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बिक गई घाटे वाली एक और सरकारी कंपनी, अगले महीने से अपने हाथ में कमान लेगी स्टार9 मोबिलिटी

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घाटे में चल रही एक और सरकारी कंपनी प्राइवेट हाथों में चली गई. हेलीकॉप्टर सेवा कंपनी पवन हंस (Pawan Hans) को स्टार9 मोबिलिटी प्राइवेट लिमिटेड ने खरीद लिया. एक अधिकारी ने कहा, पवन हंस को सौंपने की प्रकिया जून तक पूरी होने की उम्मीद है. सरकार ने पिछले महीने 211.14 करोड़ रुपये में स्टार9 मोबिलिटी (Star9 Mobility) को पवन हंस लिमिटेड में अपनी 51 फीसदी हिस्सेदारी बेचने तथा प्रबंधन नियंत्रण का हस्तांतरण करने की मंजूरी दी थी. अधिकारी ने कहा, आवंटन पत्र अगले सप्ताह जारी किया जाएगा जिसके बाद खरीदार कंपनी को नियामक की आवश्यक मंजूरी लेनी होगी. हस्तांतरण प्रक्रिया के एक से डेढ़ महीने में पूरा होने की उम्मीद है.

उन्होंने स्टार9 मोबिलिटी के पात्रता मानदंडों को पूरा नहीं करने के आरोपों का खंडन करते हुए कहा कि सरकार ने बोलीदाता के पास कम से कम 300 करोड़ रुपये की संपत्ति होने की शर्त रखी थी. इसके मुकाबले पवन हंस के लिए बोली लगाने वाले समिति की कुल संपत्ति 691 करोड़ रुपये थी.

पवन हंस में सरकार की 51 फीसदी और सार्वजानिक क्षेत्र की कंपनी ओएनजीसी (ONGC) की 49 फीसदी हिस्सेदारी है. ओएनजीसी (ऑयल एंड नेचुरल गैस कॉरपोरेशन) ने पहले कहा था कि सफल बोलीदाता को सरकार की तरफ से तय की गई कीमत और शर्तों पर अपनी पूरी हिस्सेदारी की पेशकश करेगी.

अधिकारी के अनुसार सरकार के स्टार मोबिलिटी को आवंटन पत्र जारी करने के बाद, ONGC के पास अपने शेयरों की पेशकश करने के लिए सात दिन का समय होगा. इसी तरह ओएनजीसी के प्रस्ताव को स्वीकार करने या न करले को लेकर स्टार9 मोबिलिटी को भी इतने ही दिन का समय दिया जाएगा.

211 करोड़ रुपये में खरीदी 51% हिस्सेदारी

पवन हंस में 51 प्रतिशत हिस्सेदारी बिक्री के लिये आरक्षित मूल्य 199.92 रुपये रखा गया था. आरक्षित मूल्य का निर्धारण सौदा सलाहकार और संपत्ति मूल्यांकनकर्ता ने किया था.

सरकार को तीन बोलियां मिली थी. स्टार9 मोबिलिटी प्राइवेट लि. ने 211.4 करोड़ रुपये की बोली के साथ सबसे ऊंची बोली लगायी. दो अन्य बोलीदाताओं ने क्रमश: 181.05 करोड़ रुपये और 153.15 करोड़ रुपये की बोली लगायी थी.

3 दशक से सेवा दे रही थी पवन हंस

Pawan Hans की स्थापना 1985 में हुई थी. फिलहाल कंपनी के पास 42 हेलीकॉप्टर हैं जिसमें से 41 कंपनी के स्वामित्व मे हैं. इन हेलीकॉप्टर की औसत उम्र 20 साल से ज्यादा की है और इसमें से तीन चौथाई फिलहाल ओईएम के द्वारा बनाए नहीं जा रहे हैं.

कंपनी पिछले तीन वर्षों से घाटे में चल रही है. पवन हंस को 2018-19 में 69 करोड़ रुपये का घाटा हुआ था. वहीं अगले साल कंपनी को 28 करोड़ रुपये का घाटा हुआ था. सरकार के मुताबिक उम्मीद है कि नए खरीदार पवन हंस में जरूरी निवेश के जरिए पुरानी फ्लीट को बदलेंगे और कंपनी का प्रदर्शन सुधारेंगे.

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