उत्तर प्रदेश के वाराणसी में ज्ञानवापी परिसर में आज पहले दिन का सर्वे पूरा हो चुका है। आज लगभग 50% हिस्से का सर्वे हुआ है। इसकी वीडियोग्राफी भी की गई है। 17 मई को पूरी रिपोर्ट वाराणसी के सीनियर सिविल डिविजन कोर्ट में रखी जाएगी। सर्वे करने वाली टीम में शामिल एक सदस्य ने नाम न छापने की शर्त पर एक निजी न्यूज़ चैनल से बड़ा खुलासा किया है। उन्होंने बताया कि चारों तहखानों में हिंदू धर्म-परपंरा से जुड़ा कुछ-न-कुछ मिला है। एक तहखाने में तो 2 फीट बड़ा संगमरमर का मगरमच्छ, खंभे पर बनी देवी-देवताओं की मूर्तियां, मंदिर शिखर के टूटे हुए कई कलश देखे गए हैं।
हालांकि, खंभों पर बनी मूर्तियों के बारे कोई जानकारी नहीं मिली है। उन्होंने बताया कि सर्वे से यह साबित होता है कि 353 साल पहले मुगल शासक औरंगजेब ने शिव मंदिर तोड़कर वहां पर मस्जिद बनवाई थी। मस्जिद के अंदर कई छोटे-छोटे मंदिर थे, जिनके शिखर तहखानों में फेंके गए हैं। टीम से सदस्य ने बताया कि सर्वे के दौरान मिली मगरमच्छ की मूर्ति इतनी खूबसूरत थी कि काफी देर तक सभी एकटक उसे देखते ही रह गए। इससे एक बात और भी साफ होती है कि उस समय के कारीगरों की कलाकारी बहुत उच्च दर्जे की थी। साथ ही मंदिरों के टूटे हुए शिखर के काफी टुकड़े मिले। इससे समझा जा सकता है कि मंदिरों का शिखर तोड़ा और गिराया गया था।
सर्वे में शामिल एक सदस्य ने कहा कि ज्ञानवापी से पहले यहां पर काशी विश्वेश्वर मंदिर था। इसे अकबर काल में 1585 में तत्कालीन वित्त मंत्री टोडरमल ने बनवाया था। मंदिर को 86 साल बाद गिरा दिया गया। आज 437 साल बाद भी खंडित मूर्तियां और आकृतियां जस की तस हैं। ज्ञानवापी की दीवारों और पत्थरों पर सारे चिह्न मौजूद हैं। उन्होंने यह भी कहा कि अभी तो सर्वे बाकी है। बहुत जल्द कई प्रमाण हम कोर्ट के सामने पेश कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि सर्वे हैरतअंगेज था।
श्रृंगार गौरी पूजा मामले में याचिका डालने वाली महिलाओं के पैरोकार डॉ. सोहनलाल ने बताया कि जितनी कल्पना थी, उससे कहीं ज्यादा सबूत मिल चुके हैं। हिंदू पक्ष की ओर से राकेश पाराशर ने कहा कि सर्वे पूरा हो जाएगा, तो मुसलमानों को यहां से मस्जिद छोड़कर जाना ही होगा। इस तरह के साक्ष्य मिलेंगे, हमें अनुमान नहीं था। हालांकि, उन्होंने कहा कि रिपोर्ट के बारे में जानने के लिए हमें रविवार तक का इंतजार करना पड़ेग। एक स्थानीय व्यक्ति ने कहा कि मस्जिद परिसर के नीचे बने तहखानों में भगवान शिव से जुड़ी कई वस्तुएं हैं, जिन्हें हम लोगों ने बचपन में देखा है।