जम्मू
मैं जिंदा थी…। फिर मुझे मरा समझकर दफना दिया गया। खुदा ने शायद मेरी कुछ और सांसें लिखी थीं। मुझे फिर कब्र से निकाला गया, …लेकिन मैं नन्ही सी जान, खुदा की बनाई इस दुनिया के इंसानों के कायदे-कानून और नफा-नुकसान नहीं समझ पाई …और फिर हमेशा के लिए इस दुनिया को अलविदा कह गई। खैर, अस्पताल प्रशासन ने खुद को सही साबित करने के लिए दो कर्मचारियों को निलंबित कर दिया है। पुलिस ने भी अपना काम करते हुए प्राथमिकी दर्ज कर ली है।
स्वास्थ्य विभाग ने भी जांच के लिए चार सदस्यीय कमेटी गठित कर दी, जो दो दिन में रिपोर्ट देगी। …लेकिन किसके लिए …मैं तो अब इस दुनिया में हूं नहीं। हां, मेरे माता-पिता जरूर इंसाफ की लड़ाई लड़ रहे हैं। यह कहानी है मौत से जिंदगी की जंग लड़ रही मात्र दो दिन की नवजात बच्ची की, जिसने बुधवार सुबह श्रीनगर के जीबी पंत अस्पताल में दम तोड़ दिया।
गत सोमवार सुबह बनिहाल के उप जिला अस्पताल में बशारत हुसैन और शमीमा बेगम के घर इस बच्ची ने जन्म लिया, लेकिन कुछ ही देर बाद अस्पताल के स्टाफ ने उसे मृत घोषित कर दिया। स्वजन ने उसको हालां गांव में सुपुर्दे खाक कर दिया, लेकिन स्थानीय लोगों ने आपत्ति जताते हुए कहा कि इसे अपने क्षेत्र के कब्रिस्तान में दफनाएं। मजबूरन जब करीब एक घंटे बाद क्रब खोदकर बच्ची को निकाला तो वह जीवित थी। स्वजन उसे लेकर तुरंत अस्पताल भागे। उसे विशेष उपचार के लिए श्रीनगर में बच्चों के जीबी पंत अस्पताल में रेफर कर दिया गया। बुधवार सुबह उसने दम तोड़ दिया।
जीबी पंत अस्पताल के डा. नजीर चौधरी ने बताया कि बच्ची समय से पूर्व जन्मी (प्रीमेच्योर) थी। उसका वजन कम होने के साथ सांस लेने में तकलीफ थी। बच्ची के स्वजन व स्थानीय लोगों ने अस्पताल के डाक्टरों व कर्मचारियों के खिलाफ रोष प्रदर्शन किया। बच्ची के पिता बशारत हुसैन ने कहा कि उनके साथ बहुत नाइंसाफी हुई है। बच्ची की मौत के लिए बनिहाल अस्पताल के डाक्टर और स्टाफ जिम्मेदार है। सरकार को न्यास करना चाहिए।
बनिहाल ब्लाक की चिकित्सा अधिकारी (बीएमओ) डा. राबिया खान ने मामले की जांच के आदेश देते हुए एक कनिष्ठ स्टाफ नर्स और स्वीपर को निलंबित कर दिया। मामला संज्ञान में आने के बाद जम्मू के स्वास्थ्य निदेशक ने भी चार सदस्यीय जांच टीम गठित कर दी, जिसे दो दिन में रिपोर्ट देने को कहा गया। बाद में स्वजन ने बच्ची को बनिहाल लाकर सुपुर्द-ए-खाक कर दिया।