आज मंगलवार 30 अगस्त को भाद्रपद शुक्ल पक्ष की चतुर्थी है । इस दिन चन्द्र का दर्शन वर्जित है । जाने अनजाने किसी प्रकार दर्शन करने वाले मनुष्य को अपयश का भागी होना पड़ता है । पण्डित शक्ति धर त्रिपाठी के अनुसार इस चतुर्थी के चन्द्र दर्शन से बचना श्रेयष्कर होता है ।वैसे रात्रि के 08:16 बजे चंद्रमा अस्त हो जाएँगे ।
अनायास दर्शन हो ही जाए तो भागवत महा पुराण के स्मयन्तक मणि की कथा सुन लेनी चाहिये ।अथवा निम्नलिखित मन्त्र का 108 बार जप करना चाहिये
“ सिंह: प्रसेनमवधीत् सिंहों जाम्बवता हत: ।
सुकुमार कुमारोदीस्तव ह्येष स्यमन्तक: ॥”
पुराण में आया है कि
चन्द्रमा द्वारा भाद्रपद शुक्ल पक्ष की चतुर्थी के दिन गणेश जी की हंसी उड़ाने पर गणेश जी ने चन्द्रमा को शाप दे दिया था कि “तुम तीनों लोकों में अदर्शनीय हो जाओगे।”
ब्रह्मा जी सहित समस्त देवताओं ने गणेश जी की स्तुति कर शाप निवारण की प्रार्थना की। तब गणेश जी ने प्रसन्न होकर अपने शाप को सीमित कर दिया और कहा कि “भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को ज्ञान अथवा अज्ञान में भी जो अभिशप्त चन्द्रमा को देख लेगा, वह महान दु:ख का भाजन होगा।”
चन्द्रमा द्वारा गणेश जी का कठोर तप करने के बाद गणेश जी ने प्रसन्न होकर उसे शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को सबके लिए प्रणम्य होने का वरदान दिया। गणेश जी ने यह भी वरदान दिया कि मानव द्वारा कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को तुम्हारे उदय होने पर ही मेरी पूजा होगी और तुम भी प्रयत्न पूर्वक पूजे जाओगे।
तब से ही कृष्ण पक्ष की चतुर्थी व्रत के दिन मानव चन्द्रोदय के पश्चात ही गणेश जी की पूजा कर भोजन करते हैं।
साथ ही एक कला से चन्द्रमा को अपने मस्तक पर धारण किया। इससे गणेश जी का एक नाम “भालचन्द्र” भी हुआ।