२०२४ के लोकसभा चुनाव के परिणामों के आधार पर, देश में आगामी समय में होने वाले राजनीतिक घटनाक्रम की तस्वीर साफ होती जा रही है। भारतीय जनता पार्टी (BJP) के नेतृत्व वाला एनडीए (NDA) गठबंधन का प्रदर्शन अब तक बढ़त दर्ज किया गया है, लेकिन उसकी चुनावी दावों के मुकाबले उसका प्रदर्शन कमजोर है। विपक्षी इंडिया गठबंधन (INDIA Alliance) का प्रदर्शन उसकी पूर्वानुमानों से कहीं अधिक बेहतर है। चुनावी रुझानों के अनुसार, विपक्षी नेताओं जैसे राहुल गांधी, शरद पवार, उद्धव ठाकरे, ममता बनर्जी और अखिलेश यादव का कद बढ़ रहा है।
एनडीए ने अपनी 400 सीटों की बजाय 300 सीटों के आसपास जीत हासिल की है। वहीं, इंडिया गठबंधन के बारे में सोचा जाता था कि वह 200 सीटों से भी कम सीटें जीतेगा, लेकिन उसने 231 सीटों पर आगे कदम बढ़ाए हैं। मतगणना के अनुसार, बीजेपी 241 और कांग्रेस 99 सीटों पर आगे हैं।
यह संख्याएँ पिछले चुनाव के संख्याओं के मुकाबले काफी कम हैं, जहां बीजेपी को 303 और कांग्रेस को 52 सीटें मिली थीं। चुनावी रुझानों के आधार पर, विपक्षी गठबंधन में राहुल गांधी, शरद पवार, उद्धव ठाकरे, ममता बनर्जी और अखिलेश यादव का प्रभाव बढ़ रहा है।
राहुल गांधी के कांग्रेस के पुनरुद्धार के प्रयास तेजी से बढ़ रहे हैं। पिछले चुनाव में केवल 52 सीटों पर कांग्रेस को हासिल हुआ था। इस बार, बीजेपी के ‘कांग्रेस मुक्त’ नारे के बीच, कांग्रेस ने 100 सीटों पर पहुंच बढ़ाई है और इसके नेतृत्व वाले इंडिया गठबंधन को 231 सीटों के पार पहुंच गया है। राहुल गांधी केरल की वायनाड और उत्तर प्रदेश की रायबरेली सीट पर जोरदार प्रदर्शन कर रहे हैं। 2019 में राहुल गांधी ने यूपी की अमेठी और केरल की वायनाड से चुनाव लड़ा था। अमेठी में उन्हें स्मृति ईरानी से हार का सामना करना पड़ा था, हालांकि वायनाड में उन्हें 706,367 वोट मिले थे। वर्तमान चुनाव के परिणाम राहुल गांधी के प्रभाव को बढ़ा रहे हैं।
पश्चिम बंगाल की 42 लोकसभा सीटों में, तृणमूल कांग्रेस को 29 सीटें, बीजेपी को 12 सीटें, और कांग्रेस को एक सीट मिल रही है। 2019 के चुनाव में टीएमसी को 22 और बीजेपी को 18 सीटें मिली थीं। इस बार, टीएमसी की सीटें बढ़ रही हैं और बीजेपी की सीटें कम होती जा रही हैं। चुनाव प्रचार में, बीजेपी ने टीएमसी के खिलाफ आक्रामक होने का प्रयास किया था। लेकिन हालात उलट बिना रहे हैं, और इससे टीएमसी को नुकसान नहीं हुआ है, बल्कि ममता बनर्जी का जमीनी जननेता का रूप फिर से उभरा है।
महाराष्ट्र में, 48 लोकसभा सीटें हैं। इनमें, इंडिया गठबंधन में शिवसेना को 10, कांग्रेस को 12, और एनसीपी को 7 सीटें मिल रही हैं। एनडीए में, बीजेपी को 11 सीटें, शिवसेना (एकनाथ शिंदे) को 6 सीटें, और एनसीपी (अजीत पवार) को एक सीट मिल रही है। एक सीट निर्दलीय उम्मीदवार को मिल रही है। इन रुझानों से स्पष्ट है कि शिवसेना और एनसीपी इंडिया गठबंधन में बड़े प्रभावशाली रूप से वापस आ रहे हैं। महाराष्ट्र में, यह दोनों पार्टियां टूट चुकी थीं, लेकिन उद्धव ठाकरे और शरद पवार ने अपने नेतृत्व का प्रभाव फिर से साबित किया है।
उत्तर प्रदेश में लोकसभा की सर्वाधिक 80 सीटें हैं, जिसे लोकतंत्र की धारा में एक महत्वपूर्ण राज्य माना जाता है। यहाँ पर 35 सीटों पर समाजवादी पार्टी, 6 पर कांग्रेस, 1 पर आजाद समाज पार्टी (कांशीराम), 1 पर अपना दल (सोनेलाल), 35 पर बीजेपी, और 2 पर आरएलडी प्रमुख नजर आ रहे हैं। राज्य में बीजेपी को भारी नुकसान का सामना करना पड़ रहा है। 2019 में 62 सीटें जीतने वाली इस पार्टी इस बार 35 सीटों पर सिमट रही है। अर्थात, उसे सीधे तौर पर 27 सीटों का नुकसान हो रहा है। इसके विपरीत, पिछले चुनाव में सिर्फ 5 सीटें जीतने वाली समाजवादी पार्टी इस बार 35 सीटों पर आगे बढ़ रही है। सपा के अध्यक्ष अखिलेश यादव इस बार दमदार नेता के रूप में प्रगट हो रहे हैं।