नई दिल्ली
राहुल गांधी ने हाल ही में लंदन के समारोह में जो कुछ कहा था उसे लेकर तो विवाद खड़ा हुआ ही था कि अब उनकी वह विदेश यात्रा ही विवादों में आ गई है। सरकारी सूत्रों का कहना है कि कोई भी सांसद अगर विदेश में किसी कार्यक्रम में हिस्सा लेने जाता है तो उसे विदेश मंत्रालय से पालिटिकल क्लियरेंस लेनी होती है। और अगर विदेश की मेजबानी भी ले रहे हैं तो एफसीआरए की भी क्लियरेंस जरूरी होती है।
जबकि कांग्रेस के प्रवक्ता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने सरकारी सूत्रों की जानकारी को गलत करार देते हुए दावा किया है कि किसी सांसद को क्लियरेंस लेने की जरूरत नहीं होती है। यह जब जरूरी होता है जब वह सरकारी प्रतिनिधिमंडल का हिस्सा हो। कुछ दिन पहले लंदन में राहुल के उस बयान पर केंद्रीय विदेशमंत्री जयशंकर समेत कई नेताओं ने तीखी टिप्पणी की थी जिसमें राहुल ने यह आरोप लगाया था कि मोदी काल में भारतीय विदेश सेवा में अहंकार आ गया है।
राहुल ने भाजपा और आरएसएस पर भी आरोप लगाया था कि उसने पूरे भारत में कैरोसिन डाल दिया है और सिर्फ एक चिंगारी की जरूरत है। जयशंकर ने पलटवार करते हुए कहा था कि जिसे राहुल अहंकार बता रहे हैं वह सच्चे अर्थों में आत्मविश्वास है और भारतीय विदेश सेवा सरकार के निर्देश लेकर राष्ट्रहित की रक्षा में काम करता है।
एक दिन पहले राहुल की लेबर पार्टी नेता जेरेमी कार्बिन से मुलाकात को लेकर भी भाजपा और कांग्रेस में तकरार हुई थी। कार्बिन पर भारत विरोधी होने का आरोप है। अब विदेश दौरे को लेकर कांग्रेस ने बेवजह विवाद फैलाने का आरोप लगाया है।