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Home Delhi नए संसद भवन के उद्घाटन को लेकर सियासत गर्म, कांग्रेस समेत 19 दल समारोह का करेंगे बहिष्कार

नए संसद भवन के उद्घाटन को लेकर सियासत गर्म, कांग्रेस समेत 19 दल समारोह का करेंगे बहिष्कार

अमित शाह ने कहा, सबकी अपनी-अपनी सोच, हमने सबको बुलाया

by Suyash

नयी दिल्ली। नए संसद भवन के उद्घाटन की तारीख जैसे जैसे करीब आ रही सत्तरूढ़ एनडीए के प्रमुख घातक भारतीय जनता पार्टी और विपक्षी दलों में बयानबाजी तीखी होती जा रही है। विपक्षी दल इस बात से खफा हैं कि नए संसद भवन का उद्घाटन राष्ट्रपति से कराया जाना चाहिए था , लेकिन ऐसा न करके राष्ट्रपति पद का अपमान किया जा रहा है। इसी को मुद्दा बनाते हुए उन्नीस वपक्षी दलों ने उद्घाटन समारोह का बहिष्कार करने का एलान किया है। दूसरी तरफ सरकार का पक्ष रखते हुए केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने नए संसद भवन को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की दूरदर्शिता का प्रमाण बताते हुए कहा कि प्रधानमंत्री 28 मई को संसद का नवनिर्मित भवन राष्ट्र को समर्पित करेंगे।
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने आजादी का अमृत महोत्सव (एकेएएम) के महत्वपूर्ण ऐतिहासिक कार्यक्रम पर बुधवार को नेशनल मीडिया सेंटर में प्रेस कॉन्फ्रेंस में यह जानकारी दी। नये संसद पर विपक्ष के विरोध को लेकर बोले गृह मंत्री अमित शाह- ‘अपनी-अपनी सोच, हमने सबको बुलाया।’ अमित शाह बोले, कि इस नई संचरना को रिकॉर्ड समय में बनाने के लिए करीब 60,000 श्रमयोगियों ने अपना योगदान दिया है / इस अवसर पर पीएम सभी श्रमयोगियों का सम्मान भी करेंगे.
ऐतिहासिक परंपरा पुनर्जीवित होगी
अमित शाह ने कहा, उद्घाटन समारोह में एक ऐतिहासिक परंपरा पुनर्जीवित होगी जिसके पीछे युगों से जुड़ी परंपरा है। इसे तमिल में सेंगोल कहा जाता है जिसका सीधा मतलब संपदा से संपन्न होता है। अमित शाह बोले, 14 अगस्त 1947 को एक अनोखी घटना हुई थी। इसके करीब 75 साल बाद आज देश के अधिकांश नागरिकों को इसकी जानकारी नहीं है। सेंगोल ने हमारे इतिहास में एक अहम भूमिका निभाई थी। ये सेंगोल सत्ता के हस्तांतरण का प्रतीक बना था. इसकी जानकारी पीएम मोदी को मिली तो गहन जांच करवाई गई। फिर निर्णय लिया गया कि इसे देश के सामने रखना चाहिए। इसके लिए नए संसद भवन के लोकार्पण के दिन को चुना गया.

राजनीति चलती रहती है हमने सबको बुलाया है- अमित शाह
एक सवाल के जवाब में गृह मंत्री अमित शाह ने कहा, राजनीति को इसके साथ मत जोड़िए। एक बड़ी वनात्मक प्रक्रिया है पुरानी परंपराओं से नए भारत को जोड़ने की. इसको इतने ही सीमित अर्थ में देखना चाहिए। राजनीति अपनी जगह चलती है। सब अपनी सोचने की क्षमताओं के अनुसार रिएक्शन भी देते हैं और काम भी करते हैं। उन्होंने कहा, हमने सबको बुलाया है.
दूसरी तरफ कांग्रेस समेत 19 विपक्षी पार्टियों ने नए संसद भवन के उद्घाटन समारोह का बहिष्कार करने का ऐलान किया है। इन सभी ने एक साझा बयान जारी किया है। बयान में कहा गया है कि लोकतंत्र की आत्मा को संसद से निष्कासित कर दिया गया है। हमें इस इमारत में कोई मूल्य नहीं दिखता है। इसलिए हमने नए संसद भवन के उद्घाटन का बहिष्कार करने का फैसला किया है। हम निरंकुश प्रधानंमत्री और उनकी सरकार के खिलाफ लड़ाई जारी रखेंगे।
बयान में संसद भवन के उद्घाटन को महत्वपूर्ण अवसर बताते हुए कहा गया है कि सरकार लोकतंत्र को खतरे में डाल रही है। निरंकुश तरीके से नई संसद का निर्माण किया गया। बावजूद इसके, हम इस महत्वपूर्ण अवसर पर अपने मतभेदों को दूर करने को तैयार थे। लेकिन राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को पूरी तरह से दरकिनार करते हुए जिस तरह से नई संसद बिल्डिंग का उद्घाटन प्रधानमंत्री से कराने का निर्णय लिया गया, वह राष्ट्रपति पद का न केवल अपमान है, बल्कि लोकतंत्र पर सीधा हमला है।
संविधान के अनुच्छेद 19 का हवाला देते हुए बयान में कहा गया है कि राष्ट्रपति न केवल भारत में राज्य का प्रमुख होता है, बल्कि संसद का एक अभिन्न अंग भी होता है। वह संसद को बुलाते हैं, सत्रावसान करते हैं और संबोधित करते हैं। संक्षेप में, राष्ट्रपति के बिना संसद कार्य नहीं कर सकती है। फिर भी प्रधानमंत्री ने उनके बिना नए संसद भवन उद्घाटन करने का फैसला लिया है। यह अशोभनीय कृत्य राष्ट्रपति के उच्च पद का अपमान है और संविधान के पाठ और भावना का उल्लंघन है।
बयान में कहा गया है संसद को लगातार खोखला करने वाले प्रधानमंत्री के लिए अलोकतांत्रिक कृत्य कोई नई बात नहीं है। नया संसद भवन सदी में एक बार आने वाली महामारी के दौरान बड़े खर्च पर बनाया गया है, जिसमें भारत के लोगों या सांसदों से कोई परामर्श नहीं किया गया है, जिनके लिए बनाया जा रहा है।
बहिष्कार करने वाले 19 राजनीतितिक दल हैं – कांग्रेस , द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (डीएमके), आम आदमी पार्टी, शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे), समाजवादी पार्टी, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीआई), झारखंड मुक्ति मोर्चा , केरल कांग्रेस (मणि) ,विदुथलाई चिरुथिगल कच्ची , राष्ट्रीय लोकदल (आरएलडी) ,तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी), जनता दल (यूनाइटेड) (जेडीयू), राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) , भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) (सीपीआईएम) , राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) , इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग , नेशनल कांफ्रेंस ,
रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी , मारुमलार्थी द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (एमडीएमके)।