प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विज्ञान भवन में राज्यों के मुख्यमंत्रियों और उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीशों के संयुक्त सम्मेलन के उद्घाटन सत्र में हिस्सा लिया। नई दिल्ली में आयोजित मुख्यमंत्रियों एवं मुख्य न्यायाधीशों की संयुक्त कॉन्फ्रेंस में सम्मिलित हुआ। इस अवसर पर पीएम मोदी ने संविधान की दो धाराओं न्यायपालिका एवं विधायिका के प्रभावी एवं समयबद्ध न्याय व्यवस्था को लेकर अपने महत्वपूर्ण विचार साझा किए।
आज का सम्मेलन ऐसे समय में हो रहा है जब देश आज़ादी का अमृत महोत्सव मना रहा है। आज़ादी के इन 75 सालों ने ज्यूडिशरी और एग्जीक्यूटिव दोनों के ही भूमिका और जिम्मेदारियों को निरंतर स्पष्ट किया है। जहां जब भी जरूरी हुआ,देश को दिशा देने के लिए ये संबंध लगातार विकसित हुआ है। पीएम मोदी ने नई दिल्ली के विज्ञान भवन में आयोजित राज्यों के मुख्यमंत्रियों व उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीशों के संयुक्त सम्मेलन का शुभारंभ किया।
नागरिक हितों के संदर्भ में कानून एवं राज्य शासन की भूमिका पर आपके सारगर्भित संबोधन ने नई दिशा प्रदान की। प्रधानमंत्री ने अदालतों में स्थानीय भाषाओं के उपयोग को प्रोत्साहित करने की बात कही। नि:संदेह, इससे देश के आम नागरिक कोर्ट की कार्रवाई को समझ सकेंगे और उनका भारतीय न्याय प्रणाली में विश्वास और बढ़ेगा। आजादी के 100 साल पूरे होने पर देश की न्याय व्यवस्था कैसी होनी चाहिये? इस विषय पर चिंतन और मंथन करने की बात कही।
बदलते परिवेश और आने वाले समय को देखते हुए यह अत्यंत आवश्यक है। पीएम मोदी ने बदलते समय के साथ अप्रासंगिक हो चुके 1450 कानूनों को 2015 में खत्म करने का काम किया था। हमारे प्रधानमंत्री के लिए देश और नागरिकों की चिंता ही प्राथमिकता है। उन्होंने कानून का उपयोग संवेदनशीलता के साथ करने की सलाह दी। पीएम मोदी ने कहा कि हम अधिक शक्ति के साथ प्रदेश के नागरिकों की उन्नति और उनके हितों की रक्षा के ध्येय को प्राप्त कर सकेंगे।
इसी के साथ ही प्रधानमंत्री ने न्यायालयों में स्थानीय भाषाओं को प्रोत्साहन देने की बात भी कही। इस दौरान भारत के सीजेआई, एन.वी रमन ने न्यायपालिका और लोकतंत्र के हर संस्थान को देश की सामाजिक और भौगोलिक विविधता का ही स्वरूप बताया। भारत सरकार न्याय व्यवस्था में तकनीकी की संभावनाओं को डिजिटल इंडिया मिशन का एक जरूरी हिस्सा मानती है।
उदाहरण के तौर पर, ई-कोर्ट परियोजना को आज मिशन मोड में लागू किया जा रहा है। आज छोटे कस्बों और यहां तक कि गांवों में भी डिजिटल ट्रांसजेक्शन आम बात होने लगी है 2047 में जब देश अपनी आज़ादी के 100 साल पूरे करेगा, तब हम देश में कैसी न्याय व्यवस्था देखना चाहेंगे? हम किस तरह अपने न्याय व्यवस्था को इतना समर्थ बनाएँ कि वो 2047 के भारत की आकांक्षाओं को पूरा कर सके, उन पर खरा उतर सके, ये प्रश्न आज हमारी प्राथमिकता होना चाहिए।
राज्यों के मुख्यमंत्रियों और उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीशों का ये संयुक्त सम्मेलन हमारी संवैधानिक खूबसूरती का सजीव चित्ररण है। हमारे देश में जहां एक ओर ज्यूडिशरी की भूमिका का संविधान संरक्षक की है। वहीं विधान मंडल नागरिकों की आकांक्षाओं का प्रतिनिधित्व करती है। बता दें कि इस सम्मेलन में सीएम अरविंद केजरीवाल, छत्तीसगढ़ सीएम भूपेश बघेल, असम सीएम हिमंत बिस्वा सरमा, अरुणाचल प्रदेश सीएम पेमा खांडू, मेघालय सीएम कोनराड संगमा और पंजाब सीएम भगवंत मान ने विज्ञान भवन में राज्यों के मुख्यमंत्रियों और उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीशों के संयुक्त सम्मेलन में हिस्सा लिया।