City Headlines

Home Delhi सेंगोल के इतिहास को नकारना शर्मनाक, कांग्रेस को भारतीय परंपरा और संस्कृति से नफरत क्योंः अमित शाह

सेंगोल के इतिहास को नकारना शर्मनाक, कांग्रेस को भारतीय परंपरा और संस्कृति से नफरत क्योंः अमित शाह

'सेंगोल के माध्यम से सत्ता के हस्तांतरण' के इतिहास को कांग्रेस ने नकारा

by Suyash
Parliament, Security, Burglary, House, Lok Sabha, Rajya Sabha, Home Minister, Jairam Ramesh, New Delhi, Congress, Rajya Sabha Member, Central Government

नई दिल्ली । प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी कोई काम करें उसको लेकर विपक्षी दल कोई विवाद न खड़ा करें ऐसा बहुत काम देखा गया है। नए संसद भवन के उद्घाटन के विवाद के साथ अब ‘संगोल ‘ पर भी आरोप प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया है। कांग्रेस ने ‘सेंगोल के माध्यम से सत्ता के हस्तांतरण’ के इतिहास को नकारते हुए इस पर सवाल खड़े किए हैं। तो केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कांग्रेस के ‘सेंगोल के माध्यम से सत्ता के हस्तांतरण’ के इतिहास को नकारने को शर्मनाक बताया है और पूछा है कि कांग्रेस पार्टी भारतीय परंपराओं और संस्कृति से इतनी नफरत क्यों करती है।
पत्रकारों से बात करते हुए अमित शाह ने कहा कि अब कांग्रेस ने एक और शर्मनाक अपमान किया है। एक पवित्र शैव मठ, थिरुवदुथुराई अधीनम ने स्वयं भारत की स्वतंत्रता के समय सेंगोल के महत्व के बारे में बात की थी। कांग्रेस अधीनम के इतिहास को झूठा बता रही है। कांग्रेस को अपने व्यवहार पर विचार करने की जरूरत है।
उन्होंने कहा कि भारत की स्वतंत्रता के प्रतीक के रूप में तमिलनाडु के एक पवित्र शैव मठ द्वारा पंडित नेहरू को एक पवित्र सेंगोल दिया गया था, लेकिन इसे ‘चलने की छड़ी’ के रूप में एक संग्रहालय में भेज दिया गया था।
इसके पूर्व कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने एक बयान में कहा कि माउंटबेटन, राजाजी और नेहरू द्वारा राजदंड को भारत में ब्रिटिश सत्ता के हस्तांतरण के प्रतीक के रूप में वर्णित करने का कोई दस्तावेजी साक्ष्य नहीं है। इस आशय के सभी दावे सही मायने में ‘बोगस’ हैं। कांग्रेस पार्टी ने ‘सेंगोल के माध्यम से सत्ता के हस्तांतरण’ के इतिहास को नकारते हुए इस पर सवाल खड़े किए हैं। इस पर कटाक्ष करते हुए पार्टी ने इसे ‘व्हाट्सएप यूनिवर्सिटी’ का झूठा दावा बताया है।
कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने एक बयान में कहा कि माउंटबेटन, राजाजी और नेहरू द्वारा राजदंड को भारत में ब्रिटिश सत्ता के हस्तांतरण के प्रतीक के रूप में वर्णित करने का कोई दस्तावेजी साक्ष्य नहीं है। इस आशय के सभी दावे सही मायने में ‘बोगस’ हैं।
कांग्रेस नेता ने कहा कि एक बार फिर बड़ी बातें की गई हैं और उसे साबित करने के लिए कोई साक्ष्य पेश नहीं किए गए हैं। उन्होंने कहा कि असली सवाल यह है कि राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को नई संसद का उद्घाटन करने की अनुमति क्यों नहीं दी जा रही है?
जयराम रमेश ने इस बात को स्वीकार किया कि तत्कालीन मद्रास प्रांत में एक धार्मिक प्रतिष्ठान द्वारा मद्रास शहर में तैयार किए गए राजसी राजदंड को अगस्त 1947 में नेहरू को सौंपा गया था। वहीं सत्ता हस्तांतरण के तौर पर इसके उपयोग के दावे पर अच्छी साख रखने वाले दो बेहतरीन राजाजी (सी राजगोपालाचारी) विद्वानों ने आश्चर्य व्यक्त किया है। जयराम रमेश ने आरोप लगाया कि राजदंड का इस्तेमाल तमिलनाडु की राजनीति के लिए हो रहा है।