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मायावती ने कहा, उपराष्ट्रपति का मजाक उड़ाना अशोभनीय कार्य

बसपा धर्मनिरपेक्ष पार्टी, सभी धर्मों का करती है सम्मान : मायावती

by City Headline
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लखनऊ। बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की राष्ट्रीय अध्यक्ष और उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने गुरुवार को एक प्रेसवार्ता की। इस दौरान उन्होंने कहा कि बसपा धर्मनिरपेक्ष पार्टी है। हमारे देश में विभिन्न धर्म को मानने वाले लोग रहते हैं, जिसका बसपा हमेशा सम्मान करती रही है। उत्तर प्रदेश के अयोध्या में नवनिर्मित राममंदिर का जो उद्घाटन होने जा रहा है, उसका हमारी पार्टी को कोई भी ऐतराज नहीं है। मायावती ने कहा कि राज्यसभा सभापति का निलम्बित सांसदों द्वारा मजाक उड़ाना अशोभनीय है।

पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने अपने बयान में कहा कि अयोध्या में कोर्ट के आदेश पर जब भी मस्जिद का निर्माण होता है तो तब भी उसके उद्घाटन का हमारी पार्टी को ऐतराज नहीं करेगी। हमारी पार्टी सभी धर्मस्थलों का पूरा सम्मान करती है लेकिन पिछले कुछ वर्षों से घिनौनी राजनीति की जा रही है, ये दुखद और चिंतनीय है। जो नहीं होना चाहिए। इससे अपना देश कमजोर ही होगा, मजबूत नहीं।

उन्होंने कहा कि बसपा का मानना है कि संसद के वर्तमान सत्र के दौरान दोनों सदनों से रिकार्ड संख्या में लगभग 150 सांसदों का निलम्बन होना, सरकार व विपक्ष के लिए भी कोई गुडवर्क या महान कीर्तिमान नहीं है। कसूरवार कोई भी हो किंतु संसदीय इतिहास के लिए यह घटना लोगों को आघात पहुंचाने वाला है। इसी दौरान राज्यसभा सभापति का निलम्बित सांसदों द्वारा मजाक उड़ाना अशोभनीय है। इसी प्रकार सरकार और विपक्ष के जबरदस्त टकराव वाली घटना से देश के लोकतंत्र और ससंदीय परम्पराओं को शर्मसार होने से बचाना जरुरी है। विपक्ष विहिन संसद में आमहित से जुड़े अतिमहत्वपूर्ण विधेयक पारित होना भी अच्छी परम्परा नहीं है।

मायावती ने कहा कि संसद की सुरक्षा में जो सेंध लगायी गयी है, ये ठीक नहीं है। यह अतिगम्भीर व चिंतनीय है। सभी को संसद की सुरक्षा पर गम्भीरता से लेना चाहिए। खुफिया विभाग को सतर्क रहने की आवश्कता है, जिससे इस प्रकार की घटना पुन: ना होने पाये।

उन्होंने आगे कहा कि विपक्ष के गठबंधन में बसपा सहित अन्य जो भी विपक्ष की पार्टियां शामिल नहीं है। उनके बारे में बेफिजुल टीका-टिप्पणी करना सही नहीं है। भविष्य में जनहित में किसे किसको किसी की जरुरत पड़ जाये, ये भी कहा नहीं जा सकता है। फिर ऐसे में किसी पार्टी को शर्मिंदगी उठानी पड़े, ये ठीक नहीं है। इस मामले में समाजवादी पार्टी इसका जीता जागता उदाहरण भी है।