड़ा। अब देखना होगा कि वसुंधरा और उनके समर्थकों को इससे किस हद तक मनाया जा सकता है, क्योंकि पूर्व मुख्यमंत्री के कई समर्थकों का टिकट काट देने से वसुंधरा राजे का खेमा भाजपा के शीर्ष नेतृत्व की रणनीति के साथ खड़ा नहीं दिखता है।