प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बांग्लादेश के प्रमुख सलाहकार मोहम्मद यूनुस के बीच शुक्रवार (4 अप्रैल) को हुई मुलाकात को लेकर कई अहम बातें सामने आई हैं। यह मुलाकात बिम्सटेक शिखर सम्मेलन के दौरान बैंकॉक में हुई, और इसे एक महत्वपूर्ण कूटनीतिक घटना के रूप में देखा जा रहा है। यह मुलाकात ऐसे समय में हुई है जब बांग्लादेश और भारत के रिश्तों में कुछ तनाव था, खासकर शेख हसीना के भारत जाने और बांग्लादेश में उनकी सरकार के खिलाफ हुए बड़े विरोध प्रदर्शन के बाद।
बीते साल, 5 अगस्त 2024 को, शेख हसीना बांग्लादेश छोड़कर भारत आईं थीं, जिसके बाद दोनों देशों के बीच रिश्तों में खटास आई थी। हालांकि, अब बांग्लादेश ने इस तनाव को कम करने के लिए द्विपक्षीय बातचीत की पहल की थी, और इस वजह से बिम्सटेक शिखर सम्मेलन के दौरान यह बैठक आयोजित की गई। पीएम मोदी और यूनुस के बीच यह मुलाकात 40 मिनट तक चली, और इस दौरान दोनों देशों के रिश्तों को सामान्य बनाने और विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की गई।

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यूनुस की चीन में बोआओ फोरम फॉर एशिया (BFA) के दौरान की गई टिप्पणी के बाद दोनों देशों के रिश्तों में और तनाव पैदा हो गया था। यूनुस ने भारत के पूर्वोत्तर राज्यों को लेकर कुछ विवादित बयान दिए थे, जिसे बांग्लादेश और भारत के बीच विवाद का कारण माना गया था। हालांकि, इस बैठक से दोनों देशों के शीर्ष नेताओं के बीच बातचीत को एक नया मोड़ मिल सकता है और द्विपक्षीय मुद्दों को सुलझाने के लिए सकारात्मक कदम उठाए जा सकते हैं।
बैठक के बाद, यह भी सामने आया कि बांग्लादेश ने शेख हसीना के प्रत्यर्पण के लिए भारत को एक औपचारिक पत्र भेजा था, लेकिन भारत की ओर से कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई। इस पत्र में यह मांग की गई थी कि शेख हसीना को कानूनी मुकदमे का सामना करने के लिए बांग्लादेश वापस भेजा जाए।
इस मुलाकात को लेकर बांग्लादेश और भारत दोनों देशों के लिए महत्वपूर्ण माना जा रहा है, क्योंकि यह द्विपक्षीय रिश्तों को सुधारने और आपसी मतभेदों को सुलझाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम हो सकता है। पीएम मोदी और यूनुस के बीच यह बैठक एक सकारात्मक संकेत है कि दोनों देशों के बीच बेहतर समझ और सहयोग बढ़ सकता है।