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अब पशुओं के लिए नहीं होगी हरे चारे की कमी, प्रशासन लगा रहा नेपियर घास, कई बार कर सकेंगे कटाई

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पशुपालकों को अब हरे चारे की कमी का सामना नहीं करना पड़ेगा. प्रशासन की तरफ से किसानों (Farmers) के लिए एक खास किस्म की घास लगाई जा रही है, जो कम जगह और समय में ज्यादा से ज्यादा उत्पादन दे सकती है. गर्मी के मौसम में पशुपालक हरे चारे की कमी से परेशान रहते हैं. इसका असर दुग्ध उत्पादन के साथ ही पशुओं के स्वास्थ्य पर भी पड़ता है. इसी को देखते हुए उत्तर प्रदेश के गाजीपुर जिला प्रशासन ने चारा की व्यवस्था करनी शुरू कर दी है.

जिले में मनरेगा योजना के तहत 22 चारागाह स्थल का चयन कर नेपियर घास रोकने की योजना बनाई गई है. इसके लिए मुख्य विकास अधिकारी प्रकाश गुप्ता ने सदर विकास खंड के अगस्ता सलामतपुर गांव में जमीन का सीमांकन करते हुए नेपियर घास की रोपाई का कार्य प्रारंभ करा दिया है. जनपद में बनाए गए स्थाई और अस्थाई गौशाला के लिए भी चारे की जरूरत पड़ती है, जिसे देखते हुए जिला प्रशासन ने इस घास को लगाने का निर्णय लिया है.

किसी भी मौसम में उगा सकते हैं यह घास

इस घास की खासियत यह है कि इसे पानी की ज्यादा आवश्यकता नहीं होती. नेपियर घास को किसी भी मौसम में उगया जा सकता है. यह पशुओं हेतु उत्तम चारा है. इसे खाने से पशुओं में गैस की समस्या नहीं होती है और यह बहुत ही फायदेमंद व पौष्टिक चारा है. इस हरे चारे को ग्रामवासी तथा मनरेगा से निर्मित अस्थायी पशु आश्रय के पशुओं को आपूर्ति किया जाएगा. घास का बीज मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी के माध्यम से जनपद में उपलब्ध कराया जा रहा है.

प्रदेश सरकार के निर्देश पर गौशालाओं में संरक्षित पशुओं की देखभाल व खानपान के लिए शासन की ओर से प्रति पशु 30 रुपए प्रतिदिन के हिसाब खर्च किया जाता है. ऐसे में पशुओं को पौष्टिक आहार की जगह केवल सूखा भूसा व नाम मात्र का राशन मिल पाता है. पौष्टिक चारे की कमी से गो-आश्रय स्थलों से लगातार पशुओं के कमजोर होकर मौत होने की शिकायतें भी आती हैं. अब संरक्षित पशुओं को साल भर हरा पौष्टिक चारा उपलब्ध हो सके, इसके लिए नेपियर घास की रोपाई की जा रही है.

एक एकड़ में खेती से 100 पशुओं को नियमित हरा चारा

नेपियर घास की रोपाई के तीन माह यानी 90 दिन बाद पहली कटाई की जाती है. तैयार घास की कटाई के बाद जड़ों से निकले किल्लों की कटिंग करके दूसरी जगह रोपाई की जा सकती है. एक एकड़ क्षेत्रफल में रोपी गई घास से 100 पशुओं को नियमित रूप से हरा चारा उपलब्ध होता रहता है.

एक अनुमान के मुताबिक, देश में करीब 53 करोड़ पशु हैं. उनके लिए पौष्टिक चारे की व्यवस्था करना किसानों के लिए एक चुनौतीपूर्ण काम होता था. इसी को देखते हुए वैज्ञानिकों ने कम जगह में अधिक चारा उत्पादन करने वाली घास की किस्म को विकसित किया, जिसका फायदा सभी पशुपालकों को मिल रहा है. अब गाजीपुर के पशुपालकों को भी हरे चारे की कमी का सामना नहीं करना पड़ेगा.

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