City Headlines

Home Uncategorized डाक विभाग नहीं करा रहा करोड़ों के घोटाले की जांच, आरटीआई लगाने पर नहीं दी सूचना

डाक विभाग नहीं करा रहा करोड़ों के घोटाले की जांच, आरटीआई लगाने पर नहीं दी सूचना

बेगूसराय प्रधान डाकघर में हुई अवैध निकासी मामले में अपनाया जा रहा है टालू रवैया

by City Headline
post office, Begusarai, Department of Posts, RTI, Scam, Investigation, Activist

बेगूसराय। बेगूसराय डाक प्रमंडल के विभिन्न डाकघरों में अगस्त में उजागर हुए घोटाले में डाक विभाग ने चार कर्मियों को निलंबित कर दिया, लेकिन उसके बाद इस मामले की गहन जांच किसी बड़ी एजेंसी करवाने में दिलचस्पी नहीं दिखाई जा रही है। अब तो डाक अधीक्षक ने सूचना का अधिकार अधिनियम आरटीआई के तहत सूचना सार्वजनिक करने से भी इंकार कर दिया है।
बेगूसराय के डाक अधीक्षक ने आरटीआई एक्टिविस्ट गिरीश प्रसाद गुप्ता द्वारा मांगी गई सूचना के जवाब में कहा है कि आरटीआई की धारा.आठ एच के तहत पारदर्शिता के तौर पर इसका खुलासा नहीं किया जा सकता है, जबकि मांगी गई सूचना पूरी तरह से आरटीआई के नियमों के अनुकूल है।
आरटीआई एक्टिविस्ट गिरीश प्रसाद गुप्ता ने बताया कि उन्होंने आठ नवम्बर को लोक सूचना अधिकारी सह डाक अधीक्षक को आरटीआई आवेदन भेज कर बेगूसराय प्रधान डाकघर में हुई अवैध निकासी से संबंधित विभागीय स्तर से की गई समुचित कार्रवाई की अद्यतन प्रगति से संबंधित सूचना की मांग की थी। इसके साथ ही इससे संबंधित वरीय पदाधिकारी को भेजे गए सभी कागजात, साक्ष्य प्रतिवेदन, जांच प्रतिवेदन आदि की अभिप्रमाणित छाया प्रति की मांग की गई थी।
इस मामले में संबंधित संचिका की छाया प्रति मांगी गई थी, जिस पर पूरा नाम विषय और संख्या सहित अद्यतन टिप्पणी नोट हो लेकिन लोक सूचना अधिकारी ने आरटीआई की धारा.आठ एच का गलत हवाला देकर मांगी गई सूचना को उपलब्ध कराने से साफ इंकार कर दिया है, जबकि मांगी गई सूचना देने योग्य है,
आरटीआई की धारा आठ एच में यह प्रावधान है कि सूचना जिससे अपराधियों के अन्वेषण, पकड़े जाने या अभियोजन की क्रिया में अड़चन पड़ेगी, नहीं देने की ही छूट है लेकिन उनके द्वारा मांगी गई सूचना भिन्न है, जो देय है। अधिकारी को आरटीआई की धारा 10 का अध्ययन कर वांछित सूचना उपलब्ध कराना चाहिए लेकिन वह जानकारी सार्वजनिक करने में बहाना कर रहे हैं।
आवेदक ने बताया कि मैंने हिंदी में अर्जी भेजी थी और डाक अधीक्षक ने अंग्रेजी भाषा में जवाब दिया है, जो आपत्तिजनक है। विभाग ने अपने जवाब के समर्थन में साक्ष्य की प्रति संलग्न नहीं की है। वरीय अपीलीय प्राधिकार का नाम, पद नाम और पता भी उपलब्ध नहीं कराया है, यह आरटीआई कानून का उल्लंघन है।
जवाब में पैरा दो का जवाब दिया गया है, लेकिन पैरा नंबर का उल्लेख एक एवं दो दोनों कर दिया गया है। यह सूचना पूरी तरह से भ्रामक और अस्पष्ट और आपत्तिजनक होने के साथ-साथ आरटीआई के नियमों का उल्लंघन है। लोक सूचना अधिकारी सह डाक अधीक्षक के जबाव पर आपत्ति पत्र भेजते हुए मांग की है कि आवेदन में उल्लेखित सूचना देय है, इसे सार्वजनिक किया जाय। फिर भी यदि सूचना नहीं दी जाती है तो आरटीआई अधिनियम में प्रथम अपील और द्वितीय अपील का प्रावधान है। उन्होंने कहा कि हम इस मामले को लेकर ऊपर तक जाएंगे।
यह है मामला
बेगूसराय डाक प्रमंडल के मुख्य डाकघर सहित विभिन्न उप डाकघर में गलत आधार कार्ड और पैन कार्ड के सहारे फर्जी खाता खोलकर दर्जनों चेक के माध्यम से डाक कर्मियों द्वारा करोड़ों के गबन का मामला जुलाई-अगस्त में सामने आया था। घोटाले के शुरुआती दौर में अवैध निकासी का मामला सामने आने के बाद डाक अधीक्षक ने प्रभारी पोस्ट मास्टर सहित चार डाक कर्मियों को निलंबित कर दिया, लेकिन घोटाले की उच्चस्तरीय जांच नहीं कराकर सरकार के राजस्व लूट को वैसे ही छोड़ दिया गया।
जांच के शुरुआती दौर में पता चला था कि प्रधान डाकघर के प्रभारी पोस्ट मास्टर सुबोध कुमार एवं चेक कस्टोडियन अमर कुमार की सहभागिता से कई उप डाकघर में फर्जी खाता खोला गया। जीडी कॉलेज उप डाकघर से 60 लाख रुपये, सुहृदनगर उप डाकघर से 14 लाख रुपये, बेगूसराय कोर्ट उप डाकघर से 40 लाख रुपये तथा लखमीनिया उप डाकघर से 13 लाख रुपये की अवैध निकासी का खुलासा उस समय हुआ था।
चर्चा है कि कई उप डाकघर में पटना सहित बाहरी लोगों के फर्जी आधार कार्ड और पैन कार्ड पर खाता खोलकर करोड़ों का घोटाला किया गया है। इसी मामले में उच्च स्तरीय जांच और कोई कार्रवाई नहीं होने के बाद आरटीआई एक्टिविस्ट ने जांच से संबंधित साक्ष्य की सूचना आरटीआई के माध्यम से मांगी थी, जिसे देने से इंकार कर दिया गया है।