आगरा
दो साल बाद ताजनगरी का केंद्रीय हिंदी सेवा संस्थान फिर विदेशी छात्रों की मौजूदगी से गुलजार होगा। संस्थान में विदेशी छात्रों की प्रवेश प्रक्रिया चल रही है। 30 मई तक आवेदन मांगे गए हैं। अब तक 16 देशों के लगभग 65 आवेदन प्राप्त हो चुके हैं। इस साल ऑफलाइन कक्षाएं संचालित होंगी।
कोरोना काल में विदेशी छात्रों की कक्षाएं ऑनलाइन संचालित हुई थीं। इससे कक्षाओं में छात्रों ने अधिक रुचि नहीं ली। वर्ष 2020-21 और 2021-22 सत्र में प्रवेश तो 70 से ज्यादा छात्रों ने लिए, लेकिन कक्षाएं 25-30 छात्रों ने ही ली। संस्थान में विदेशी छात्रों के लिए 100 सीटें हैं। संस्थान इस साल भी इतने ही आवेदन की उम्मीद कर रहा है। इस बार स्वीडन से पहली बार आवेदन आया है। साथ ही, श्रीलंका, चीन, उज्बेकिस्तान, जापान, अफगानिस्तान, कजाकिस्तान, मंगोलिया, स्लोवाकिया, थाईलैंड, नाइजीरिया, चाड, रोमानिया, त्रिनिडाड व टुबैको आदि देशों से आवेदन प्राप्त हुए हैं।
संस्थान की तरफ से संयुक्त राष्ट्र के 151 देशों में मौजूद भारतीय दूतावासों के पास आमंत्रण भेजकर संस्थान में संचालित पाठ्यक्रमों की जानकारी दी जाती है। भारतीय दूतावास संबंधित देश के विश्वविद्यालयों के पास यह सूचना भेजता है। विदेशी छात्र अपने देश के दूतावासों में आवेदन करते हैं। यहां से वे संस्थान पहुंचते हैं। संस्थान की कमेटी इन आवेदनों की जांच करती है। 18 से कम व 35 से ज्यादा उम्र वाले छात्रों को प्रवेश नहीं दिया जाता है। उनकी अकादमिक योग्यता भी देखी जाती है। चयन करने के बाद विदेश मंत्रालय से एनओसी ली जाती है।
केंद्रीय हिंदी संस्थान के कुलसचिव सीके त्रिपाठी ने बताया कि संस्थान की तरफ से विदेशी छात्रों को छात्रवृत्ति मिलती है। हर महीने छह हजार रुपये खर्चे के लिए दिए जाते हैं। साथ ही आने-जाने का खर्चा भी भारत सरकार उठाती है। संस्थान के हास्टल में रहना और खाना निश्शुल्क होता है। किताबें खरीदने के लिए पैसे भी संस्थान द्वारा दिए जाते हैं। इस साल ऑफलाइन कक्षाएं संचालित होंगी। संभावना है कि छात्रों की संख्या में इजाफा होगा। कई नए देशों के जुड़ने की भी उम्मीद है।