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रामजन्मभूमि पर होगा मूर्तियों की प्राण प्रतिष्ठा का अनुष्ठान, सीएम भी होंगे शामिल

by City Headline

अयोध्या

रामजन्मभूमि पर भव्य मंदिर तो निर्मित हो ही रहा है लेकिन रामलला के दर्शन मार्ग पर ही द्रविड़ शैली में निर्मित रामलला देवस्थानम पूर्ण हो चुका है। यहां 31 मई से मूर्तियों की प्राण प्रतिष्ठा का अनुष्ठान प्रारंभ होगा। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ इसमें शामिल होंगे। देवस्थानम में श्रीराम, सीता, भरत, लक्ष्मण, शत्रुघ्न एवं हनुमान जी के विग्रहों की प्राण-प्रतिष्ठा का अनुष्ठान चार जून तक चलेगा।

इसका निर्माण प्रख्यात कथाव्यास एवं रामानुजीय परंपरा के शीर्ष आचार्य जगद्गुरु डॉ. राघवाचार्य करा रहे हैं। उन्होंने तीन वर्ष पूर्व करीब एक एकड़ परिसर में देवस्थानम का शिलान्यास रामलला की इस प्रार्थना के साथ किया कि देवस्थानम का निर्माण पूर्ण होते-होते रामजन्मभूमि पर मंदिर निर्माण का मार्ग प्रशस्त हो सकेगा और आज देवस्थानम की पूर्णता के साथ उनकी यह प्रार्थना भी पूरी भव्यता से फलीभूत हो रही है।

द्रविड़ परंपरा में मंदिर को दिव्य देश कहा जाता है। स्थापत्य की शास्त्रीयता के अनुरूप दिव्य देश में गर्भगृह, अद्र्ध मंडप, पूर्ण मंडप, गोपुरम, राज गोपुरम, गरुड़ स्तंभ एवं बलि पीठ के रूप में मुख्यतया सात प्रखंड होते हैं और देवस्थानम इन सभी प्रखंडों से संयोजित है। राज गोपुरम यानी मंदिर का सिंहद्वार भव्यता और कला का शानदार उदाहरण है। राज गोपुरम पांच तल का है।

प्रत्येक तल जय-विजय की प्रतिमा से सज्जित है और 55 फीट ऊंचा संपूर्ण राज गोपुरम अनेक शिखरों-श्रेणियों के साथ भगवान के सभी 24 अवतारों तथा अनेकानेक देव प्रतिमाओं से सज्जित है। अकेले पूर्वाभिमुख राज गोपुरम ही नहीं गोपुरम यानी मंदिर का उत्तराभिमुख उप द्वार भी भव्यता का पर्याय है। गर्भगृह का शिखर राज गोपुरम से कुछ ऊंचा है। पारंपरिक मान्यता के अनुसार जिस स्थल पर रामलला देवस्थानम का निर्माण हो रहा है, वहां गुरु वशिष्ठ ने श्रीराम सहित चारों भाइयों का नामकरण संस्कार किया था।

देश में मंदिर निर्माण की तीन शैलियां हैं। ये हैं, नागर, द्रविड़ और बेसर शैली। उत्तर भारत में प्रचलित नागर शैली के मंदिर का प्रवेश द्वार भव्य ङ्क्षकतु सादा होता है और उसकी ऊंचाई आरोही क्रम में गर्भगृह की ओर उन्मुख होती है तथा गर्भगृह के ऊपर बने शिखर से उसे चरम का स्पर्श मिलता है।

दूसरी ओर दक्षिण भारत में प्रचलित द्रविड़ शैली के मंदिर गोपुरम यानी प्रवेश द्वार से ही चमत्कृत करते हैं। ये विशालता-भव्यता के साथ कला का उदाहरण प्रस्तुत करते हैं। बेसर शैली के मंदिर में नागर और द्रविड़ शैली का समावेश होता है। इसका विन्यास द्रविड़ शैली का और रूप नागर शैली का होता है।

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