प्रयागराज
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ज्ञानवापी मस्जिद में पुरातत्व विभाग से सर्वेक्षण कराने संबंधी अधीनस्थ अदालत के आदेश पर लगी रोक 31 जुलाई तक बढ़ा दी है। कहा है कि याचिकाओं की सुनवाई बहस पूरी होने तक जारी रहेगी। अब अगली सुनवाई ग्रीष्मावकाश के बाद छह जुलाई को होगी। यह आदेश शुक्रवार को न्यायमूर्ति प्रकाश पाडिया ने अंजुमन इंतजामिया मसाजिद वाराणसी और सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड की याचिकाओं की सुनवाई करते हुए दिया है।
सुनवाई के दौरान मंदिर की तरफ से अधिवक्ता विजय शंकर रस्तोगी ने कहा कि उत्तर प्रदेश काशी विश्वनाथ मंदिर एक्ट-1983 की वैधता को चुनौती दी गई थी। सुप्रीम कोर्ट ने कानून को वैध करार दिया है। इस अधिनियम की धारा-4(9) में मंदिर की व्याख्या की गई है। इसमें साफ कहा गया है कि आदि विश्वेश्वरनाथ मंदिर जो काशी विश्वनाथ मंदिर वाराणसी के नाम से जाना जाता है, उस ज्योतिर्लिंग की हिंदू पूजा-अर्चना करते हैं।
पूजा का अधिकार व संपत्ति काशी विश्वनाथ में निहित है। यह भी कहा गया है कि भगवान विश्वेश्वरनाथ मंदिर में स्थित लिंग स्वयंभू है। इस ज्योतिर्लिंग का लंबा धार्मिक इतिहास है। यह पुराणों में वर्णित है। रस्तोगी ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि वाराणसी में गंगा नदी के किनारे शिव विराजमान हैं, जो भारत में स्थित पांच ज्योतिर्लिंगों में से एक हैं। इसे स्वयंभू माना जाता है।