ग्रेटर नोएडा
सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को एक बड़ा फैसला सुनाया है। इस फैसले से यमुना प्राधिकरण क्षेत्र के 11 हजार किसानों और 21 हजार आवंटियों को राहत मिली है। यमुना प्राधिकरण से प्रभावित किसानों के 64.7 प्रतिशत मुआवजे पर हाईकोर्ट ने रोक लगा दी थी। यह रोक बिल्डर और इंस्टीट्यूशनल आवंटियों की याचिका पर लगाई गई थी। हाईकोर्ट के फैसले को यमुना प्राधिकरण, उत्तर प्रदेश सरकार और किसानों ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने आज फैसला सुनाते हुए यमुना प्राधिकरण और हजारों किसानों को बड़ी राहत दे दी है।
इस फैसले से यमुना प्राधिकरण क्षेत्र के 29 गांवों के 11,000 किसानों को अतिरिक्त मुआवजा मिलेगा। जबकि, यमुना प्राधिकरण 20,495 किसानों को एक्स्ट्रा मुआवजा बांट चुका है। वहीं, इस फैसले से यमुना प्राधिकरण के सेक्टर-18 और 20 के 21 हजार आवंटियों को पजेशन मिलने की राह आसान हो गई है।
यमुना प्राधिकरण के सीईओ डॉ.अरुणवीर सिंह ने जानकारी देते हुए बताया कि यमुना प्राधिकरण, जेपी एसोसिएट, एटीएस बिल्डर, एसडीएस बिल्डर, सुपरटेक बिल्डर, अजनारा बिल्डर, जीएल बजाज, मारुति एजुकेशन, सती लीला, चंद्रलेखा, शकुंतला वेलफेयर एसोसिएशन और मेधांश त्रिपाठी ने 64.7% मुआवजे के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी। हाईकोर्ट ने 28 मई 2020 को यह फैसला सुनाया था। अब सुप्रीम कोर्ट ने 2 साल बाद 19 मई 2022 को हाईकोर्ट के फैसले को पलट दिया है।
यूपी कैबिनेट ने 2014 में किसानों को 64.7% अतिरिक्त मुआवजा देने का शासनादेश जारी किया था। सीईओ ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट में उत्तर प्रदेश सरकार, यमुना विकास प्राधिकरण और किसानों की ओर से मनवीर तेवतिया, मास्टर श्योराज सिंह समेत कई किसानों ने याचिका दाखिल की थीं। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद यमुना प्राधिकरण क्षेत्र के किसानों ने राहत की सांस ली है। इससे एक और अच्छी बात यह भी है कि किसानों की वजह से जितने विकास कार्य बंद थे, उन सभी को सुचारू रूप से शुरू किया जाएगा।