नई दिल्ली: हाल ही में म्यांमार और थाईलैंड में 7.7 तीव्रता का खतरनाक भूकंप आया, जिसने भारी तबाही मचाई है। म्यांमार और थाईलैंड में कई इमारतें पूरी तरह से ढह गईं, जबकि थाईलैंड की राजधानी बैंकॉक में एक बहुमंजिला इमारत भी गिरकर मलबे में तब्दील हो गई। इस भूकंप के कारण इन देशों में जान-माल का बड़ा नुकसान हुआ है। दिल्ली एनसीआर तक भूकंप के झटके महसूस किए गए, जिससे लोग चिंतित हैं।
भूकंप का केंद्र जमीन से महज 10 किलोमीटर गहरा था, जो इसके खतरनाक होने का एक प्रमुख कारण माना जा रहा है। कम गहराई पर होने के कारण भूकंप के झटके तेज़ थे और इससे भारी तबाही की आशंका जताई जा रही थी। सोशल मीडिया पर यह चर्चा हो रही है कि अगर इतनी तीव्रता का भूकंप दिल्ली-एनसीआर में आए, तो पूरा शहर मलबे में तब्दील हो सकता है।
हालांकि, यह भी सत्य है कि भूकंप के प्रभाव का आकलन कई कारकों पर निर्भर करता है, जैसे कि भूमि संरचना, निर्माण की गुणवत्ता, और भूकंपीय स्थिति। दिल्ली जैसे बड़े शहरों में भूकंप के दौरान क्षति की संभावना अधिक हो सकती है, यदि इमारतें पुरानी और कमजोर हों। इसलिए, भूकंप से निपटने के लिए भवनों की मजबूती, आपातकालीन योजनाओं और भूकंपीय सुरक्षा पर ध्यान देना जरूरी है।
दिल्ली और एनसीआर क्षेत्र में भूकंप के प्रभाव से बचने के लिए अब समय रहते प्रशासन और नागरिकों को सावधान रहना होगा।