यातायात नियमों के उल्लंघन के नाम पर कथित अवैध रूप से पुलिस की जुर्माना वसूली के खिलाफ गौहाटी हाई कोर्ट ने सुनवाई के बाद राज्य सरकार को नोटिस भेजा है। इस मामले में अगली सुनवाई दो सप्ताह बाद होगी।
सोमवार को जनहित याचिका पर गौहाटी हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश विजय बिश्नोई और न्यायमूर्ति सुमन श्याम की खंडपीठ ने सुनवाई की । हाई कोर्ट ने राज्य के वरिष्ठ अधिवक्ता बेनुधर दास की दायर जनहित याचिका में लगाए गए आरोपों पर जवाब देने के लिए अभियोजन पक्ष को नोटिस जारी किया है। याचिका पर अगली सुनवाई दो सप्ताह बाद होगी।
याचिकाकर्ता ने सवाल किया था कि पुलिस और परिवहन विभाग कोर्ट में चालान भेजे बिना जुर्माना कैसे वसूल सकता है। अधिवक्ता ने कहा कि जुर्माना जमा नहीं करने वालों को प्रदूषण प्रमाण पत्र देने, कार स्वामित्व के हस्तांतरण, आरसी के नवीनीकरण, पंजीकरण पत्र के नवीनीकरण, ड्राइविंग लाइसेंस के नवीनीकरण आदि से रोक दिया जाता है। केवल पैसे के लिए इस प्रक्रिया के माध्यम से दंड एकत्र करना अवैध है।
अधिवक्ता ने कहा कि मोटर वाहन अधिनियम, 1988 की धारा 179 (1) और 183 (1) के तहत कोर्ट को मोटर वाहन अधिनियम के उल्लंघनकर्ताओं के खिलाफ मामला दर्ज करने की आवश्यकता है, लेकिन असम सरकार और असम सरकार के परिवहन विभाग ने अधिनियम का उल्लंघन करते हुए राज्य के लोगों से जुर्माना वसूलकर रिकॉर्ड बनाने पर तुली हुई है।
अधिवक्ता ने कहा कि मोटर वाहन अधिनियम, 1988 की धारा 179 (1) और 183 (1) के अनुसार यदि कोई व्यक्ति मोटर वाहन अधिनियम का उल्लंघन करता है तो इस अधिनियम के उल्लंघन का मामला पहले कोर्ट के पटल पर भेजा जाना चाहिए, लेकिन असम सरकार और राज्य का परिवहन विभाग इस नियम का उल्लंघन कर रहा है।
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उन्होंने कहा कि यातायात नियमों का उल्लंघन करने वालों का मामला काेर्ट में न ले जाकर केवल एसएमएस भेजकर ई-चालान के माध्यम से जुर्माना वसूलना विभाग के लिए आम बात हो गई है। असम सरकार ने यातायात नियमों का उल्लंघन करते हुए कानून का उल्लंघन करके जुर्माने का भुगतान करने और यातायात अधिनियम को बनाए रखने के लिए असम के लोगों के उत्पीड़न से राहत के लिए काेर्ट का दरवाजा खटखटाया है।