दिवाली, जिसे दीपावली भी कहा जाता है, हिंदू धर्म का सबसे प्रमुख और हर्षोल्लास से भरा हुआ पर्व है। यह पर्व हर साल कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि पर मनाया जाता है। इस दिन विशेष रूप से मां लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा की जाती है, जिससे सुख-समृद्धि, धन, और वैभव की प्राप्ति होती है। दीयों और रोशनी से सजी हुई रात, अंधकार पर प्रकाश की जीत का प्रतीक होती है।
दिवाली के पीछे कई पौराणिक कथाएँ और धार्मिक मान्यताएँ हैं, जो इसे और भी महत्वपूर्ण बनाती हैं। सबसे प्रसिद्ध कथा रामायण से जुड़ी है, जिसमें भगवान श्रीराम 14 वर्षों का वनवास समाप्त कर अपनी जन्मभूमि अयोध्या लौटे थे। उनके आगमन पर अयोध्यावासियों ने दीप जलाकर उनका स्वागत किया, और तब से यह पर्व हर साल मनाया जाता है।
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महाभारत काल में भी दिवाली का एक ऐतिहासिक संदर्भ मिलता है। पांडवों ने 13 वर्षों का वनवास समाप्त कर घर वापसी की थी, और उनके स्वागत में भी दीप जलाए गए थे। यह एक और कारण है कि दिवाली को पूरे उल्लास के साथ मनाया जाता है।
माता लक्ष्मी की पूजा का महत्व समुद्र मंथन से जुड़ा है। मान्यता है कि अमावस्या के दिन समुद्र मंथन से देवी लक्ष्मी प्रकट हुई थीं, और इसी कारण लक्ष्मी पूजा दिवाली के दिन की जाती है। भक्त मानते हैं कि इस दिन लक्ष्मी जी की पूजा से घर में धन, सुख-समृद्धि, और यश की प्राप्ति होती है।
इसके साथ ही, नरकासुर नामक राक्षस के वध से जुड़ी एक और कथा है। भगवान श्री कृष्ण ने नरकासुर का वध किया, और इसी विजय के उपलक्ष्य में नरक चतुर्दशी और दिवाली दो दिन तक मनाई जाती है।
इस तरह, दिवाली सिर्फ एक त्यौहार नहीं, बल्कि धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व से भरा पर्व है, जो अच्छाई की बुराई पर जीत, समृद्धि, और खुशहाली का संदेश देता है।