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अमित शाह ने कहा, परमवीर चक्र विजेताओं के नाम पर 21 द्वीपों का नामकरण सशस्त्र बलों के लिए महत्वपूर्ण 

by City Headline
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नई दिल्ली। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह के 21 द्वीपों का नामकरण परमवीर चक्र विजेताओं के नाम पर करने के फैसले की सराहना की। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की यह पहल परमवीर चक्र विजेताओं की स्मृति को कायम रखने के साथ ही सशस्त्र बलों के लिए भी महत्वपूर्ण है।
अमित शाह आज नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 126वीं जयंती के मौके पर अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह में आयोजित कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। प्रधानमंत्री भी इस कार्यक्रम में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से जुड़े थे। शाह ने कहा, “आज का दिन भारतीय सशस्त्र बलों की तीनों शाखाओं के लिए एक महत्वपूर्ण है। परमवीर चक्र पुरस्कार विजेताओं के नाम पर अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह के 21 द्वीपों का नामकरण करने की प्रधानमंत्री मोदी की महान अभूतपूर्व पहल हमारे सशस्त्र बलों के लिए बहुत ही प्रेरणादायक है।”
उन्होंने कहा कि परमवीर चक्र पुरस्कार विजेताओं के नाम पर द्वीपों का नाम रखने की प्रधानमंत्री की पहल यह सुनिश्चित करेगी कि उन्हें हमेशा याद रखा जाए। प्रधानमंत्री के मजबूत नेतृत्व में लिए गए सभी निर्णय निश्चित रूप से भारत के स्वतंत्रता आंदोलन के साथ अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह के जुड़ाव को स्वीकार करते हैं और इसकी सराहना करते हैं।
शाह ने कहा कि पूरे विश्व में किसी भी देश ने अपने लिए लड़ने वाले जवानों के नाम पर अपने द्वीपों का नाम रख कर उनको सम्मानित करने का कदम नहीं उठाया। आज भारत के प्रधानमंत्री की यह पहल जिसके तहत अंडमान-निकोबार द्वीप समूह के 21 बड़े द्वीपों को हमारे परमवीर चक्र विजेताओं के नाम के साथ जोड़ कर, उनकी स्मृति को जब तक यह पृथ्वी रहेगी तब तक चिरंजीव करने का प्रयास सेना का उत्साह बढ़ाएगा।
उन्होंने कहा कि सेल्युलर जेल महज एक जेल नहीं, आजादी की लड़ाई का एक बहुत बड़ा तीर्थ स्थान है। देश के इसी हिस्से को सबसे पहले स्वतंत्रता प्राप्त होने का सम्मान मिला और स्वयं नेताजी द्वारा तिरंगा फहरा कर यह सम्मान मिला। आज 21 द्वीपों को नाम नहीं दिया गया है बल्कि 21 वीरों के पराक्रम को नमन करते हुए 21 दीप जलाने का काम प्रधानमंत्री द्वारा किया गया है।
शाह ने कहा कि यह दुर्भाग्य रहा कि नेताजी सुभाष चंद्र को भुलाने का बहुत प्रयास किया गया लेकिन जो वीर होते हैं वो अपनी स्मृति के लिए किसी के मोहताज नहीं होते हैं। हमने सुभाष बाबू की कर्तव्य पथ पर मूर्ति लगाने का काम किया, उनकी जयंती को ‘पराक्रम दिवस’ के रूप में मनाया।