आर्थिक संकट से जूझ रहे श्रीलंका पर लिबरेशन टाइगर्स ऑफ तमिल ईलम, यानी लिट्टे के हमले का खतरा मंडरा रहा है। हाल ही में भारतीय खुफिया एजेंसियों ने श्रीलंका के रक्षा मंत्रालय को इसे लेकर इनपुट दिए हैं। भारतीय इनपुट के मुताबिक, 18 मई को लिट्टे किसी बड़ी घटना को अंजाम दे सकता है।
भारत की तरफ से इंटेलिजेंस इनपुट मिलने के बाद श्रीलंका ने भी अपनी सुरक्षा कड़ी कर दी है। श्रीलंका का कहना है कि वो भी इस मामले में जांच करेगा। द हिंदू अखबार ने इसे लेकर रिपोर्ट प्रकाशित की थी। हालांकि, शुरुआत में तो श्रीलंका के रक्षा मंत्रालय ने इस रिपोर्ट का खंडन करते हुए, भारत से कोई भी इनपुट न मिलने की बात कही थी।
श्रीलंका के राजनीतिक दलों ने भी इस रिपोर्ट पर प्रतिक्रिया जाहिर की है। तमिल प्रगतिशील गठबंधन के नेता और कोलंबो के विपक्षी नेता मनो गणेशन ने कहा कि लिट्टे रीग्रुपिंग पर द हिंदू की रिपोर्ट बहुत परेशान करने वाली है। वहीं, तमिल नेशनल अलायंस के सांसद शनकियान रसमनिकम ट्वीट किया कि द हिंदू की रिपोर्ट बिल्कुल सही समय पर है। श्रीलंका में 70 के दशक में लिट्टे अपना सिर उठाने लगा था। लिट्टे श्रीलंका से अलग एक स्वतंत्र तमिल राष्ट्र के लिए आंदोलन करने वाला संगठन था। अपनी मांग को लेकर धीरे-धीरे लिट्टे का आंदोलन उग्र और हिंसक होता जा रहा था।