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Explained : अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप की जीत, क्या अब जाएंगी भारतीय सॉफ्टवेयर इंजीनियर्स की नौकरियां?

अमेरिका के राष्ट्रपति चुनाव में डोनाल्ड ट्रंप की जीत सुनिश्चित हो चुकी है. उनके दोबारा ये पद संभालने के बाद दुनियाभर में गतिविधियां बदलेंगी और इकोनॉमी पर भी असर होगा. ऐसे में एक बड़ा डर ये है कि क्या अब भारत में आईटी इंडस्ट्री की जॉब्स जाना शुरू होंगी?

by Kajal Tiwari

अमेरिका के राष्ट्रपति चुनाव में डोनाल्ड ट्रंप की जीत के लिए भारत में कई जगहों पर हुए हवन-पूजा का फल सफल होता दिख रहा है. डोनाल्ड ट्रंप की जीत पक्की हो चुकी है और वह आने वाले दिनों में अमेरिका के नए राष्ट्रपति होंगे. लेकिन अब बड़ा सवाल ये है कि डोनाल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति बनने से पूरी दुनिया में क्या बदलाव होंगे? दुनिया की इकोनॉमी पर इसका क्या असर होगा? इतना ही नहीं क्या इससे भारत में आईटी इंडस्ट्रीज में जॉब्स जाएंगी?

डोनाल्ड ट्रंप के अमेरिका का राष्ट्रपति बनने का असर भारतीयों पर कैसे पड़ेगा, इसके लिए हमें उनके पिछले कार्यकाल के कामकाज को देखना होगा. साथ ही इस बार उनके चुनाव प्रचार के मुद्दों को समझना होगा. इससे एक बड़ी तस्वीर समझ आएगी.

ट्रंप की इमिग्रेशन पॉलिसी, H-1B Visa और नौकरियां

डोनाल्ड ट्रंप अपने चुनाव प्रचार के दौरान इमिग्रेशन पॉलिसी को लेकर काफी मुखर रहे हैं. उन्होंने साफ कर दिया है कि H-1B वीजा प्रोग्राम को सीमित करेंगे. इसका नुकसान भारतीयों को ही सबसे ज्यादा होने वाला है, क्योंकि अगर इस पॉलिसी में बदलाव होता है तो वीजा रिजेक्शन से लेकर प्रोसेसिंग फीस तक बढ़ जाएगी. जबकि एच-1बी वीजा पर नौकरी करने जाने वालों को अधिक वेज इंफ्लेशन का भी सामना करना पड़ सकता है.

भारतीय आईटी प्रोफेशनल्स अमेरिका में नौकरी करने के लिए इसी वीजा पर निर्भर करते हैं. इसका फायदा भारत की आईटी कंपनियां भी उठाती हैं. ऐसे में भारतीय आईटी कंपनियों से लेकर आईटी प्रोफेशनल्स तक ट्रंप की इमिग्रेशन पॉलिसी का असर पड़ेगा.

जेएम फाइनेंशियल की एक रिपोर्ट के मुताबिक पिछली बार जब डोनाल्ड ट्रंप राष्ट्रपति बने थे, तब उन्होंने एक एग्जीक्यूटिव ऑर्डर पास किया था ‘Buy American and Hire American’. उनके इस बार के चुनाव प्रचार में भी इस बात पर लगातार जोर दिया गया है. उनके पहले कार्यकाल में भी एच-1बी वीजा लेने की मुश्किलें बढ़ी थीं.

हालांकि इसी रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि एच-1बी वीजा से कंपनियों पर पड़ने वाला असर इस बार सीमित रह सकता है, क्योंकि डोनाल्ड ट्रंप ने कॉरपोरेट टैक्स में कमी करने के संकेत दिए हैं. ये 21 प्रतिशत से 15 प्रतिशत पर आ सकता है. ऐसे में अमेरिकी कंपनियों की लागत कम होगी, जिससे वह नौकरी पर बाहरी लोगों को रख सकती हैं.

कितना जरूरी है भारत के लिए H-1B Visa?

साल 2022 में अमेरिका ने जितने एच-1बी वीजा जारी किए, उसमें 72 प्रतिशत से भी ज्यादा सिर्फ भारतीयों को जारी किए गए. एच-1बी वीजा भारतीयों को सिर्फ ग्रेजुएशन की डिग्री पर भी अमेरिका में नौकरी करने की छूट देता है. इतना ही नहीं इस वीजा के साथ एक से ज्यादा अमेरिकी एम्प्लॉयर के साथ काम करना भी मुमकिन होता है. वहीं अपने परिवार को साथ में अमेरिका ले जाने की छूट मिलती है, और परिवार के सदस्य भी वहां पर नौकरी कर सकते हैं.

लंबे समय तक एच-1बी वीजा पर काम करने के बाद लोगों को अमेरिका की स्थायी नागरिकता लेने का मौका भी मिलता है. हालांक अब इसकी हर साल की एक निश्चित सीमा है और इसकी वजह से एच-1बी वीजा से ग्रीन कार्ड पाने वाले भारतीयों के लिए वेटिंग लंबी हो गई है. ये अब एक दशक से भी अधिक लंबी वेटिंग है.