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हाईकोर्ट ने आजम खां को अंतरिम जमानत पर रिहा करने के दिए आदेश

by City Headline

प्रयागराज

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पूर्व कैबिनेट मंत्री मोहम्मद आजम खां को शत्रु संपत्ति हड़पने के मामले में अंतरिम जमानत पर रिहा करने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने एक लाख रूपये मुचलके व दो प्रतिभूति पर जमानत दे दें दी है। कोर्ट ने आजम खान से शत्रु संपत्ति को पैरा मिलिट्री फोर्स को सौंपने का आदेश दिया है। बता दें कि यह आदेश न्यायमूर्ति राहुल चतुर्वेदी ने दिया है।

आज़म खान की तरफ से अधिवक्ता इमरानुल्लाह खान, कमरूल हसन, सफदर काजमी, राज्य सरकार की तरफ से अपर महाधिवक्ता एम सी चतुर्वेदी, शासकीय अधिवक्ता एस के पाल अपर शासकीय अधिवक्ता पतंजलि मिश्र कोर्ट में मौजूद थे। आज़म खान को 88 आपराधिक मामलों में पहले ही जमानत मिल चुकी है। हालांकि राज्य सरकार ने एक दर्जन मामलो में जमानत निरस्त करने की अर्जी दाखिल की है। जो हाईकोर्ट में विचाराधीन है। जमानत पर रिहा हो, इससे पहले आजम खान के खिलाफ नयी एफ आई आर दर्ज की गई है।

माना जा रहा था कि यदिइस केस में जमानत मंजूर हुई तो वह जेल से बाहर निकल आयेंगे। नया केस दर्ज होने से दर्ज आखिरी मामले में अब जमानत मिलने के बावजूद रिहाई नहीं हो सकेगी। मामले के अनुसार, अजीमनगर थाने में शत्रु संपत्ति पर अवैध कब्जा कर बाउंड्री वॉल से घेर कर लेने का आरोप है। जिसे मौलाना जौहर अली ट्रस्ट रामपुर द्वारा स्थापित विश्वविद्यालय में शामिल किया गया है। पुलिस ने चार्जशीट दाखिल की है और कोर्ट ने संज्ञान भी ले लिया है।

बता दें कि चार दिसम्‍बर 21 को हाईकोर्ट में सुनवाई हुई थी। कोर्ट ने निर्णय सुरक्षित कर लिया था। 29 अप्रैल 22को राज्य सरकार ने हाईकोर्ट में पूरक जवाबी हलफनामा दाखिल कर कुछ और नये तथ्‍य पेश किये। सुनवाई 5 मई को हुई। कोर्ट ने फैसला सुरक्षित कर लिया था। उधर सुप्रीम कोर्ट ने जमानत पर फैसला सुनाने में देरी को लेकर तल्ख टिप्पणी की है।जिसपर मंगलवार को फैसला सुनाया गया।

गौरतलब है कि आजम खान के खिलाफ वर्ष 2019 में सांसद बनने से लेकर अब तक कुल 89 मामले दर्ज हैं। इनमें से शत्रु संपत्ति केस को छोड़कर शेष सभी में उन्हें जमानत मिल चुकी है। सिर्फ एक मामला शत्रु सम्‍पत्ति का रह गया है। मालूम हो कि आजम खान के वकील ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर कहा था कि इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जमानत याचिका पर आदेश सुरक्षित करने के बाद लंबे अर्से से फैसला नहीं सुनाया है। इस पर सुनवाई के लिए सुप्रीम कोर्ट ने दो मई की तारीख मुकर्रर की थी।

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