राजस्थान सरकार में कृषि और ग्रामीण मंत्री किरोड़ीलाल मीणा का अपने पद से इस्तीफा यूं ही नहीं आया है. कहने को तो पार्टी और खुद किरोड़ीलाल मीणा यही कह रहे हैं कि उन्होंने वादा किया था कि पूर्वी राजस्थान की 7 सीटों में से अगर बीजेपी एक भी हारती है तो वह अपने पद से इस्तीफा दे देंगे. इसलिए वो इस्तीफा दे रहे हैं. इन सात सीटों में से बीजेपी 4 सीटें हार गई जिनमें दौसा, करौली-धौलपुर, टोंक-सवाई माधोपुर और भरतपुर सीट शामिल है. पर राजस्थान की राजनीति समझने वाला हर शख्स जानता है कि ये सिर्फ बहाना है. निशाना कहीं और है.
दरअसल राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा से किरोड़ीलाल मीणा के संबंध खराब ही होते जा रहे थे. मंत्रिमंडल में मनपसंद विभाग न मिलने के चलते वो पहले से ही नाराज थे. पर दिक्कत यह है कि उनका इस्तीफा ऐसे समय आया है जब प्रदेश में कुछ ऐसी सीटों पर उपचुनाव होने हैं जहां का खेल मीणा के न होने के चलते पार्टी के लिए खराब हो सकता है. बीजेपी के लिए इस समय एक-एक जीत निर्णायक है. जिस तरह का माहौल बीजेपी के खिलाफ बन रहा है उसमें बीजेपी किसी भी शर्त पर एक और हार बर्दाश्त नहीं कर सकती है. पर मीणा के इस्तीफे से अगर पार्टी सबक ले लेती है तो कम से कम यूपी-बिहार और अन्य राज्यों में जो असंतोष पल रहा है उनके फूटने पर लगाम लग सकती है.