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बनते-बनते बिगड़ गई बात, प्रशांत किशोर को पसंद नहीं आई सोनिया गांधी के अलावा किसी और की दखलअंदाजी?

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रणनीतिकार प्रशांत किशोर और कांग्रेस (Congress) के बीच कई दौर की लंबी चर्चा के बाद भी आखिरकार बात नहीं बन सकी. कांग्रेस मीडिया प्रभारी रणदीप सुरजेवाला और पीके दोनों ने ट्वीट कर इसकी जानकारी दी. पांच राज्यों में हुए विधानसभा चुनावों के पहले कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी (Rahul Gandhi) और प्रशांत किशोर (Prashant Kishor) के बीच लंबी चर्चा हुई थी, लेकिन तब पीके की भूमिका को लेकर राहुल गांधी पूरी तरह सहमत नहीं थे. दोनों के बीच चल रही बातचीत टूट गई. पांच राज्यों में कांग्रेस की हार के बाद एक बार फिर पीके और कांग्रेस के बीच साथ काम करने को लेकर चर्चा शुरू हुई.

इस बार इस बातचीत की कमान खुद सोनिया गांधी ने संभाली. सोनिया ने इसे लोकतांत्रिक रूप देते हुए पार्टी के तमाम वरिष्ठ नेताओं को पीके के साथ चर्चा में शामिल किया. पीके ने लंबा-चौड़ा प्रेजेंटेशन भी दिया था. कांग्रेस नेता और खुद सोनिया गांधी पीके की बातों से सहमत हुए थे. ज़्यादातर नेताओं का यह मानना था कि, पीके जो कह रहे हैं वो सही है. कांग्रेस नेताओं का ने कहा कि अगर पीके अपने प्रचार के तरीक़ों से मुद्दों को आम जन तक पहुंचाने में मददगार होते हैं, तो उनको पार्टी में शामिल कर लेना चाहिए.

Following a presentation & discussions with Sh. Prashant Kishor, Congress President has constituted a Empowered Action Group 2024 & invited him to join the party as part of the group with defined responsibility. He declined. We appreciate his efforts & suggestion given to party.

— Randeep Singh Surjewala (@rssurjewala) April 26, 2022

PK को नहीं पसंद नेताओं की दखलअंदाजी!

सूत्रों के अनुसार, सोनिया गांधी ने जो कमेटी पीके की भूमिका और प्रेजेंटेशन को लेकर बनाई थी, उसने भी कहा था कि, पीके कई दलों के लिए प्रोफेशनल के तौर पर काम कर चुके हैं. ऐसे में बेहतर हो कि, वो कांग्रेस में शामिल होकर पार्टी के लिए काम करें और उनकी भूमिका पर सोनिया गांधी खुद फैसला करें. कांग्रेस नेताओं का मानना था कि पार्टी में पीके की भूमिका हो, लेकिन पूरी पार्टी प्रशांत किशोर को सौंपने पर कोई भी सहमत नहीं था. उनका मानना था कि बाहर से आये व्यक्ति को पूरी पार्टी एकदम नहीं सौंपी जा सकती. ऐसे में कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी ने सोमवार को एक ग्रुप का गठन करने का ऐलान किया था.

I declined the generous offer of #congress to join the party as part of the EAG & take responsibility for the elections.

In my humble opinion, more than me the party needs leadership and collective will to fix the deep rooted structural problems through transformational reforms.

— Prashant Kishor (@PrashantKishor) April 26, 2022

पार्टी सौंपने के हक में नहीं कांग्रेस नेता

पीके को इसी ग्रुप का सदस्य बनने का ऑफर दिया गया था. इस ताकतवर ग्रुप को 2024 लोकसभा चुनाव के मद्देनजर रणनीति बनाने और संगठन से जुड़ी सलाह देने के लिए गठित किया जाना था. किसी भी मुद्दे पर सिर्फ पीके की अकेले नहीं बल्कि ग्रुप के बहुमत की राय मानी जाती, जिस पर अंतिम फैसला कांग्रेस अध्यक्ष को लेना था.कांग्रेस सूत्रों के मुताबिक, यही बात पीके को पसंद नहीं आई. वह 2024 के लिए अपनी राय सीधे कांग्रेस अध्यक्ष को देकर उसे लागू कराना चाहते थे. सूत्रों का कहना है कि कांग्रेस पीके की सलाह को महत्व देकर आपसी चर्चा करके फैसले लेने के हक़ में थी. लेकिन पूरी पार्टी उन्हीं के हिसाब से चले, हर फैसला उनका हो ये संभव नहीं था. नेताओं का मानना था कि आखिर कई दलों के साथ काम करके आए बाहर के व्यक्ति को जॉइन करते ही पूरी पार्टी कैसे सौंप दी जाए.

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