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मेंटल रिलीफ के लिए यूज हो रहा डिजिटल ड्रग्स, जानें क्या है ये

by City Headline

नशा करने के लिए शराब, कोकीन, भांग, चरस, गांजा और एलएसडी जैसी चीजों का भी ऑनलाइन सॉल्यूशन आ गया है। अब लोग मेंटल रिलीफ के लिए डिजिटल ड्रग्स लेने लगे हैं। हाल ही में युवाओं के बीच यह ट्रेंड इतना बढ़ गया है कि दुनिया भर के वैज्ञानिक इस पर रिसर्च कर रहे हैं।

यहां जिस डिजिटल ड्रग की बात हो रही हैं, उसका साइंटिफिक नाम बाइनॉरल बीट्स है। यह म्यूजिक की एक कैटेगरी है जो यूट्यूब और स्पॉटिफाई जैसे मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर आसानी से उपलब्ध है। यानी, अब हाई होने के लिए आपको केवल मोबाइल, हेडफोन और इंटरनेट कनेक्शन की जरूरत है। लोगों को ऐसे ही ऑडियो ट्रैक्स सुनकर नशा चढ़ रहा है।

दरअसल, बाइनॉरल का शाब्दिक अर्थ दो कान है और बीट्स का मतलब ध्वनि होता है। बाइनॉरल बीट्स एक खास प्रकार का साउंड होता है जिसमें आपको दोनों कानों में अलग-अलग फ्रीक्वेंसी की आवाजें सुनाई देती हैं। इससे आपका दिमाग कंफ्यूज होकर दोनों साउंड्स को एक बनाने की कोशिश करता है। ऐसा करके दिमाग में अपने आप ही तीसरा साउंड बन जाता है, जिसे केवल हम सुन सकते हैं। दिमाग की इस एक्टिविटी से लोग खुद को शांत, खोया हुआ और नशे की स्थिति में पाते हैं।

ड्रग एंड एल्कोहल रिव्यू जर्नल में प्रकाशित एक रिसर्च में वैज्ञानिकों ने बाइनॉरल बीट्स के प्रभाव को समझने की कोशिश की है। 30 हजार लोगों पर हुए इस सर्वे में पता चला कि 5.3% लोग बाइनॉरल बीट्स को इस्तेमाल करना पसंद करते हैं। इनकी औसत उम्र 27 साल थी और इनमें से 60.5% पुरुष थे। नतीजों की मानें तो इनमें से तीन चौथाई लोग ये आवाजें सुनकर आरामदायक नींद लेते हैं। वहीं, 34.7% लोग अपना मूड चेंज करने के लिए और 11.7% लोग फिजिकल ड्रग्स के असर को रेप्लीकेट करने के लिए बाइनॉरल बीट्स सुनते हैं।

कुछ प्रतिभागियों का तो यह भी कहना है कि उन्हें बाइनॉरल बीट्स के जरिए मनचाहे सपने दिखते हैं और वे डीएमटी जैसे ड्रग के असर को बढ़ाने के लिए डिजिटल ड्रग्स को सप्लिमेंट के तौर पर लेते हैं। जहां करीब 50% लोग इस ऑडियो को 1 घंटा सुनते हैं, वहीं 12% लोग 2 घंटे से भी ज्यादा समय तक डिजिटल ड्रग्स में खो जाना पसंद करते हैं। फिलहाल यह ट्रेंड सबसे ज्यादा अमेरिका, मेक्सिको, ब्राजील, रोमानिया, पोलैंड और ब्रिटेन में देखा जा रहा है।

पीडी हिंदुजा हॉस्पिटल के कंसल्टेंट साइकाइट्रिस्ट डॉ. केरसी चावड़ा कहते हैं कि ऐसा देखा गया है कि बाइनॉरल बीट्स को सुनकर लोगों के मूड में बदलाव होता है। इससे उन्हें बहुत ही अच्छा और रिलैक्स महसूस होता है। नतीजतन, लोग इन बीट्स को बार-बार सुनकर एडिक्शन डेवलप कर लेते हैं। मेंटल और फिजिकल हेल्थ पर इसका क्या असर होता है इस बारे में ज्यादा रिसर्च नहीं हुई है, लेकिन फिर भी पेरेंट्स को बच्चों की फोन एक्यिविटी पर नजर जरूर रखनी चाहिए।

डिजिटल ड्रग्स का एक बहुत बड़ा नुकसान यह भी है कि युवा इसके प्रभाव को समझने के लिए शराब और गांजा जैसे असली ड्रग्स का इस्तेमाल करने के लिए प्रेरित होंगे। उदाहरण के लिए, यूट्यूब पर मौजूद वीडियोज अपने टाइटल में फिजिकल ड्रग्स का नाम लिखकर उनकी तुलना बाइनॉरल बीट्स से करते हैं। इससे युवा दोनों ड्रग्स के असर को समझने के लिए गलत कदम उठा सकते हैं।

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