पटना, बिहार: बिहार में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) के अंदर कुछ अप्रत्याशित हलचलें देखने को मिल रही हैं। राज्य के प्रमुख नेताओं के बयानों में इस समय जो असहमति और विरोधाभास दिखाई दे रहे हैं, वह एनडीए की राजनीति के लिए संकट पैदा कर सकते हैं। खासकर भाजपा और जदयू के बीच आंतरिक तनाव की स्थिति उभर रही है।
हाल ही में बिहार के उपमुख्यमंत्री विजय कुमार सिन्हा ने एक बयान दिया, जो भाजपा और जदयू के रिश्तों को और जटिल बना सकता है। विजय सिन्हा ने कार्यकर्ताओं से कहा कि जब तक बिहार में भाजपा की सरकार नहीं बनेगी, तब तक उनका मन शांत नहीं होगा। उनका कहना था कि केवल भाजपा की सरकार बनने से ही अटल बिहारी वाजपेयी का सपना पूरा हो सकता है। यह बयान एक ओर जहां भाजपा के इरादे को साफ करता है, वहीं दूसरी ओर जदयू और भाजपा के रिश्तों में तल्खी ला सकता है, क्योंकि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पहले से ही अमित शाह के बयानों से नाराज थे।
भले ही भाजपा को अनुशासन और पार्टी के सामूहिक स्टैंड के लिए जाना जाता है, लेकिन इस समय भाजपा के नेताओं के बयानों में विरोधाभास सामने आ रहे हैं। हाल ही में भाजपा के कुछ बयान, जिनमें पार्टी के शीर्ष नेताओं ने व्यक्तिगत रूप से कुछ मुद्दों पर अपनी राय दी, को भाजपा नेतृत्व ने उनका निजी बयान कहकर खारिज किया। हालांकि, हाल के दिनों में भाजपा के नेताओं के बयानों में इतनी असंगति देखी गई है कि पार्टी नेतृत्व ने न तो इन बयानों का खंडन किया, और न ही उन्हें निजी राय बताकर पल्ला झाड़ने की कोशिश की।
यह घटनाक्रम इस बात को साबित करता है कि बिहार में भाजपा और जदयू के रिश्ते अब सामान्य नहीं रह गए हैं। खासकर विजय सिन्हा का बयान, जिसमें उन्होंने भाजपा की सरकार बनाने का सपना दिखाया, से यह स्पष्ट होता है कि भाजपा अपनी महत्वाकांक्षाओं में अब और अधिक सक्रिय हो सकती है, जिससे बिहार की राजनीति में नई हलचल पैदा हो सकती है।