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बिजनौर जल निकायों के अवैध भराव मामले में सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार को फटकारा, अगली सुनवाई 7 फरवरी को

by Suyash Sukla

बिजनौर: उत्तर प्रदेश सरकार को सुप्रीम कोर्ट की कड़ी फटकार का सामना करना पड़ा है। बिजनौर जिले में जल निकायों के अवैध भराव की जांच के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार के निर्देशों का पालन न किए जाने पर नाराजगी जताई है। कोर्ट ने 17 जनवरी को उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से दिए गए आदेशों का पालन न किए जाने पर यह टिप्पणी की।

सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस अभय ओका और जस्टिस उज्ज्वल भुइयां की पीठ ने कहा कि 16 जुलाई 2024 और 22 नवंबर 2024 को पारित आदेशों के बावजूद यूपी सरकार की नियुक्त समिति ने सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का पालन नहीं किया। कोर्ट ने यूपी के पर्यावरण मंत्रालय के सचिव को 16 जुलाई 2024 के आदेश के अनुपालन में किए गए कार्यों का विवरण देते हुए एक व्यक्तिगत हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया। हलफनामा 24 जनवरी तक पेश किया जाना है।

सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार को फटकारते हुए कहा कि राज्य ने आदेशों का पालन करने के लिए समय बढ़ाने का आवेदन तक नहीं किया। पीठ ने सुनवाई के दौरान यह भी कहा कि राज्य ने शिष्टाचार के तहत कोर्ट से समय विस्तार का अनुरोध नहीं किया।

16 जुलाई 2024 के आदेश में, बिजनौर जिले की तहसील नगीना में जल निकायों के संरक्षण और जीर्णोद्धार से जुड़े मामले में एक समिति गठित करने का आदेश दिया गया था। कोर्ट ने राज्य के संवैधानिक कर्तव्य को समझते हुए जल निकायों की सुरक्षा पर जोर दिया था।

अगली सुनवाई 7 फरवरी को:
बिजनौर के जल निकायों के अवैध भराव के मामले में अगली सुनवाई 7 फरवरी 2025 को होगी, जहां मामले की और सुनवाई की जाएगी।