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धनंजय सिंह की जमानत के बाद जौनपुर में दिलचस्प हुआ चुनाव, जानिए किसकी बढ़ाएंगे मुश्किलें?

by Nikhil

पूर्व सांसद धनंजय के जमानत पर छूटने के बाद जौनपुर सीट पर तमाम समीकरण बदलने शुरू हो जाएंगे। इस सीट से भाजपा ने कृपाशंकर सिंह को, तो समाजवादी पार्टी ने बाबू सिंह कुशवाहा को प्रत्याशी बनाया है।

ये पक्तियां जौनपुर लोकसभा सीट पर अचानक बदली सियासी फिजां पर सटीक बैठ रही हैं। जौनपुर की पुलिस इलाहाबाद उच्च न्यायालय में बाहुबली पूर्व सांसद धनंजय सिंह की अर्जी खारिज होने के बाद उन्हें जिला कारागार से सुबह 8 बजे बरेली ले जा रही थी। जेल स्थानांतरण पर उनकी पत्नी और बसपा की प्रत्याशी श्रीकला सिंह ने जिले की जनता से भावुक अपील की। धनंजय सिंह की जान का खतरा बताकर प्रधानमंत्री से भी अपना मंगलसूत्र बचाने की अपील की। कुछ देर बाद खबर आई कि धनंजय को जमानत मिल गई है। सजा बरकरार है और खबर के साथ जौनपुर की चुनावी फिजां बदल गई।
वरिष्ठ पत्रकार श्याम नारायण पांडे कहते हैं कि धनंजय के जमानत पर छूटने के बाद तमाम समीकरण बदलने शुरू हो जाएंगे। जौनपुर से भाजपा ने मुंबई के पूर्व गृह राज्यमंत्री और 2021 में कांग्रेस छोड़ भाजपा में आए कृपाशंकर सिंह को उतारा है। समाजवादी पार्टी ने पूर्व बसपा नेता और उत्तर प्रदेश सरकार में मायावती सरकार में मंत्री रहे बाबू सिंह कुशवाहा को प्रत्याशी बनाया है। जौनपुर में कोइरी बड़ी संख्या में हैं। सपा की नजर अन्य पिछड़ा वर्ग के बहाने इस बड़े वोट बैंक पर थी। लेकिन अचानक बसपा ने सबको चौंका दिया। बसपा ने श्रीकला सिंह, पत्नी पूर्व सांसद धनंजय सिंह को टिकट दे दिया। रातों-रात मुकाबला त्रिकोणीय हो गया।

छात्र राजनीति के जमाने से सक्रिय रहे हैं धनंजय सिंह
जदयू के राष्ट्रीय महासचिव धनंजय सिंह लखनऊ विश्वविद्यालय की छात्र राजनीति के जमाने से सक्रिय रहे हैं। लेकिन उनकी असली सक्रियता 2002 में 27 साल की उम्र में पहली बार विधायक बनने के साथ शुरू हुई। 2002 से 2007, 2007-09 तक विधायक रहने के बाद 2009 में वह बसपा के टिकट से सांसद बने थे। बाहुबली नेता ने शुरू से साख और छवि बनाए रखने में उन्होंने कोई कसर नहीं छोड़ी। उनके द्वारा साख और छवि के मामले में राजनीति की हर भाषा को समझते हुए न झुकने का संदेश देना प्राथमिकता में रहा। वे चुनाव क्षेत्र की जमीनी सच्चाई को समझकर जनता और उसके वर्ग से जुड़े रहे, खासकर जौनपुर जिले के युवाओं के साथ अपने संपर्क को मजबूती देते रहे।

2009-2014 के बतौर सांसद के कार्यकाल को याद कीजिए। जल्द ही बसपा प्रमुख मायावती के साथ वह खुद को अनफिट पा रहे थे। बसपा प्रमुख मायावती भी असहज थीं। इस दौरान धनंजय सिंह ने अपने तीखे बयान के जरिए संदेश देने में कोई कसर नहीं छोड़ी। नतीजा यह हुआ कि 2011 में बसपा ने उन्हें पार्टी से निकाल दिया। 2012 में उन्होंने अपनी तत्कालीन पत्नी जागृति सिंह को विधानसभा चुनाव लड़वाया, हालांकि सफलता नहीं मिली। 2014 में खुद निर्दलीय चुनाव लड़े, हार गए। 2017 के विधानसभा चुनाव में सफलता नहीं मिली, लेकिन भाजपा के उम्मीदवार को जीतने नहीं दिया। 2019 के चुनाव में कहा जाता है कि उन्होंने बसपा से टिकट पाने की कोशिश नहीं की। 2024 के लोकसभा चुनाव में धनंजय सिंह ने टिकट के लिए अपने स्तर से कई प्रयास किए। माना जाता है कि उन्होंने केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह तक अपना मंतव्य पहुंचाया। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ तक रास्ता बनाया। उनकी पत्नी श्रीकला धनंजय सिंह के रसूख, राजनीतिक पकड़ के भरोसे जौनपुर की जिला पंचायत अध्यक्ष बनीं। श्रीकला सिंह भाजपा में शामिल भी हुईं और अंत में धनंजय के रसूख, राजनीतिक गुणा-भाग, प्रयास से ही उनके (धनंजय) गिरफ्तार होने के बाद बसपा की प्रत्याशी भी बनीं।

धनंजय लड़ना चाहते थे 2024 का चुनाव
सांसद रहते हुए लोकसभा में धनंजय सिंह की सक्रियता साफ दिखाई देती थी। उनको करीब से जानने वाले बताते हैं कि वह भाजपा के टिकट पर 2014 में लोकसभा का चुनाव लड़ना चाहते थे। जौनपुर से भाजपा के टिकट पर विधानसभा चुनाव लड़ चुके सूत्र का कहना है कि 2014 में वह सफल हो सकते थे, लेकिन उत्तर प्रदेश सरकार के पूर्व कारागार मंत्री स्व. उमानाथ सिंह के बेटे केपी सिंह को टिकट मिल गया। केपी सिंह को यह टिकट संघ के नेता कृष्ण गोपाल के प्रयास पर मिला था। 2014 में मोदी लहर थी और केपी सिंह चुनाव जीत गए। इस दौरान धनंजय ने भाजपा के केंद्रीय नेताओं से संपर्क किया। आगे की राह बनानी चाही, लेकिन खास सफलता नहीं मिली। इसमें धनंजय सिंह के दिल्ली स्थित सांसद आवास पर घरेलू नौकरानी की रहस्यमय हत्या ने भी बड़ी रुकावट खड़ी की। धनंजय ने इसके बाद मल्हनी विधानसभा सीट से हर (2017, 2022) विधानसभा चुनाव लड़ा। 2019 का भी लोकसभा चुनाव लड़े। हर चुनाव में उनकी छवि भाजपा का टिकट काटने वाले नेता की बनती गई। कहीं न कहीं धनंजय भी यह संदेश देना चाह रहे थे कि भाजपा को उनकी तरफ देखना चाहिए। यदि वह नहीं तो फिर भाजपा से भी कोई नहीं। 2019 के लोकसभा चुनाव में बसपा उम्मीदवार श्याम सिंह यादव को सफलता मिल गई।

एक ट्वीट से आया राजनीतिक उबाल
धनंजय के ट्वीट पर नजर डालिए। नारा है, सेवा नीति है जिसकी विचाराधारा, हर वो शख्स धनंजय है। लक्ष्य-2024 हम तैयार हैं। इसी ट्विटर हैंडल से धनंजय ने 02 मार्च को ट्वीट किया कि साथियों बस तैयार रहिए। लक्ष्य, बस एक लोकसभा 73। जीतेगा जौनपुर, जीतेंगे हम।
यह ट्वीट 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए भाजपा के कृपाशंकर सिंह को प्रत्याशी घोषित करने के ठीक बाद आया। कहा जाता है कि जदयू के राष्ट्रीय महासचिव धनंजय सिंह को उम्मीद थी कि उन्हें जदयू के कोटे से ही सही यह अवसर मिलेगा। कृपा शंकर सिंह का नाम घोषित होने बाद धनंजय सिंह ने ट्वीट के जरिए 2024 का चुनाव लड़ने का संकेत दे दिया। इसके बाद जौनपुर में धनंजय के समर्थकों का उत्साह काफी बढ़ गया, लेकिन यह लंबे समय तक नहीं रह सका। एमपी-एमएलए की अदालत ने नमामि गंगे परियोजना जुड़े इंजीनियर अभिनव सिंघल द्वारा दर्ज कराई गई प्राथमिकी के मामले में सात साल की सजा सुना दी। धनंजय सिंह ने इसे राजनीतिक षडयंत्र करार दिया था और वह 06 मार्च से जौनपुर के जिला कारागार में बंद थे।

पूरे देश की हॉट सीट बनी जौनपुर लोकसभा
टीम धनंजय अपने नेता की गिरफ्तारी, 7 साल की सजा और इस पूरे मामले को भाजपा सरकार के षडयंत्र के तौर पर देख रही है। उनके समर्थकों को लोकसभा सीट पर प्रचार के लिए रामधारी सिंह दिनकर की रश्मिरथी की पंक्तियां….आरंभ है प्रचंड…याद आ रही हैं। जौनपुर के एक नेता कहते हैं कि धनंजय ने झुकने का संदेश नहीं दिया है और यहां भी नहीं देंगे। धनंजय भले चुनाव मैदान में नहीं हैं, उनकी पत्नी हैं, लेकिन उनका चुनाव जौनपुर की जनता लड़ेगी। उनके जमानत से बाहर आने के बाद जौनपुर लोकसभा सीट का चुनाव बहुत रोचक हो गया है। भाजपा से ही विधानसभा चुनाव लड़ चुके सूत्र का कहना है कि धनंजय की पत्नी श्रीकला का चुनाव नतीजा क्या होगा, यह 4 जून को पता चलेगा। लेकिन भाजपा के लोकसभा उम्मीदवार कृपाशंकर सिंह का नतीजा आ चुका है। धनंजय सिंह का गांव बनसफा है। उनके पड़ोस के शेरवां गांव के सूत्र का कहना है कि पूरे जनपद में धनंजय सिंह के साथ भाजपा यह बर्ताव सीधे उनके केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से समीकरण गड़बड़ाने का संदेश दे रहा है। क्योंकि धनंजय सिंह भाजपा के प्रत्याशी को किसी भी कीमत पर स्वीकार नहीं कर रहे हैं।

29 अप्रैल से शुरू होंगे जौनपुर लोकसभा सीट पर नामांकन
जौनपुर की लोकसभा सीट पर अभी नामांकन प्रक्रिया आरंभ होने में दो दिन का समय है। 29 अप्रैल से नामांकन प्रक्रिया शुरू होगी और 06 अप्रैल तक चलेगी। 25 मई को छठे चरण में जिले में दोनों लोकसभा सीटों जौनपुर और मछली शहर के लिए मतदान होना है। माना जा रहा है कि अभी भी समय है। उच्च न्यायालय से जमानत मिल गई है। धनंजय सिंह अभी भी चुनाव लड़ने की कोशिश नहीं छोड़ने वाले। वह उच्चतम न्यायालय का रुख कर सकते हैं। शीर्ष अदालत से राहत न मिलने की स्थिति में वह पत्नी श्रीकला सिंह के लिए प्रचार अभियान की बागडोर संभालेंगे। केशव प्रसाद सिंह का कहना है कि धनंजय के जमानत मिलने के बाद चुनाव में लड़ाई थोड़ा कांटे की हो जाएगी।

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