अयोध्या
रामजन्मभूमि पर मंदिर निर्माण का महनीय अभियान अब निर्णायक चरण में पहुंच चुका है। अब वह शुभ घड़ी आ गई है, जब मंदिर आंदोलन के प्रचंड दौर में देश के कोने-कोने से रामभक्तों ने अपनी आस्था के पुष्प रूप में शिलाएं अयोध्या भेजी थीं। इन्हें मंदिर के निर्धारित माडल के अनुरूप तराशने का काम 1991 से ही चल रहा है। यह वह समय था, जब एक बड़ा वर्ग मंदिर आंदोलन को महज राजनीतिक नारा मान विरोध कर रहा था, किंतु सच्चे रामभक्त पूरी तरह आस्थावान और आशावान बने रहे। एक जून को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा पूजन के साथ गर्भगृह का निर्माण शुरू हो जाएगा।
श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपतराय के अनुसार मंदिर निर्माण का 30 प्रतिशत कार्य पूर्ण किया जा चुका है। गर्भगृह का निर्माण भी योगी के पूजन के साथ ही प्रारंभ हो जाएगा। नौ नवंबर, 2019 को रामलला के पक्ष में आए सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के कुछ माह बाद से ही तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट भव्य मंदिर निर्माण की दिशा में सक्रिय हुआ। लार्सन एंड टुब्रो (एलएंडटी) को निर्माण के लिए अनुबंधित किया गया।
इस संस्था को मंदिर और परकोटा (प्राचीर) के निर्माण का ठेका दिया गया। एक अन्य प्रतिष्ठित संस्था टाटा कंसल्टेंट इंजीनियर्स (टीसीई) को परियोजना प्रबंधन सलाहकार की भूमिका में अनुबंधित किया गया। पांच अगस्त, 2020 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भविष्य के मंदिर के लिए रामलला के गर्भगृह स्थल पर पूजा की। 15 जनवरी, 2021 से शुरू मलबा-मिट्टी खनन ढाई माह तक चला। तब यह स्थल विशाल खदान की तरह दिखता था।
गर्भगृह में 14 मीटर की गहराई और उसके चारों ओर 12 मीटर की गहराई तक खनन किया गया। चेन्नई आइआइटी के प्रोफेसरों ने इस विशाल गड्ढे को भरने के लिए विशेष इंजीनियरिंग मिश्रण डिजाइन का सुझाव दिया। इस सुझाव के अनुरूप परत दर परत विशेष रूप से तैयार कंक्रीट डाली गई। इसे पूरा होने में लगभग छह महीने लगे। सितंबर, 2021 में नींव की भराई पूरी होने के बाद यह स्थल विशाल मानव निर्मित चट्टान की तरह सामने आया।
इसके ऊपर 1.5 मीटर मोटी सेल्फ-कांपैक्टेड कंक्रीट भी ढाली गई। जनवरी, 2022 में नींव के ऊपर की परत तैयार होने के बाद प्लिंथ का काम शुरू किया गया। मंदिर के चबूतरे को ऊंचा करने का कार्य 24 जनवरी, 2022 को शुरू हुआ और यह अभी भी प्रगति पर है। प्लिंथ को 6.5 मीटर की ऊंचाई तक उठाया जाएगा। प्लिंथ को ऊंचा करने के लिए कर्नाटक और तेलंगाना के ग्रेनाइट पत्थर के ब्लाक का इस्तेमाल किया जा रहा है। एक ब्लाक की लंबाई पांच फीट, चौड़ाई 2.5 फीट और ऊंचाई तीन फीट है। इस प्लिंथ कार्य में लगभग 17 हजार ग्रेनाइट के ब्लाक का उपयोग होना है।
बता दें कि सितंबर, 2022 के अंत तक प्लिंथ को ऊंचा करने का काम पूरा होना है। इस बीच एक जून से गर्भगृह में और उसके आसपास नक्काशीदार बलुआ पत्थरों की स्थापना शुरू हो जाएगी। प्लिंथ का काम और नक्काशीदार पत्थरों की स्थापना एक साथ जारी रहेगी।