लखनऊ
सहकारिता राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) जेपीएस राठौर ने कहा है कि पिछली सरकारों में सहकारिता विभाग को व्यक्तिगत खजाना समझा जाता था। विभाग में गलत ढंग से नियुक्तियां की जाती थीं और सहकारी बैंकों का उपयोग निजी संपत्ति की तरह किया जाता था।
वह शुक्रवार को उप्र कोआपरेटिव बैंक की ओर से इंदिरानगर स्थित एग्रीकल्चर को-आपरेटिव स्टाफ ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट में ‘बदलते परिदृश्य में सहकारी बैंकिंग विषयक सेमिनार को मुख्य अतिथि के रूप में संबोधित कर रहे थे। इस अवसर पर सहकारिता मंत्री ने केंद्र सरकार के एग्रीकल्चर इंफ्रास्ट्रक्चर फंड (एआईएफ) योजना के तहत नाबार्ड की वित्तीय सहायता से प्रदेश के विभिन्न जिलों की प्रारंभिक कृषि ऋण सहकारी समितियों (पैक्स) में निर्मित 33 गोदामों का लोकार्पण और उप्र कोआपरेटिव बैंक लिमिटेड की 13 नई शाखाओं का उद्घाटन भी किया है।
सहकारिता मंत्री ने कहा कि हमारे बैंकों में गरीब किसानों का पैसा है और हम उन्हें यह रकम सूद समेत वापस करना चाहते हैं। इसके लिए यहां सहकारी बैंक के अध्यक्षों और विभाग के अधिकारियों के साथ चर्चा की जा रही है। सहकारी बैंक निजी व राष्ट्रीयकृत बैंकों के साथ कैसे प्रतिस्पर्धा करके आगे बढ़ सकते हैं, इस पर भी मंथन किया जा रहा है। उन्होंने सहकारी बैंकों में कुशल प्रबंधन, ऋण और वसूली प्रबंधन के लिए रणनीति तैयार करने का निर्देश दिया है।
प्रमुख सचिव सहकारिता बीएल मीणा ने बताया कि ऐसी समितियां जिनके पास मार्जिन मनी नहीं थी। शासन ने उन्हें भी चार लाख रुपये प्रति समिति की दर से मार्जिन मनी स्वीकृत की गई है। उन्होंने सहकारिता के क्षेत्र में डिजिटल टेक्नोलाजी का अधिकतम उपयोग करते हुए सरकार की योजनाओं को किसानों तक पहुंचाने पर जोर दिया। जिला सहकारी बैंकों से इंटरनेट मोबाइल बैंकिंग सुविधा शीघ्र प्रारंभ करने की अपेक्षा भी की। तेलंगाना राज्य सहकारी बैंक पर किए गए अध्ययन के बारे में भी सेमिनार में प्रस्तुतीकरण किया गया।