भारत में पीने का पानी एक बड़ी समस्या बन गया है। आलम ये है कि आधी आबादी पर खतरा मंडरा रहा है। 21 शहर, 200 से ज्यादा जिले और करोड़ों लोग पानी के लिए जूझ रहे हैं। बारिश का पानी स्टोर न करके हम पानी की कमी को और बढ़ा रहे हैं। इजराइल जैसे देश वॉटर को यूज करने से ज्यादा रियूज पर फोकस कर रहे हैं। भारत को भी इसी दिशा में सोचना होगा।
देश के 773 में से 256 जिलों में खतरा मंडरा रहा है। दिल्ली, मुम्बई, चेन्नई जैसे 21 बड़े शहरों में पीने का पानी बड़ी चुनौती बन गया है। बदलते मौसम का असर ग्राउंड वाटर स्तर पर भी पड़ा है। 2007-2017 के बीच ग्राउंड स्तर 60% तक गिर गया है जबकि 70% आबादी इसी पर निर्भर है।
समय से पहले ही पानी वाला ट्रेन चलाने की नौबत आ गई है। आखिर यह इतनी बड़ी समस्या कैसे बन गई तो इसका जवाब हम-आप ही हैं जो किल्लत के बावजूद भी पानी की बेतहाशा बर्बादी कर रहे हैं, अभी भी संभल नही रहे हैं। 2001 तक प्रति व्यक्ति 1816 क्यूबेक पानी उपलब्ध था जो कि अब 30% तक घट गया है। यानी अब हमें एलर्ट होना पड़ेगा, पानी बचाना पड़ेगा। इजराइल जैसे देशों से सबक लेना होगा।