नयी दिल्ली । पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस व आवास और शहरी कार्य मंत्री हरदीप पुरी ने एवीगैस 100 एलएल को शुरू किए जाने के अवसर पर कहा कि हम एक उल्लेखनीय रूपांतरण के दौर से गुजर रहे हैं जो लगभग क्रांतिकारी है। हम जैव ईंधन सम्मिश्रण, हरित हाइड्रोजन और इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देकर आयातित ईंधन पर निर्भरता कम कर रहे हैं।
एवीगैस 100 एलएल पिस्टन इंजन विमान और मानव रहित वाहन के लिए विशेष विमानन ईंधन है। वर्तमान में देश इस उत्पाद को यूरोपीय देशों से आयात कर रहा है।
पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय ने सोमवार को एक बयान में कहा कि एवीगैस 100 एलएल की शुरुआत को लेकर इस कार्यक्रम का आयोजन इंडियन ऑयल ने हिंडन एयरफोर्स स्टेशन पर किया। इसमें नागरिक उड्डयन व सड़क परिवहन और राजमार्ग राज्य मंत्री जनरल (डॉ.) वी.के. सिंह (सेवानिवृत्त) समेत भारतीय वायु सेना के वरिष्ठ अधिकारियों, मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों और उड़ान प्रशिक्षण अकादमियों के अधिकारियों ने हिस्सा लिया।
श्री पुरी ने कहा कि भविष्य में पायलट प्रशिक्षण के लिए प्रशिक्षु विमानों में हवाईअड्डों पर यात्रियों की संख्या में बढ़ोतरी, विमानों व उड़ान प्रशिक्षण अकादमियों (एफटीओ) की संख्या में बढ़ोतरी के साथ एक विकसित विमानन उद्योग की जरूरतों को पूरा करने के लिए स्वदेशी एवीगैस 100 एलएल को शुरू किया जाना महत्वपूर्ण है। जैसा कि भविष्य में भारत में हवाई परिवहन की मांग कई गुना बढऩे की उम्मीद है, इसे देखते हुए प्रशिक्षित पायलटों की भी भारी मांग होने वाली है।
इंडियन ऑयल के अध्यक्ष श्रीकांत माधव वैद्य ने कहा, इंडियन ऑयल को अपनी रिफाइनिंग (परिशोधन) ताकत और इन-हाउस विशेषज्ञता का लाभ उठाकर इस विशेष ईंधन को शुरू करने पर गर्व है। वास्तव में स्वदेशी ईंधन आयातित ग्रेड की तुलना में बेहतर है। एवीगैस बाजार के मौजूदा 1.92 अरब डॉलर से बढ़कर 2029 तक 2.71 अरब डॉलर होने की उम्मीद है। हम घरेलू मांग को पूरा करने के अलावा निर्यात के अवसरों को लक्षित करने के लिए जल्द ही एक नई सुविधा स्थापित करने की योजना बना रहे हैं।
उल्लेखनीय है कि विमानन गैसोलीन का प्रमुख ग्रेड यानी एवीगैस 100 एलएल टर्बो चार्ज किए गए रिसीप्रोकेटिंग पिस्टन इंजन विमान में उपयोग के लिए डिजाइन किया गया है। इसका उपयोग मुख्य रूप से एफटीओ और रक्षा बलों द्वारा पायलटों के प्रशिक्षण के लिए किया जाता है। यह आयातित ग्रेड की तुलना में बेहतर है। एवीगैस 100 एलएल की स्वदेशी उपलब्धता आयात पर निर्भरता को कम करने और संबंधित लॉजिस्टिक चुनौतियों का समाधान करने में सहायता करेगी। इस उत्पाद की घरेलू उपलब्धता से देश कीमती विदेशी मुद्रा को बचाने में सक्षम होगा। इससे पूरे भारत में 35 से अधिक एफटीओ को भी लाभ होगा।