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बिहार के एकलौते रामसर साइट काबर में गूंजी विदेशी पक्षियों की चहचहाहट

by City Headline
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बेगूसराय। बिहार के इकलौते रामसर साइट बेगूसराय के काबर झील पक्षी विहार एक बार फिर से विदेशी मेहमान पक्षियों की चहचहाहट से गूंज उठा है। ठंड की दस्तक देने के साथ ही विभिन्न साइबेरियन देश से बड़ी संख्या में पक्षी आकर काबर झील में डेरा डाल चुके हैं।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार द्वारा रामसर साइट घोषित काबर के महालय, कोचालय, रजौड़ा डोव, बहोरा डोव, जरलका, धरारी, मेशहा, धनफर, पटमारा, पइनपीवा, भरहा, दशरथरही, लरही, धनफर, भिलखरा, गुआवाड़ी, सतावय डोव, सखीया डेरा एवं बोटमारा आदि बहियार इलाकों में बड़ी संख्या में लालसर, दिधौंच, सरायर, कारण, डुमरी, अधंग्गी, बोदइन एवं कोइरा आदि के साथ अन्य प्रजाति के चिड़ियों की चहचहाहट गूंज उठी है।
झील परिक्षेत्र में साइबेरियाई देश रुस, मंगोलिया, चीन आदि देशों से करीब 57 प्रजाति के पक्षी आते हैं तथा 108 प्रकार के देसी, विदेशी पक्षियों की पहचान की गई है। प्रवासी पक्षी ठंड शुरू होते ही नवम्बर माह से आना शुरू कर देते हैं और करीब तीन माह के प्रवास के बाद फरवरी के अंतिम सप्ताह से अपनी घर वापसी यात्रा शुरू कर देते हैं। हालांकि अपने जैव विविधता के कारण सात समुद्र पार तक के विदेशी पक्षियों को आकर्षित करने वाले काबर झील में विदेशी पक्षियों के आगमन के साथ उनका शिकार शुरू हो गया है, जो कि जैव विविधता पर खतरा उत्पन्न कर रहा है। रामसर साइट का बोर्ड लगने के साथ कुछ नया होने की आशा थी, लेकिन वन विभाग के अधिकारियों की उदासीनता के कारण वंश वृद्धि की साथ लेकर आने वाले विदेशी मेहमान पक्षियों की संख्या घटते जा रही है।
काबर नेचर क्लब के संरक्षक महेश भारती बताते हैं कि जैव विविधता से परिपूर्ण काबर वेटलैंड खासकर प्रवासी पक्षियों का स्वर्ग है। यहां 60 प्रजातियों की प्रवासी पक्षियां मध्य एशिया, चीन, मंगोलिया और साइबेरिया आदि जगहों से आती है। अपने वास स्थान में पड़ने वाले बर्फ और प्रतिकुल मौसम से बचने और अनुकूल वासस्थान की खोज के लिए यह पक्षी हजारों किलोमीटर की दूरी तय कर भारत के जलाशयों तक पहुंचते हैं। नवम्बर माह आते ही इनकी चहचहाहट गूंजने लगी है, इन्हें बुलाने में काबर पारिस्थितिकी तंत्र कारगर साबित होता है।
काबर परिक्षेत्र में चिड़ियों के शिकार पर 1986 से प्रतिबंध लागू है। लेकिन बिहार के अंतराष्ट्रीय महत्व के एकमात्र रामसर साइट काबर टाल पक्षी विहार क्षेत्र में नेट और जाल को बांस के सहारे स्थाई बांधकर बड़े पैमाने पर पक्षियों का शिकार किया जाता है। काबर टाल के अंदर जल जंगल के बीच हजारों विभिन्न प्रजातियों के पंछी रहते और विदेशों से प्रवास करने आते हैं। लेकिन, इस क्षेत्र में सैकड़ों जाल दूर देश से आने वाले प्रवासी पक्षियों के शिकार के लिए लगाकर शिकार किया जाता है। प्रतिबंधित क्षेत्र में व्यापक पैमाने पर नेट का प्रयोग कर स्थाई तौर पर पक्षियों का शिकार वन पर्यावरण विभाग, प्रशासन और सभ्य समाज पर एक धब्बा जैसा है।
महेश भारती कहते हैं कि मानवीय हलचल और शिकार माही के कारण यहां से कई स्थानीय और प्रवासी पक्षी गायब होते जा रहे हैं, इससे जैव विविधता पर बड़ा खतरा उत्पन्न हो गया है। जैव विविधता को नष्ट करते यहां खुलेआम देखा जा सकता है। लेकिन इसपर अब तक ना तो सरकार का ध्यान है और ना ही समाज का। शासन-प्रशासन को इन प्रवासी मेहमान के सुरक्षा की व्यवस्था करनी चाहिए, मानवीय हरकत पर रोक लगानी चाहिए। सुरक्षित जोन बनाकर, सभी का प्रवेश वर्जित करके ही यहां की गतिविधि संतुलित की जा सकती है। वृक्षारोपण और प्राकृतिक सिस्टम को संतुलित रखे बिना कुछ भी नहीं हो सकता है। फिलहाल बिहार के इस रामसर साइट पर भारी संख्या में पर्यटक नाव के सहारे टूर करने के लिए आकर्षित होने लगे हैं।