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ताजमहल की संरक्षण के लिए दृष्टिपत्र बनाने के लिए एएसआई से जवाब की मांग की गई है। इस दृष्टिपत्र में राज्य सरकार को निर्देश दिए गए हैं

by Nikhil

‘ताज ट्रेपेजियम जोन’ एक चतुर्भुजाकार क्षेत्र है जो लगभग 10,400 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है। इस क्षेत्र में उत्तर प्रदेश के आगरा, फिरोजाबाद, मथुरा, हाथरस, और एटा जिले तथा राजस्थान का भरतपुर जिला शामिल है। शीर्ष अदालत ने यह नोट किया है कि 26 जुलाई 2018 को इसे ताजमहल के संरक्षण के लिए जिम्मेदार अधिकारी के परामर्श के बिना तैयार किया गया, जो कि हैरान करने वाली बात है।

सुप्रीम कोर्ट ने ताजमहल और उसके आसपास के क्षेत्रों के संरक्षण के लिए तैयार किए गए विजन दस्तावेज (दृष्ट पत्र) और योजना पर सोमवार को भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) से जवाब मांगा। सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति अभय एस ओका और न्यायमूर्ति उज्जल भुइयां ने उत्तर प्रदेश सरकार को विजन दस्तावेज को रिकॉर्ड में लाने का निर्देश दिया, जिसे स्कूल ऑफ प्लानिंग एंड आर्किटेक्चर (एसपीए) ने राज्य के साथ मिलकर तैयार किया है।

पीठ, ताजमहल को संरक्षित रखने और ‘ताज ट्रेपेजियम जोन’ (टीटीजेड) के संरक्षण के लिए दृष्टि पत्र के कार्यान्वयन का अनुरोध करने वाली याचिका पर सुनवाई कर रही थी। न्यायालय ने उल्लेख किया कि आठ दिसंबर 2017 को उसने भविष्योन्मुखी योजना तैयार करने का निर्देश दिया था।

‘ताज ट्रेपेजियम जोन’ एक चतुर्भुजाकार क्षेत्र है जो लगभग 10,400 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है। इस क्षेत्र में उत्तर प्रदेश के आगरा, फिरोजाबाद, मथुरा, हाथरस, और एटा जिले तथा राजस्थान का भरतपुर जिला शामिल है। शीर्ष अदालत ने यह नोट किया है कि 26 जुलाई 2018 को इसे ताजमहल के संरक्षण के लिए जिम्मेदार अधिकारी के परामर्श के बिना तैयार किया गया, जो कि हैरान करने वाली बात है।

पीठ ने व्यक्त किया, “हम दृष्टि पत्र पर एएसआई की प्रतिक्रिया जानना चाहेंगे।” न्यायालय ने आगामी सुनवाई को 11 जुलाई के लिए तय किया। शीर्ष अदालत, मुगल बादशाह शाहजहां द्वारा 1631 में अपनी पत्नी मुमताज महल की याद में निर्मित स्मारक के संरक्षण के लिए क्षेत्र के विकास की निगरानी कर रही है। यह स्मारक यूनेस्को के विश्व धरोहर स्थलों में शामिल है।

पीठ ने आगरा को विश्व धरोहर शहर का दर्जा दिलाने की अनुरोध करनी वाली एक अन्य याचिका पर केंद्र से छह हफ्तों के अंदर अपना जवाब दाखिल करने को कहा। पीठ ने यमुना नदी के निकट सफाई के मुद्दे पर बात की और कहा कि नदी के तल से गाद, कचरा और कीचड़ हटाने के सुझाव पर कोई असहमति नहीं होनी चाहिए।

पीठ ने कहा, “यदि अब तक कोई कदम नहीं उठाया गया है, तो तत्काल कदम उठाए जाने की जरूरत है।” न्यायालय ने कहा कि जरूरत पड़ने पर केंद्र किसी विशेषज्ञ एजेंसी की मदद ले सकता है। न्यायालय ने कहा कि यमुना नदी के तल से गाद, कचरा और कीचड़ हटाना एक अनवरत प्रक्रिया होनी चाहिए तथा अब तक किये गए उपायों पर केंद्र, उत्तर प्रदेश सरकार और आगरा विकास प्राधिकरण (एडीए) द्वारा हलफनामा दायर किये जाने की जरूरत है।

पीठ ने कहा कि केंद्र, उत्तर प्रदेश और आगरा विकास प्राधिकरण इस पर स्पष्ट रुख अपनाएंगे कि यमुना नदी के तल से गाद, कचरा और कीचड़ हटाने की जिम्मेदारी किस एजेंसी की होगी। शीर्ष अदालत ने कहा कि इस मुद्दे पर केंद्र, उप्र सरकार और एडीए द्वारा 11 जुलाई तक हलफनामे दाखिल किये जाएं।

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