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अयोध्‍या में चोल शासन काल में निर्मित सीता माता के मंदिर का जीर्णाेंद्धार शुरू

by City Headline
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अयाेध्या। भूमि पूजन संग रविवार को जानकी घाट स्थित सीता निवास में मां भगवती के मंदिर का जीर्णाेंद्धार कार्य शुरू हुआ। भूमि पूजन के दाैरान मंदिर के महंत अवनीश दास, हेड ट्रस्टी उदय प्रताप सिंह व उनकी धर्मपत्नी डॉ. श्यामा सिंह, ट्रस्टीगणाें में इंड्रस्टलिस्ट राकेश सिंह पालीवाल, कनिकराम पांडेय, अनिरुद्ध पांडेय, मुरलीधर पांडेय, पृथ्वीनाथ पांडेय, हवलदार पांडेय आदि माैजूद रहे।

सीता निवास मंदिर के वर्तमान पीठाधीश्वर महंत अवनीश दास ने कहा कि सीता निवास मंदिर बहुत ही पाैराणिक स्थल है। जाे लगभग 5 साै वर्ष पुराना स्थान है, जिसका पुराणाें में वर्णन है। इसके जीर्णोद्धार की अति आवश्यकता थी। मंदिर के सभी ट्रस्टीगण एकत्रित हुए। एक बैठक में सबने मिलकर निर्णय लिया कि माता सीता का एक भव्य मंदिर अयोध्या में हाेना चाहिए। साथ ही अयोध्या के विकास संग यहां से जुड़े हुए जितने भी भगवत सनातनी श्रद्धालुजन हैं। उनकी बेहतरी की व्यवस्था के लिए राममंदिर के साथ ही भगवती सीता के भव्य मंदिर का निर्माण कार्य प्रारंभ हाेना चाहिए। इसके लिए श्रीसीता निवास सेवा ट्रस्ट निरंतर कार्यरत व प्रयासरत है।

उन्होंने बताया कि मां जानकी के इस सीता निवास मंदिर काे भव्य स्वरूप दिया जाए, जाे मां जानकी के मंदिर के रूप में प्रतिष्ठित हाे। आज इसी परंपरा से हम सब जुड़े हैं। माता सीता मंदिर के जीर्णाेंद्धार का कार्य प्रारंभ हाे गया है। जाे जल्द ही भव्य रूप से बनकर तैयार हो जायेगा।

उन्होंने कहा कि चाेल वंश के राजाओं द्वारा स्थापित यह मंदिर है, जिसका पुराणाें में वर्णन आता। साधुशाही परंपरा में मैं यहां 5वीं पीढ़ी का महंत हूं। मंदिर में भगवान श्रीसीताराम, प्रतिष्ठित देवी भगवती जगत जननी हैं। इनके अलावा मंदिर में हनुमानजी की मूर्ति लगाई जायेगी। दिव्य-भव्य स्वरूप देकर मंदिर का जीर्णोद्धार करके पुराने वैभव काे लाैटाने का काम प्रारंभ किया गया है।

मंदिर के हेड ट्रस्टी उदय प्रताप सिंह ने कहा कि वह मठ के भूमिपूजन कार्यक्रम में अपनी धर्मपत्नी संग सम्मिलित हुए। माता सीता के भव्य मंदिर निर्माण हेतु जीर्णोद्धार का कार्य प्रारंभ हो गया है। वह खास इसी काम के लिए मुम्बई से अयोध्या आए थे। उन्हाेंने संकल्प लिया है कि चतुर्मास मास में ही सीता माता के भव्य-दिव्य मंदिर निर्माण का काम पूरा हाे जायेगा। इसमें लगभग 17-18 कमरे भी रहेंगे। जिनका उपयोग परमार्थ के लिए किया जायेगा।