दिल्ली की उत्तर पूर्व लोकसभा सीट बेहद बहुत महत्वपूर्ण है। दरअसल दिल्ली की यह वही सीट है, जहां भारतीय जनता पार्टी ने अपने सभी प्रत्याशियों के टिकट काटने के बावजूद भी वर्तमान प्रत्याशी को रिपीट किया है। यहां पर सांसद और पूर्व प्रदेश अध्यक्ष मनोज तिवारी सियासी मैदान में हैं। वहीं दूसरी ओर INDIA गठबंधन से कन्हैया कुमार चुनाव लड़ रहे हैं। इस सीट की अहमियत का अंदाजा इसी बात से लग जाता है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर भाजपा के बड़े-बड़े कद्दावर नेता यहां पर चुनाव प्रचार करने उतर चुके हैं। स्थानीय लोगों की मानें, तो यहां पर लड़ाई “परसेप्शन” की बनी हुई है। भाजपा के सांसद मनोज तिवारी जहां क्षेत्र में किए गए 14000 करोड़ रुपये के काम और बड़े पूर्वांचल के चेहरे के सहारे सियासी अखाड़े में हैं। वहीं, कन्हैया कुमार भी पूर्वांचल चेहरे के नाते और क्षेत्र में समस्याओं के अंबार को आगे करके चुनाव लड़ रहे हैं।
यमुना खादर के पुस्ता रोड पर लोहे की दुकान चलाने वाले प्रभु दयाल कहते हैं कि यहां चुनाव बहुत लंबे समय से चल रहा है। उनका आशय चुनाव की घोषणा के बाद उत्तर पूर्वी इलाके में हुई सियासी सक्रियता को लेकर था। वह कहते हैं कि दो महीने तक यहां पर जमकर प्रचार हुआ है। शुरुआती दौर में तो भाजपा के मनोज तिवारी ही मैदान में नजर आते थे, क्योंकि गठबंधन का कोई प्रत्याशी नहीं था। प्रभुदयाल कहते हैं कि यह बात तो सच है कि उनके इलाके में काम खूब हुआ है। लेकिन जाम जैसी समस्या से निजात अभी तक नहीं मिली है। वह बताते हैं कि जैसे ही गठबंधन के प्रत्याशी के तौर पर कन्हैया कुमार का नाम तय हुआ, तो इस इलाके में भी सियासत गर्म हो गई। वह वोट किसको देंगे इस बारे में तो उन्होंने कोई इशारा नहीं किया, लेकिन यह बात जरूर कहीं कि मैदान में सियासी गहमा गहमी खूब दिख रही है।
बुराड़ी की एक इंडस्ट्री में काम कर रहे दीपक साहू कहते हैं कि उनके इलाके में समस्याएं बहुत हैं। सड़कों से लेकर अतिक्रमण और जाम तो है। लेकिन दीपक कहते हैं उन्होंने 2014 से पहले शीला दीक्षित का भी कार्यकाल देखा था। और उसके बाद मनोज तिवारी का भी कार्यकाल देखा है। उनका कहना है कि इलाके में बड़े स्तर पर काम तो खूब हुआ है। लेकिन अभी भी छोटी-छोटी समस्याएं हैं, जिन्हें दूर किया जाना बाकी है। दीपक कहते हैं कि केंद्र की मोदी सरकार जिस तरीके से काम कर रही है, उससे विकास तो दिख रहा है। कन्हैया कुमार के सियासी मैदान में उतरने पर दीपक साहू कहते हैं कि चुनाव यहां का रोचक हुआ है। हालांकि वह गठबंधन की उस रणनीति से नाराज दिखे, जिसमें आम आदमी पार्टी और कांग्रेस दिल्ली में मिलकर चुनाव लड़ रही है, जबकि पंजाब में आमने-सामने है। बाबजूद इसके साहू कहते हैं कि कन्हैया कुमार के आने से इकतरफा लड़ाई की, जो बात चल रही थी वह पूरी तरह समाप्त हो गई है। अब यहां मामला लड़ाई का बना हुआ है।
दिल्ली के उत्तर पूर्व लोकसभा क्षेत्र में काम करने वाली संस्था “पूर्वांचल साथी” के जगन्नाथ राय कहते हैं कि यहां के चुनाव में परसेप्शन की लड़ाई है। यह लड़ाई इस बात की है कि मनोज तिवारी भाजपा के बड़े स्टार प्रचारक हैं और कन्हैया कुमार भी गठबंधन के बड़े चेहरे हैं, दोनों में कौन अव्वल है। दोनों नेताओं को सिर्फ उनकी लोकसभा क्षेत्र ही नहीं, बल्कि देश के अलग-अलग हिस्सों में बड़ी पहचान मिली है। राय कहते हैं कि परसेप्शन दोनों ओर से बनाया जा रहा है। गठबंधन के लोग जहां मनोज तिवारी पर आरोप लगा रहे हैं, विकास न करने का वहीं भारतीय जनता पार्टी कन्हैया कुमार के टुकड़े-टुकड़े गैंग के तौर पर प्रचारित कर रहा है। हालांकि इसे लेकर दोनों तरफ से जमकर बयानबाजी हो रही है। जगन्नाथ राय कहते हैं कि यह बात सच कि दोनों नेता पूर्वांचल से आते हैं। मनोज तिवारी पिछले 10 साल से क्षेत्र में हैं। जबकि कन्हैया कुमार अभी इस लोकसभा के मैदान में आए हैं। पूर्वांचल साथी के जगन्नाथ राय कहते हैं कि बाहरी चेहरे के परसेप्शन की भी लड़ाई यहां पर चल रही है।
वहीं, भारतीय जनता पार्टी के वर्तमान सांसद और प्रत्याशी मनोज तिवारी कहते हैं कि दस वर्षों में जितना काम नॉर्थ-ईस्ट दिल्ली के इलाके में हुआ है, उतना पहले कभी हुआ ही नहीं। कनेक्टिविटी के मामले में दिल्ली का यह क्षेत्र आज आगे है। आप देखिए देहरादून अगर किसी को जाना होगा, तो यहीं से गुजरना होगा। कितनी बेहतरीन कनेक्टिविटी देश के अलग-अलग हिस्सों के लिए हो रही है मेरे क्षेत्र से। हाईवे से लेकर मेट्रो और सड़कों से लेकर गलियों तक में खूब काम हुआ है। इस इलाके में केंद्रीय विद्यालय से लेकर मेट्रो, सिग्नेचर ब्रिज, एलिवेटेड रोड जैसे तमाम विकास के काम हुए। जबकि कुछ पर काम चल रहा है। यहां पर ट्रिपल डेक ब्रिज बन रहा है। इसमें ऊपर मेट्रो चलेगी। बीच में, फ्लाईओवर होगा और नीचे सड़क होगी। इस इलाके में ट्रैफिक जैसी समस्याएं बहुत कम हुई हैं, और आगे पूरी तरीके से खत्म हो जाएंगी।